Edited By Mansa Devi,Updated: 18 Dec, 2025 11:55 AM

जोशीमठ नगर पालिका की कचरा डंपिंग साइट पर भालुओं की मौजूदगी ने स्थानीय लोगों और प्रशासन की चिंता को गंभीर रूप से बढ़ा दिया है। यह घटना केवल एक सामान्य वन्यजीव गतिविधि नहीं मानी जा रही, बल्कि पर्यावरणीय बदलावों और अव्यवस्थित कचरा प्रबंधन के खतरनाक...
नेशनल डेस्क: जोशीमठ नगर पालिका की कचरा डंपिंग साइट पर भालुओं की मौजूदगी ने स्थानीय लोगों और प्रशासन की चिंता को गंभीर रूप से बढ़ा दिया है। यह घटना केवल एक सामान्य वन्यजीव गतिविधि नहीं मानी जा रही, बल्कि पर्यावरणीय बदलावों और अव्यवस्थित कचरा प्रबंधन के खतरनाक परिणाम के रूप में देखी जा रही है। रिहायशी इलाकों के बेहद करीब भालुओं का दिखाई देना मानव सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है।
दिसंबर में भी हाइबरनेशन नहीं, बदलता मौसम बना वजह
आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में दिसंबर के पहले पखवाड़े तक भालू हाइबरनेशन में चले जाते हैं, लेकिन इस साल स्थिति अलग है। विशेषज्ञों का कहना है कि पर्याप्त बर्फबारी न होने के कारण तापमान अपेक्षाकृत ज्यादा बना हुआ है, जिससे भालू शीतनिद्रा में नहीं जा पा रहे हैं। इसके साथ ही जंगलों में प्राकृतिक भोजन की कमी ने उन्हें आबादी वाले क्षेत्रों की ओर आने के लिए मजबूर कर दिया है।
खुले कचरे से आकर्षित हो रहे भालू
नगर पालिका की डंपिंग साइट पर खुले में पड़ा घरेलू और खाद्य कचरा भालुओं के लिए आसान भोजन बन गया है। कचरे से निकलने वाली गंध उन्हें बार-बार उसी जगह पर लौटने के लिए आकर्षित कर रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बीते कुछ दिनों में भालुओं की आवाजाही बढ़ी है, जिससे सुबह-शाम बाहर निकलना जोखिम भरा हो गया है और लोगों में डर का माहौल बना हुआ है।
मानव-वन्यजीव टकराव का बढ़ता संकेत
वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, यह व्यवहार अब असामान्य नहीं रह गया है। जलवायु परिवर्तन, घटते वन क्षेत्र और मानव गतिविधियों के बढ़ते दखल के कारण जंगली जानवरों का रिहायशी इलाकों में आना आम होता जा रहा है। विशेषज्ञ इसे इंसान और वन्यजीवों के बीच बढ़ते टकराव का चेतावनी संकेत मान रहे हैं, जो भविष्य में और गंभीर रूप ले सकता है।
प्रशासन और वन विभाग अलर्ट
स्थानीय प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है और कचरा खुले में न फेंकने के निर्देश दिए हैं। वन विभाग की टीमें भालुओं की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं और जरूरत पड़ने पर उन्हें सुरक्षित तरीके से जंगल की ओर खदेड़ने की तैयारी की जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक कचरा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण पर ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक ऐसी घटनाएं थमने वाली नहीं हैं।