क्या मृत्यु भोज खाना पाप है? प्रेमानंद महाराज ने दिया ये जवाब

Edited By Updated: 29 Jul, 2025 01:48 PM

is it a sin to eat funeral feast premanand ji gave this answer

वृंदावन के आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज का एक प्रवचन वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने मृत्यु भोज से जुड़ी सामाजिक भ्रांतियों पर बेहद संतुलित और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से जवाब दिया है। यह प्रवचन श्री हित राधा...

नेशनल डेस्क: वृंदावन के आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज का एक प्रवचन वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने मृत्यु भोज से जुड़ी सामाजिक भ्रांतियों पर बेहद संतुलित और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से जवाब दिया है। यह प्रवचन श्री हित राधा केलि कुंज आश्रम में दिया गया, जहां हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन को आते हैं। महाराज ने मृत्यु भोज को “मृत्यु महोत्सव” की संज्ञा दी और कहा कि यह आत्मा की अंतिम यात्रा के सम्मान का प्रतीक है, जैसे विवाह एक महोत्सव होता है।

क्या मृत्यु भोज में जाना पाप है?
प्रवचन के दौरान एक श्रोता ने पूछा, “अगर मृत्यु भोज खाने से पुण्य और ऊर्जा दोनों नष्ट हो जाते हैं, तो क्या यह अपराध है?” इस पर प्रेमानंद जी ने स्पष्ट किया कि “अपराध और पाप अलग चीजें हैं। मृत्यु भोज में जाना अपराध नहीं है। हां, यदि मृत व्यक्ति पापी था, तो उसके भोज में भाग लेने से पाप लग सकता है।”

भक्त का भोज, पुण्य का कारण
प्रेमानंद जी ने समझाया कि यदि मृत व्यक्ति वैष्णव है, नामजप करता था और आध्यात्मिक जीवन में संलग्न था, तो उसका भोज पुण्य देने वाला होता है। अगर वह एक सामान्य सांसारिक व्यक्ति था, तो न पुण्य घटता है न बढ़ता है।

क्या होता है असली ‘अपराध’?
महाराज ने स्पष्ट किया कि हत्या, चोरी, मांस भक्षण जैसे कर्म ही असली अपराध हैं, जबकि मृत्यु भोज में भाग लेना उस श्रेणी में नहीं आता। उन्होंने यह भी कहा कि परिवार या समाज की परंपरा के तहत किए गए भोज में भाग लेना न तो पुण्य को घटाता है और न ही पाप का कारण बनता है।

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