Edited By Seema Sharma,Updated: 05 Aug, 2020 03:42 PM
हमेशा से अपनी धरती के बेटे लंकापति रावण की पूजा करने वाले बिसरख गांव के लोगों ने अयोध्या में ‘श्री रामजन्म भूमि मंदिर'' निर्माण के लिए न सिर्फ अपने यहां की मिट्टी भेजी है बल्कि पूरे देश के साथ मिलकर बुधवार को भगवान श्रीराम के नाम का जप कर रहे हैं।...
नेशनल डेस्कः हमेशा से अपनी धरती के बेटे लंकापति रावण की पूजा करने वाले बिसरख गांव के लोगों ने अयोध्या में ‘श्री रामजन्म भूमि मंदिर' निर्माण के लिए न सिर्फ अपने यहां की मिट्टी भेजी है बल्कि पूरे देश के साथ मिलकर बुधवार को भगवान श्रीराम के नाम का जप कर रहे हैं। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में स्थित बिसरख गांव के लोगों का मानना है कि ऋषि विश्वश्रवा और राक्षस कन्या कैकसी के पुत्र रावण का जन्म उनके गांव में हुआ था। रावण को बेटा मानते हुए गांव के लोग यहां कभी रामलीला का मंचन नहीं करते, यहां दशहरे में कभी रावण दहन नहीं हुआ। लेकिन इस बार गांव में रावण की पूजा की पुरानी परंपरा के साथ ही श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की खुशियां भी बनाई जा रही हैं।
हिंदू रक्षा सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अशोकानंद महाराज ने बताया कि रावण के मंदिर से मिट्टी से भरा कलश भगवान राम की नगरी अयोध्या पहुंच गया है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को पूरे गांव में लेकर जबरदस्त उत्साह है। सभी के मन में आज राम बसे हैं। यहां तक कि गांव के लोगों ने आज अपने-अपने घरों में दीप जलाकर दीवाली मनाने का निर्णय किया है। बिसरख गांव के पूर्व प्रधान अजय पाल ने बताया कि हमारे गांव को रावण की जन्मस्थली माना जाता है। मान्यता है कि ऋषि विश्वश्रवा ने गांव में अष्ट भुजाधारी शिवलिंग की स्थापना कर, घोर तपस्या की थी, जिसके बाद रावण का जन्म हुआ।
पूर्व प्रधान का कहना है कि माना जाता है कि गांव की मंदिर में स्थापित शिवलिंग वही है। उन्होंने बताया कि गांव का नाम पहले विश्ववेश्वरा था। बाद में अपभ्रंश होकर बिसरख हो गया। इस गांव का जिक्र पुराणों में भी है।'' उन्होंने बताया कि गांव में शिव मंदिर है और पास ही रावण का भी मंदिर है। गांव के लोग प्रकांड विद्वान रावण की पूजा करते हैं, उनके अनुसार रावण अपनी संस्कृति को जी रहा था और वह गलत नहीं था।