नौकरी चली गई तो क्या करें? जानिए Job Loss Insurance से कैसे मिलेगी आर्थिक सहारा, हर महीने पैसा मिलेगा!

Edited By Updated: 02 Aug, 2025 01:28 PM

job loss insurance financial support when you lose your job

आज के समय में नौकरी छूटना कोई असामान्य बात नहीं रह गई है। खासकर जब बड़ी कंपनियां जैसे TCS ने हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है, तब हर किसी के मन में यही सवाल आता है – आगे खर्चा कैसे चलेगा? इसी चिंता से जन्मी है एक खास प्रकार की बीमा पॉलिसी...

नेशनल डेस्क: आज के समय में नौकरी छूटना कोई असामान्य बात नहीं रह गई है। खासकर जब बड़ी कंपनियां जैसे TCS ने हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है, तब हर किसी के मन में यही सवाल आता है – आगे खर्चा कैसे चलेगा? इसी चिंता से जन्मी है एक खास प्रकार की बीमा पॉलिसी जिसे कहते हैं Job Loss Insurance या नौकरी छूटने का बीमा। इस बीमा का मकसद है आपकी नौकरी चली जाने की स्थिति में आर्थिक सहारा देना ताकि आप बिना तनाव के अपने खर्चों को संभाल सकें।

जॉब लॉस इंश्योरेंस क्या है?

Job Loss Insurance एक ऐसी पॉलिसी है जो अचानक नौकरी जाने की स्थिति में आपको कुछ महीनों तक आर्थिक मदद देती है। इसका फायदा तब होता है जब आपकी नौकरी अनजाने में चली जाती है, न कि आपने इस्तीफा दिया हो। इस बीमा के तहत आपको हर महीने एक निश्चित रकम मिलती है जिससे आप अपने घर का किराया, लोन की EMI, बिजली-पानी के बिल और मेडिकल खर्च जैसे जरूरी कामों को चला सकते हैं।

TCS की बड़ी छंटनी और जॉब लॉस इंश्योरेंस की जरूरत

इस साल टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने लगभग 12,200 कर्मचारियों को निकाल दिया, जो खासकर मिड और सीनियर लेवल के प्रोफेशनल्स के लिए चिंता का विषय है। ऐसे समय में यह बीमा एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। खासकर आईटी, स्टार्टअप और फैक्ट्री सेक्टर में, जहां रोजाना छंटनी की नौबत आ सकती है, यह बीमा बहुत उपयोगी साबित होता है।

ये बीमा कैसे काम करता है?

जॉब लॉस इंश्योरेंस में आपको नौकरी छूटने के बाद एक तय अवधि तक हर महीने पैसे मिलते हैं। यह रकम 70% तक आपकी सैलरी के हिसाब से हो सकती है, या कुछ पॉलिसियों में यह फिक्स्ड होती है जैसे ₹10,000 प्रति माह। भुगतान तब शुरू होता है जब आप कुछ दिनों तक बेरोजगार रहते हैं, यानी वेटिंग पीरियड पूरा होने के बाद। कुछ पॉलिसियों में रकम धीरे-धीरे बढ़ती है जैसे पहले महीने ₹5,000, दूसरे महीने ₹10,000 और तीसरे महीने ₹15,000। इससे आपको लगातार नई नौकरी खोजने में मदद मिलती है।
इस बीमा का प्रीमियम आपकी सैलरी, जॉब प्रोफाइल और पॉलिसी की अवधि पर निर्भर करता है। अगर आप इसे अपने ऑफिस या बैंक के ग्रुप कवर से लेते हैं तो प्रीमियम थोड़ा कम भी हो सकता है।

कौन ले सकता है जॉब लॉस इंश्योरेंस?

यह बीमा सिर्फ उन लोगों के लिए है जो फॉर्मल सेक्टर में काम करते हैं, यानी जिनकी कंपनी रजिस्टर्ड है और नियमों के मुताबिक चल रही है। चाहे आप मल्टीनेशनल कंपनी में हों या किसी स्टार्टअप में, अगर आपका संगठन नियमों का पालन करता है तो आप इस बीमा के पात्र हैं।
इस बीमा का फायदा तब मिलता है जब आपकी नौकरी अनजाने में चली जाए, जैसे कंपनी की छंटनी, कॉस्ट कटिंग या सरकारी आदेश की वजह से कंपनी बंद हो जाना। आजकल AI या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वजह से अगर कोई नौकरी चली जाती है तो वह भी इस बीमा में कवर हो सकता है।

क्या-क्या कवर नहीं होता?

 

यह बीमा उन लोगों के लिए लागू नहीं होता जो खुद का व्यवसाय करते हैं या जो पहले से बेरोजगार हैं। इसके अलावा, अगर आपकी नौकरी अभी प्रोबेशन यानी परख की अवधि में है, तो भी इस बीमे का लाभ नहीं मिलेगा। यदि आपने अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया हो या आपने रिटायरमेंट ले लिया हो, तो ऐसे मामलों में भी बीमा क्लेम स्वीकार नहीं किया जाता। साथ ही, यदि आपकी नौकरी किसी बीमारी या अनुशासनिक कारणों जैसे खराब प्रदर्शन, धोखाधड़ी या सस्पेंशन की वजह से चली गई हो, तो भी यह बीमा कवर नहीं करता।

 

कब रिजेक्ट हो सकता है क्लेम?

अगर आपने खुद से इस्तीफा दिया हो, या आपकी नौकरी अनुशासनात्मक कारणों से चली गई हो, तो ऐसे मामलों में बीमा कंपनी आमतौर पर क्लेम को अस्वीकार कर सकती है। इसके अलावा, अगर आपकी नौकरी बीमारी या महामारी की वजह से गई हो और पॉलिसी में इस बात को स्पष्ट रूप से शामिल नहीं किया गया हो, तो भी बीमा कंपनी आपके क्लेम को मानने से इनकार कर सकती है। इसलिए बीमा पॉलिसी लेने से पहले इन नियमों को ध्यान से समझना बेहद जरूरी होता है।

क्या यह बीमा वास्तव में मददगार है?

कई कंपनियां छंटनी के बाद कुछ महीने की सैलरी देती हैं, लेकिन वह ‘स्वैच्छिक इस्तीफा’ का विकल्प भी देती हैं जिससे बीमा क्लेम पर असर पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि आप नौकरी छूटने के कारणों को प्रमाणित करें।

जॉब लॉस इंश्योरेंस के अलावा विकल्प

  • एमरजेंसी फंड बनाएं: कम से कम 6 महीने का खर्च बचाकर रखें ताकि आर्थिक संकट में मदद मिल सके।

  • लोन पर बीमा लें: ऐसी पॉलिसी भी होती हैं जो नौकरी जाने पर आपकी लोन EMI भरती हैं।

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