KarvaChauth 2025: करवा चौथ पर चांद हमेशा देर से क्यों निकलता है? जानिए  इस देरी के पीछे का रहस्य!

Edited By Updated: 10 Oct, 2025 11:46 AM

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देशभर में आज करवाचौथ का त्योहार मनाया जा रहा है। सुहागिनों द्वारा सालभर करवाचौथ के व्रत का बड़ी बेसब्री से इंतजार किया जाता है। यह व्रत हर विवाहित महिला के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है।

नेशनल डेस्क: देशभर में आज करवाचौथ का त्योहार मनाया जा रहा है। सुहागिनों द्वारा सालभर करवाचौथ के व्रत का बड़ी बेसब्री से इंतजार किया जाता है। यह व्रत हर विवाहित महिला के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। व्रत की शुरुआत सुबह सरगी खाकर होती है। जिसके बाद महिलाएं रात में चांद देख व्रत खोलती हैं। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जब चांद निकलने का समय आता है तो तब महिलाओं का इंतजार बढ़ जाता है क्योंकि चांद अपनी सामान्य गति से थोड़ा देर से निकलता है, जिससे महिलाओं का इंतजार बढ़ जाता है। इस देरी के पीछे कोई भावनात्मक कारण नहीं, बल्कि शुद्ध वैज्ञानिक कारण छिपा है। आइए समझते हैं कि चंद्रमा देरी से क्यों निकलता है और करवा चौथ पर यह देरी क्यों अधिक महसूस होती है। "देरी से चंद्रोदय" का क्या मतलब है और ऐसा क्यों होता है?

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असल में चंद्रमा के उदय होने का समय Astronomical Mechanics नामक विज्ञान द्वारा तय होता है। यह विज्ञान अंतरिक्ष में ग्रह, चांद और सूरज की गति को समझाता है। चंद्रमा हर दिन आसमान में पूर्व दिशा की ओर बढ़ता है। वह पृथ्वी की परिक्रमा भी पूर्व दिशा में करता है। इस कारण हर रात चंद्रमा को अपनी पिछली जगह से थोड़ा आगे निकलना पड़ता है ताकि वह दोबारा क्षितिज पर दिखाई दे सके।  वैज्ञानिक गणना के अनुसार चंद्रमा हर दिन औसतन लगभग 50 मिनट देरी से उदय होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर अपनी कक्षा में प्रतिदिन लगभग 13 डिग्री आगे बढ़ जाता है। पृथ्वी को अपनी धुरी पर घूमकर उस 13 डिग्री की अतिरिक्त दूरी को कवर करना पड़ता है, ताकि चंद्रमा फिर से दिखाई दे सके। यह अतिरिक्त समय लगभग 50 मिनट का होता है।

नोट: 50 मिनट का यह अंतर हर दिन एक जैसा नहीं रहता। यह कभी कम या ज्यादा भी हो सकता है, क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर एक गोल नहीं, बल्कि अंडाकार (oval) कक्षा में घूमता है। इस वजह से, कभी वह पृथ्वी के करीब होता है और तेज़ गति से चलता है, तो कभी दूर होता है और धीमी गति से।

करवा चौथ पर चांद देरी से क्यों दिखता है?

करवा चौथ पर चंद्रमा के देर से निकलने का कारण चंद्रमा की सामान्य दैनिक गति और उस दिन उसकी विशेष कक्षीय स्थिति का एक प्राकृतिक मेल है।  करवा चौथ का त्यौहार पूर्णिमा के चार दिन बाद (चतुर्थी तिथि को) मनाया जाता है।

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देरी का हिसाब:

पूर्णिमा के दिन चंद्रमा लगभग सूर्यास्त के समय ही उदय होता है। चूंकि चंद्रमा हर दिन औसतन 50 मिनट देरी से निकलता है, तो पूर्णिमा के चार दिन बाद यानी करवा चौथ तक, चंद्रमा के उदय होने के समय में कुल मिलाकर काफी देरी हो चुकी होती है। अगर हम 4 दिन की देरी को जोड़ें (4×50 मिनट), तो यह लगभग 200 मिनट (या 3 घंटे 20 मिनट) की अतिरिक्त देरी होती है।

यही कारण है कि करवा चौथ पर चंद्रमा पूर्णिमा की तुलना में लगभग तीन से साढ़े तीन घंटे देरी से उदय होता है, जिससे व्रतधारियों का इंतजार बढ़ जाता है। यह देरी अलग-अलग स्थानों (शहरों) में थोड़ी कम या ज्यादा भी हो सकती है।

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कहीं जल्दी, कहीं देरी से क्यों दिखता है चांद?

चांद के दिखने का समय दो स्थानीय कारणों पर भी निर्भर करता है:

1.      भौगोलिक बाधाएं: अगर आप ऐसी जगह पर हैं जहाँ ऊंची इमारतें या पहाड़ हैं, तो गणना के हिसाब से चांद निकल चुका होने पर भी आपको वह दिखाई नहीं देगा। चांद तभी दिखेगा जब वह उन बाधाओं से ऊपर उठ जाएगा। इससे आपको लगता है कि चांद देर से निकला है।

2.      वायुमंडल का प्रभाव: पृथ्वी के चारों ओर हवा का घेरा (वायुमंडल) एक बड़े लेंस की तरह काम करता है। जब चांद क्षितिज के पास होता है, तो यह हवा उसकी रोशनी को थोड़ा मोड़ देती है। इस "मुड़ने" के कारण चांद अपनी वास्तविक जगह से थोड़ा ऊपर दिखाई देता है। इससे हमें लगता है कि चांद थोड़ा पहले निकल आया, जबकि वह अभी पूरी तरह ऊपर नहीं आया होता।

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