Edited By Harman Kaur,Updated: 05 Aug, 2025 05:38 PM

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि किसी को भी बांग्ला भाषा के साथ खिलवाड़ करने या उसका अपमान करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। उन्होंने यह सवाल किया कि क्या पश्चिम बंगाल के बिना भारत हो सकता है।
नेशनल डेस्क: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि किसी को भी बांग्ला भाषा के साथ खिलवाड़ करने या उसका अपमान करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। उन्होंने यह सवाल किया कि क्या पश्चिम बंगाल के बिना भारत हो सकता है।
‘‘क्या बांग्ला के बिना भारत हो सकता है?''
ममता बनर्जी ने बंगाली साहित्यकार एवं राष्ट्रगान के रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर और राष्ट्रगीत के रचयिता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘‘किसी को भी हमारी भाषा के साथ खिलवाड़ या उसका अपमान करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।'' मुख्यमंत्री ने सवाल किया, ‘‘क्या बांग्ला के बिना भारत हो सकता है?'' मुख्यमंत्री ने रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं को रेखांकित करते हुए कहा कि उन्होंने सभी को सद्भावना से रहने की शिक्षा दी।
ममता बनर्जी ने हुगली जिले के कामारपुकुर में रामकृष्ण मठ एवं मिशन के अतिथि गृह की आधारशिला रखने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मैं रामकृष्ण परमहंस की सभी धर्मों के बीच सद्भाव की शिक्षा में विश्वास करती हूं।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमारे बीच कोई विभाजन नहीं है, हमने रामकृष्ण परमहंस से सभी के साथ मिलकर रहना सीखा है।''
राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख बनर्जी ने स्वामी विवेकानंद की सीख ‘एकता में शक्ति है' का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी मातृभाषा बांग्ला है, ठीक वैसे ही जैसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस या राजा राममोहन राय की थी। उन्होंने कहा, ‘‘ सभी लोगों और अन्य लोगों के साथ प्रेम और सम्मान का व्यवहार ही धर्म है।''
सीएम ने सभी से रामकृष्ण परमहंस की ‘कथामृत' पढ़ने का आह्वान करते हुए कहा कि लोग पानी को अलग-अलग नामों से पुकारते हैं, लेकिन यह एक ही है। उन्होंने पश्चिम मेदिनीपुर जिले के बाढ़ प्रभावित घाटी का दौरा करने से पहले कहा, ‘‘इसी तरह, मां को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है, लेकिन वह एक ही हैं।''
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर जयरामबती-कामारपुकुर विकास बोर्ड के गठन की भी घोषणा की, जिसके अध्यक्ष कामारपुकुर स्थित रामकृष्ण मठ के सचिव स्वामी लोकोत्तरानंद होंगे।