Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 10 Jul, 2025 12:10 PM

अक्सर हम घर में दवाइयां रख लेते हैं और सोचते हैं कि ज़रूरत पड़ेगी तो इस्तेमाल करेंगे। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक्सपायर हो चुकी दवा या ग़लत हाथों में पड़ी दवा कितनी खतरनाक हो सकती है? भारत की शीर्ष दवा नियामक संस्था केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण...
नेशनल डेस्क: अक्सर हम घर में दवाइयां रख लेते हैं और सोचते हैं कि ज़रूरत पड़ेगी तो इस्तेमाल करेंगे। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक्सपायर हो चुकी दवा या ग़लत हाथों में पड़ी दवा कितनी खतरनाक हो सकती है? भारत की शीर्ष दवा नियामक संस्था केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने 17 दवाओं की एक लिस्ट जारी की है जिनका गलत तरीके से निपटान इंसानों, जानवरों और पर्यावरण तीनों के लिए घातक हो सकता है।
शौचालय में फ्लश करें ये दवाएं
सीडीएससीओ ने इन 17 दवाओं को लेकर सख्त सलाह दी है कि अगर वे एक्सपायर हो चुकी हों या अप्रयुक्त हों तो उन्हें कूड़ेदान में नहीं बल्कि शौचालय में फ्लश कर देना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इनके संपर्क में आने से पालतू जानवर, छोटे बच्चे या कोई अनजान व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार हो सकता है।
कौन-कौन सी हैं वो खतरनाक दवाएं?
इन दवाओं में शामिल हैं:
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ट्रामाडोल (Tramadol)
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टेपेंटाडोल (Tapentadol)
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डायजेपाम (Diazepam)
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ऑक्सीकोडोन (Oxycodone)
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फेंटेनाइल (Fentanyl)
इनमें से कई दवाएं तेज दर्द, चिंता या बेचैनी कम करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं लेकिन एक्सपायर होने या गलत तरीके से प्रयोग किए जाने पर ये दवाएं मृत्यु तक का कारण बन सकती हैं।
एक खुराक भी हो सकती है जानलेवा
सीडीएससीओ के अनुसार, इन दवाओं की सिर्फ एक खुराक अगर गलत व्यक्ति द्वारा ली जाए तो वह जानलेवा साबित हो सकती है। खासकर जब कोई दवा उस व्यक्ति के लिए निर्धारित न हो, तब उसका असर बेहद खतरनाक हो सकता है। बच्चों या पालतू जानवरों के हाथ लग जाने पर यह दुर्घटना का कारण बन सकती है। इन दवाओं का इस्तेमाल आमतौर पर नीचे दी गई समस्याओं के लिए किया जाता है:
हालांकि ये दवाएं डॉक्टर की सलाह से सही व्यक्ति को दी जाएं तो फायदेमंद होती हैं लेकिन एक्सपायर हो जाने पर या अनावश्यक सेवन से यह जहर जैसी असरदार बन जाती हैं।सीडीएससीओ के 'गाइडलाइन दस्तावेज' में यह भी कहा गया है कि अनुचित तरीके से दवा फेंकने से न केवल लोगों की सेहत को बल्कि पर्यावरण और वन्य जीवन को भी खतरा होता है। अगर ये दवाएं पानी के स्रोतों में मिल जाएं तो पीने वाले पानी को भी विषैला बना सकती हैं। इससे नदी, झील और अन्य जलाशयों में रहने वाले जीवों की जान पर भी बन सकती है।
चोरी और दुरुपयोग का भी खतरा
घर या मेडिकल स्टोर में एक्सपायर हो चुकी दवाओं को यूं ही पड़ा छोड़ना एक और खतरे को जन्म देता है—दवाओं की चोरी और पुनः बिक्री। ऐसी दवाएं काला बाजार में बेची जा सकती हैं और फिर नशे या अपराध में दुरुपयोग हो सकता है।
‘ड्रग टेक बैक’ योजना की जरूरत
सीडीएससीओ ने अपने दस्तावेज में सभी राज्य औषधि नियंत्रण विभागों और केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन को सलाह दी है कि वे कुछ जगहों पर ‘ड्रग टेक बैक कार्यक्रम’ शुरू करें।
इस कार्यक्रम के तहत लोग अपने घरों से एक्सपायर या अनुपयोगी दवाओं को जमा कर सकते हैं, ताकि उनका सही और सुरक्षित तरीके से निपटान हो सके।
ये नियम कानून भी होंगे सख्त
इस गाइडलाइन का मकसद है कि लोग ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट और उससे जुड़े नियमों के तहत कानूनी रूप से सही प्रक्रिया अपनाएं। इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खतरा कम होगा और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।
क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
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एक्सपायर या अनयूज्ड दवाओं को पहचानें
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लिस्ट में शामिल दवाएं तुरंत फ्लश करें
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बच्चों और पालतू जानवरों की पहुंच से दवाएं दूर रखें
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ड्रग टेक बैक प्रोग्राम में भाग लें
क्या न करें:
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एक्सपायर्ड दवाओं को कूड़ेदान में न फेंकें
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दूसरों को अपनी बची हुई दवा न दें
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बगैर डॉक्टर की सलाह के दवा का इस्तेमाल न करें