ट्रंप टैरिफ विवाद के बीच चीन में शी जिनपिंग और पुतिन के साथ अहम बैठक करेंगे पीएम मोदी

Edited By Updated: 28 Aug, 2025 03:25 PM

modi meets xi and putin amid us tariff tensions

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। बता दें यह उनकी सात वर्षों में पहली चीन यात्रा...

इंटरनेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। बता दें यह उनकी सात वर्षों में पहली चीन यात्रा होगी। इससे पहले पीएम मोदी साल 2018 में चीन के वुहान में शी जिनपिंग से अनौपचारिक बैठक कर चुके हैं। इस बार की मुलाकात खासतौर पर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ऐसे समय में हो रही है जब भारत अमेरिका के साथ आर्थिक और कूटनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है।

अमेरिकी टैरिफ और आर्थिक दबाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत के प्रमुख निर्यात उत्पादों जैसे इस्पात, कपड़ा और कृषि उत्पादों पर भारी टैरिफ बढ़ा दिया है। कई मामलों में ये शुल्क 50 प्रतिशत तक पहुंच गए हैं। इस टैरिफ वृद्धि से भारत के निर्यातकों को काफी नुकसान हो रहा है। भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में इस मामले पर चर्चा की है और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। साथ ही अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर पर भी दबाव बढ़ाया है बता दें जिनमें भारत भी शामिल है। यूक्रेन युद्ध के कारण पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए हैं, पर भारत ने अभी तक रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया है। इससे अमेरिका-भारत संबंधों में तनाव बढ़ा है।

चीन के साथ धीरे-धीरे सुधरते रिश्ते

भारत और चीन के बीच हाल के वर्षों में काफी तनाव रहा है, खासकर जून 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भी तनाव रहा। लेकिन अब दोनों देशों ने शांति कायम रखने के लिए सैन्य और कूटनीतिक बातचीत की शुरू की है। हालांकि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारी सैनिक तैनाती अभी भी बनी हुई है, दोनों सरकारें तनाव कम करने की कोशिश कर रही हैं। यह बैठक इस बात का संकेत है कि भारत-चीन संबंधों में अब धीरे-धीरे सुधार की दिशा में कदम बढ़ रहे हैं।

रूस के साथ गहरे रिश्तों की पुष्टि

रूस यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद भारत के साथ अपने पारंपरिक साझेदारी को मजबूत करने में लगा है। पुतिन और मोदी की बैठक में यह भी चर्चा हो सकती है कि कैसे भारत, रूस और चीन के बीच त्रिपक्षीय बातचीत को आगे बढ़ाया जाए। मॉस्को के लिए भारत एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है और वे इस साझेदारी को और गहरा करना चाहते हैं। यह बैठक दोनों देशों के बीच आर्थिक, रक्षा और कूटनीतिक सहयोग के लिए भी महत्वपूर्ण होगी।

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) क्या है?

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में लगभग 20 देश शामिल हैं, जिनमें मध्य एशिया, दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया के देश प्रमुख हैं। यह संगठन क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और राजनीतिक संवाद के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है। चीन इस सम्मेलन को वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच अपनी नेतृत्व क्षमता दिखाने और रूस को कूटनीतिक समर्थन देने का अवसर मानता है। वहीं भारत के लिए यह मंच अपनी बहुपक्षीय नीति को मजबूत करने और बदलते वैश्विक राजनीतिक परिदृश्यों में खुद को एक संतुलनकारी शक्ति के रूप में स्थापित करने का महत्वपूर्ण जरिया है।

इन सभी बैठकों और चर्चाओं के बीच भारत अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाना चाहता है। अमेरिका के साथ आर्थिक तनाव के बावजूद, भारत ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बनाए रखने का संकेत दिया है। चीन और रूस के साथ बेहतर संबंध बनाने की कोशिश से भारत क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक कूटनीति में अपनी भूमिका मजबूत करना चाहता है। यह बैठकें भारत के लिए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश तय करेंगी कि भविष्य में कैसे वह बड़े वैश्विक शक्तियों के बीच अपने हितों को संतुलित कर सके।

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