केरल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला- मुस्लिमों को दूसरी शादी करवाने से पहले माननी होगी ये शर्त

Edited By Updated: 20 Sep, 2025 02:06 PM

muslims will have to accept this condition before getting married for the second

केरल हाई कोर्ट ने मुसलमानों के एक से ज़्यादा शादी करने के मामले में एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कुरान का हवाला देते हुए कहा है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ एक से ज़्यादा शादियों की अनुमति देता है, लेकिन इस पर कुछ शर्तें लागू होती हैं।

नेशनल डेस्क: केरल हाई कोर्ट ने मुसलमानों के एक से ज़्यादा शादी करने के मामले में एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कुरान का हवाला देते हुए कहा है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ एक से ज़्यादा शादियों की अनुमति देता है, लेकिन इस पर कुछ शर्तें लागू होती हैं।

क्या है कोर्ट का फैसला?

जस्टिस पी.वी. कुन्हीकृष्णन की बेंच ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपनी मौजूदा पत्नियों का सही से भरण-पोषण नहीं कर सकता है, तो उसे दोबारा शादी करने का कोई हक नहीं है। कोर्ट ने एक मामले में समाज कल्याण विभाग को निर्देश दिया कि वे एक अंधे व्यक्ति को काउंसलिंग दें, जो भीख मांगकर जीवन चलाता है और तीसरी शादी करने की कोशिश कर रहा है। कोर्ट ने कहा कि कुरान की आयतों में भी कहा गया है कि जो व्यक्ति अपनी पत्नियों का भरण-पोषण नहीं कर सकता, वह दोबारा शादी नहीं कर सकता।

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क्या था पूरा मामला?

यह मामला मलप्पुरम के एक अंधे भिखारी का है, जिसने दो शादियां की हैं। उसकी दूसरी पत्नी ने फैमिली कोर्ट में गुहार लगाई थी कि उसका पति भीख मांगकर हर महीने करीब ₹25,000 कमाता है, फिर भी उसका गुजारा नहीं कर रहा। वहीं फैमिली कोर्ट ने उसकी अर्जी खारिज कर दी थी, यह कहते हुए कि एक भिखारी को गुजारा भत्ता देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

ये भी पढ़ें- हाईकोर्ट का बड़ा फैसला- शादी न होने पर सहमति से शारीरिक संबंध बनाना अब दुष्कर्म नहीं

 

महिला ने हाई कोर्ट में अपील की और आरोप लगाया कि उसका पति उसे तलाक की धमकी दे रहा है और तीसरी शादी करने की योजना बना रहा है। हाई कोर्ट ने भी फैमिली कोर्ट के फैसले को सही माना, लेकिन व्यक्ति की तीसरी शादी की कोशिश पर चिंता जताई।

कानून की जागरूकता की कमी

हाई कोर्ट ने कहा कि अक्सर लोग मुस्लिम पर्सनल लॉ के बारे में सही जानकारी न होने की वजह से कई शादियां कर लेते हैं, भले ही वे अपनी पत्नियों का भरण-पोषण करने में सक्षम न हों। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे लोगों की मदद करे और जब कोई व्यक्ति बार-बार शादियां करता है, तो सरकार को इसमें दखल देना चाहिए।

 

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