भारत में आखिर क्यों आई कोरोना वायरस की दूसरी लहर, सामने आई ये चौंकाने वाली वजह!

Edited By Anil dev,Updated: 07 Apr, 2021 06:26 PM

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स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड उचित व्यवहार के पालन में कमी, संवेदनशील आबादी और कोरोना वायरस के नए स्वरूपों का प्रसार देश में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं। भारत में पिछले 24 घंटे में संक्रमण के रिकॉर्ड 1.15 लाख से...

नेशनल डेस्क: स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड उचित व्यवहार के पालन में कमी, संवेदनशील आबादी और कोरोना वायरस के नए स्वरूपों का प्रसार देश में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं। भारत में पिछले 24 घंटे में संक्रमण के रिकॉर्ड 1.15 लाख से अधिक मामले सामने आए और इसके साथ ही महामारी के कुल मामलों की संख्या बढ़कर बुधवार को 1,28,01,785 हो गई। लाइफकोर्स एपिडेमियोलॉजी, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रोफेसर एवं प्रमुख, डॉक्टर गिरिधर आर बाबू ने कहा कि संक्रमण के मामलों में वृद्धि के लिए तीन महत्वपूर्ण कारकों को जिम्मेदार माना जा सकता है। 

बाबू ने कहा, यद्यपि सरकार ने इसे नहीं माना है क्योंकि कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं है, लेकिन वायरस के नए चिंताजनक स्वरूपों की निश्चित ही भूमिका है जो अधिक संक्रामक हैं और संभवत: इनमें से रोग प्रतिरोधक क्षमता से बच निकलने में कामयाब रहने वाले कुछ स्वरूप हैं और वे पूर्व के स्वरूपों की तुलना में अधिक तेज गति से फैल रहे हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देनेवाले इन स्वरूपों को व्यक्ति के शरीर की एंटीबॉडीज पकड़ नहीं पातीं। वायरस का ब्राजीलियाई स्वरूप सामान्यत: ऐसा ही स्वरूप है जो इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देने में सफल रहता है। दक्षिण अफ्रीकी स्वरूप का एक उप-समूह भी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली से बच निकलने में सफल रहता है। उन्होंने कहा, भारत में टीकाकरण की गति अपेक्षा के अनुरूप तेज नहीं है। संवेदनशील श्रेणी के लोगों के टीकाकरण की गति संतोषजनक नहीं है।

बाबू ने कहा कि विशेष तौर पर यह कहना काफी कठिन है कि भारत में संक्रमण के मामलों में वृद्धि के लिए वायरस के नए स्वरूप जिम्मेदार हैं या नहीं क्योंकि जीनोम सीक्वेंसिंग अपेक्षा के अनुरूप नहीं हुई है। पुनर्संक्रमण की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि एंटीबॉडीज के दुर्बल होने की वजह से ऐसा हो सकता है। उन्होंने कहा कि पुनर्संक्रमण की संभावना को लेकर विस्तृत अध्ययन नहीं हुआ है और परिणामस्वरूप ऐसे लोगों की संख्या काफी अधिक है जो संवेदनशील हैं। बाबू ने कहा कि पर्यावरण कारक और सामुदायिक व्यवहार की भी इसमें भूमिका है। उन्होंने कहा, हमारे द्वारा की जानेवाली हर चीज, चाहे ये रैलियां हों, मेला आयोजन हो, शादियां हों, इन सबसे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण फैल रहा है।

महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर एन के अरोड़ा ने कहा कि संक्रमण के मामलों में चार-पांच कारणों की वजह से वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि बीमारी के शुरू के छह महीनों में लोगों में जो डर था, वह अब काफी कम हो गया है क्योंकि अब अर्थव्यवस्था खुल गई है। लोगों ने बाहर निकलना शुरू कर दिया है और वे कोविड-उचित व्यवहार पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं। अरोड़ा ने कहा कि सामाजिक कार्यक्रमों की संख्या में वृद्धि हुई है और लोगों ने छुट्टी मनाने के लिए भी बाहर जाना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह सब डर कम होने तथा इस अवधारणा की वजह से है कि संबंधित बीमारी एक मामूली बीमारी है। अरोड़ा ने कहा कि मास्क पहनने की आदत में नाटकीय रूप से कमी आई है। वायरस के नए स्वरूपों की भूमिका से संबंधित सवाल पर उन्होंने कहा कि मुद्दे पर कई पहलू हैं। उन्होंने कहा कि समुदाय में संवेदनशील लोगों की संख्या अब भी काफी ज्यादा है जिसकी वजह से मामलों में वृद्धि हो रही है।

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