हिमाचल में कुदरत का कहर: बादल फटने से 19 मौतें, 56 लोग अभी तक लापता, 370 लोगों का रेस्क्यू

Edited By Updated: 03 Jul, 2025 02:49 PM

natural disaster in himachal 19 deaths due to cloudburst

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में बादल फटने और भारी बारिश के चलते भारी तबाही मची है। अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 56 लोग लापता हैं। प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए हैं। सबसे अधिक नुकसान मंडी जिले के सराज क्षेत्र में हुआ है, जहां 46...

National Desk : हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में बादल फटने और भारी बारिश के चलते भारी तबाही मची है। अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 56 लोग लापता हैं। प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए हैं। सबसे अधिक नुकसान मंडी जिले के सराज क्षेत्र में हुआ है, जहां 46 लोग लापता हैं। थुनाग क्षेत्र में 8 लोगों की मौत हुई है जबकि पखरैर से 18, जरोल से 7, चिऊणी से 4 और पांडवशीला से 1 व्यक्ति लापता है। गोहर उपमंडल के स्यांज और बाड़ा परवाड़ा में 6 लोगों की मौत, 8 लापता होने की पुष्टि हुई है। करसोग उपमंडल में एक व्यक्ति की मौत और दो लोग लापता हैं। कांगड़ा जिले में दो, जबकि नादौन और जोगिंद्रनगर में एक-एक व्यक्ति की जान गई है।

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मंडी जिले के प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया और वायुसेना से आपदा राहत में मदद मांगी है। अब तक 370 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया है। थुनाग और जंजैहली उपमंडल में भूस्खलन और भारी बारिश के चलते सड़कें पूरी तरह ध्वस्त हो गई हैं। कई गांवों का संपर्क कट गया है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की टीमें राहत व बचाव कार्यों में जुटी हैं। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे खराब मौसम को देखते हुए सुरक्षित स्थानों पर रहें और यात्रा से बचें। मौसम विभाग ने आगामी दिनों में और बारिश की चेतावनी जारी की है।

मंडी जिला हुआ सबसे अधिक प्रभावित
हिमाचल प्रदेश में सोमवार रात हुई भारी बारिश और बादल फटने की घटनाओं के बाद प्रदेश में आपदा जैसे हालात बन गए हैं। भूस्खलन और मलबा गिरने से 100 से ज्यादा सड़कें अब भी बाधित हैं, जिससे कई इलाकों का संपर्क कट गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अकेले मंडी जिले में 148 घर, 104 गोशालाएं और 14 पुल ध्वस्त हो चुके हैं। इसके अलावा 31 वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं। प्रदेशभर में अब तक 918 बिजली ट्रांसफार्मर और 683 पेयजल योजनाएं ठप हो गई हैं, जिससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। कुल्लू की बंजार घाटी में भारी बारिश के चलते फंसे करीब 250 पर्यटकों को प्रशासन ने सुरक्षित बाहर निकाल लिया है। रेस्क्यू ऑपरेशन में स्थानीय प्रशासन के साथ एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार जुटी हुई हैं।

सरकार के अनुसार, 20 जून से 2 जुलाई के बीच प्रदेश में बारिश और उससे जुड़ी घटनाओं में 63 लोगों की मौत हो चुकी है। 109 लोग घायल हुए हैं, जबकि 40 अब भी लापता हैं।इसी अवधि में 13 पक्के और 44 कच्चे मकान ध्वस्त, तथा 179 गोशालाएं क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। कुल मिलाकर प्रदेश को अब तक लगभग 407 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हो चुका है।आपदा के साथ-साथ सड़क हादसों ने भी कहर ढाया है, जिनमें अब तक 26 लोगों की मौत हुई है।प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे मौसम को देखते हुए जरूरी सतर्कता बरतें और नदी-नालों व संवेदनशील इलाकों से दूर रहें। भारी बारिश का सिलसिला फिलहाल जारी रहने की संभावना है।

एक सप्ताह तक भारी बारिश का अलर्ट जारी
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश का सिलसिला जारी है और मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने आगामी 9 जुलाई तक के लिए वर्षा का अलर्ट जारी किया है। 3 और 4 जुलाई को येलो अलर्ट, जबकि 5 से 9 जुलाई तक कई क्षेत्रों में ऑरेंज अलर्ट घोषित किया गया है। विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे सतर्क रहें, नदी-नालों और भूस्खलन संभावित इलाकों से दूर रहें तथा मौसम के अनुसार अपनी यात्रा की योजना बनाएं। बीते 24 घंटों में राज्य के कई हिस्सों में भारी वर्षा रिकॉर्ड की गई है। सबसे अधिक 133.3 मिमी बारिश पच्छाद में हुई है। इसके अलावा मैहरे बड़सर में 92.0 मिमी, जुब्बड़हट्टी में 59.4 मिमी, ऊना में 55.2 मिमी और बैजनाथ में 55.0 मिमी वर्षा दर्ज की गई। अन्य स्थानों पर भी मध्यम से भारी बारिश हुई है।

मनाली-लेह मार्ग हुआ प्रभावित
वहीं, मनाली-लेह मार्ग पर भी बारिश का प्रभाव देखने को मिला है। सोलंगनाला के पास पहली स्नो गैलरी के समीप भारी भूस्खलन और बादल फटने के कारण बहते नाले में उफान आ गया, जिससे सड़क पर भारी मलबा जमा हो गया और मार्ग बंद हो गया है। डीएसपी मनाली केडी शर्मा के अनुसार, सीमा सड़क संगठन (BRO) को मार्ग बहाल करने के निर्देश दिए गए हैं।

जल शक्ति विभाग के परियोजना को पहुंचा नुकसान
भारी बारिश और भूस्खलन का असर जल शक्ति विभाग की योजनाओं पर भी पड़ा है। अब तक विभाग की 3,698 परियोजनाएं क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, जिनमें 2,786 जलापूर्ति, 733 सिंचाई और 41 सीवरेज परियोजनाएं शामिल हैं। उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि विभाग को अब तक लगभग 240 करोड़ रुपये की क्षति हुई है। हालात की गंभीरता को देखते हुए विभाग को त्वरित बहाली कार्य के निर्देश दिए गए हैं। वर्तमान में युद्धस्तर पर कार्य जारी है और 1,591 जलापूर्ति योजनाएं अस्थायी रूप से बहाल कर दी गई हैं, जबकि शेष पर कार्य प्रगति पर है।


 

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