नए लेबर कोड से आपको नफा या नुकसान, 30,000 की सैलरी पर कितनी ग्रेच्युटी? देखें पूरा कैलकुलेशन

Edited By Updated: 10 Dec, 2025 02:35 PM

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नए लेबर कोड के लागू होने से ग्रेच्युटी नियमों में बड़ा बदलाव संभव है। फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों को अब 1 साल की सेवा पर भी ग्रेच्युटी मिल सकती है, जबकि स्थायी कर्मचारियों के लिए 5 साल की शर्त पहले जैसी ही रहेगी। वेज की नई परिभाषा के तहत बेसिक सैलरी...

नेशनल डेस्क : नए लेबर कोड को लागू करने की तैयारियों के बीच सबसे बड़ी चिंता यही है कि इसका सीधा असर नौकरीपेशा लोगों की बचत और रिटायरमेंट फंड पर किस तरह पड़ेगा। ग्रेच्युटी, जो लंबे समय तक सेवा देने वाले कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय सुरक्षा है, नए प्रावधानों के बाद बदल सकती है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि प्रस्तावित व्यवस्था आपके लिए फायदेमंद साबित होगी या नुकसानदेह।

क्या 1 साल की नौकरी पर भी मिलेगी ग्रेच्युटी?
नए लेबर कोड में कर्मचारियों की श्रेणियों के अनुसार कुछ राहतें प्रस्तावित हैं। इनमें सबसे बड़ी राहत फिक्स्ड टर्म यानी कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों को मिलने वाली है। अभी तक ग्रेच्युटी प्राप्त करने के लिए किसी कंपनी में कम से कम 5 वर्षों की निरंतर सेवा अनिवार्य थी। लेकिन नए प्रस्तावों के अनुसार फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों के लिए यह सीमा घटाकर सिर्फ 1 वर्ष कर दी गई है।

यानी कोई भी कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी यदि एक वर्ष का कार्यकाल पूरा करता है, तो वह ग्रेच्युटी पाने का पात्र होगा। वहीं नियमित, स्थायी कर्मचारियों के लिए 5 साल की न्यूनतम सेवा अवधि का नियम पहले की तरह ही लागू रहेगा। कानूनी विशेषज्ञ कृति कौशिक (पार्टनर, शार्दूल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी) का कहना है कि परमानेंट कर्मचारियों के लिए 5 साल का नियम जारी रहेगा, जबकि फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों को उनकी सेवा अवधि के आधार पर प्रो-राटा भुगतान मिलेगा।

ग्रेच्युटी पर सबसे बड़ा असर: ‘वेज’ की नई परिभाषा
नए लेबर कोड का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा वेजेज की नई परिभाषा है। प्रस्तावित नियमों के अनुसार आपकी बेसिक सैलरी कुल CTC का कम से कम 50% होनी चाहिए। यदि आपके अलाउंसेज़ कुल वेतन के 50% से अधिक हैं, तो इस अतिरिक्त राशि को वेजेज की श्रेणी में शामिल कर दिया जाएगा। यह बदलाव सीधे ग्रेच्युटी गणना को प्रभावित करेगा। वर्तमान व्यवस्था में ग्रेच्युटी केवल बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते (DA) पर आधारित होती थी। लेकिन नए नियम के तहत वेज का दायरा बढ़ने से ग्रेच्युटी की राशि स्वाभाविक रूप से बढ़ जाएगी।

ग्रेच्युटी कैसे तय होती है?
सरकार द्वारा निर्धारित मानक फॉर्मूला इस प्रकार है:

(अंतिम बेसिक सैलरी + DA) × (15/26) × (नौकरी के कुल वर्ष)

15 = हर वर्ष के लिए 15 दिन की सैलरी
26 = औसतन 26 वर्किंग डेज़ (30 दिनों में से 4 रविवार हटाकर)

यह फॉर्मूला समझने में सरल है और केवल बेसिक + DA पर आधारित होता है।

30,000 रुपये बेसिक सैलरी पर कितनी ग्रेच्युटी मिलेगी?

मान लें किसी कर्मचारी की ग्रॉस सैलरी 70,000 रुपये है और उसने 10 वर्ष तक सेवा की है। उसकी बेसिक सैलरी 30,000 रुपये और भत्ते 40,000 रुपये हैं।
चूंकि भत्ते कुल वेतन के 50% यानी 35,000 रुपये से 5,000 रुपये अधिक हैं, इसलिए यह 5,000 रुपये बेसिक सैलरी में जोड़ दिए जाएंगे।

नए नियमों के अनुसार:
नया वेज = 30,000 + 5,000 = 35,000 रुपये
फॉर्मूला: 15/26 × (35,000 × 10)
ग्रेच्युटी = 2,01,923 रुपये (लगभग)

मौजूदा नियमों के अनुसार:
गणना के लिए बेसिक सैलरी = 30,000 रुपये
फॉर्मूला: 15/26 × (30,000 × 10)
ग्रेच्युटी = 1,73,076 रुपये (लगभग)

स्पष्ट है कि नए नियमों के लागू होने पर कर्मचारी को लगभग 28,847 रुपये का अतिरिक्त लाभ मिल सकता है।

क्या 5 साल पूरे किए बिना भी ग्रेच्युटी मिलेगी?
विशेषज्ञों के अनुसार 5 वर्ष की अनिवार्य सेवा केवल सामान्य परिस्थितियों में लागू है। यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है या वह दिव्यांगता का शिकार हो जाता है, तो इस स्थिति में सेवा अवधि 5 वर्ष से कम होने पर भी ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाता है। इसके अलावा फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों को उनके कॉन्ट्रैक्ट की अवधि के आधार पर प्रो-राटा ग्रेच्युटी दी जाएगी, चाहे उनका कार्यकाल 5 वर्ष से कम क्यों न हो।

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