OIC की बैठक बनी पाकिस्तान की पक्षपातपूर्ण राजनीति का मंच, भारत पर उठाए सवाल

Edited By Harman Kaur,Updated: 24 Jun, 2025 06:49 PM

oic meeting became a platform for pakistan s partisan politics

तुर्किए के इस्तांबुल में आयोजित इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक एक बार फिर भारत विरोधी एजेंडे का मंच बन गई। 57 मुस्लिम देशों वाले इस संगठन ने अपने साझा बयान में जहां भारत-पाकिस्तान के बीच 1960 में हुए सिंधु जल समझौते...

नेशनल डेस्क: तुर्किए के इस्तांबुल में आयोजित इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक एक बार फिर भारत विरोधी एजेंडे का मंच बन गई। 57 मुस्लिम देशों वाले इस संगठन ने अपने साझा बयान में जहां भारत-पाकिस्तान के बीच 1960 में हुए सिंधु जल समझौते (IWT) को कायम रखने की अपील की, वहीं कश्मीर और सैन्य कार्रवाई को लेकर भारत पर एकतरफा आरोप लगाए।

सिंधु जल संधि को लेकर कही ये बात
बैठक के बाद जारी बयान में OIC ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को सिंधु जल संधि का पूरी तरह पालन करना चाहिए और इसे किसी भी स्थिति में तोड़ा नहीं जाना चाहिए। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत ने हाल ही में हुए पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को पानी रोकने का इशारा दिया था, जिस पर इस्लामाबाद ने सख्त ऐतराज़ जताया था।

OIC ने बयान में कश्मीर को लेकर भी पाकिस्तान की लाइन को पूरी तरह अपनाते हुए कहा कि "हम कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करते हैं और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों तथा OIC के दृष्टिकोण का सम्मान करते हैं।" भारत की तरफ से लंबे समय से यह स्पष्ट किया जाता रहा है कि कश्मीर उसका आंतरिक मामला है और किसी तीसरे पक्ष की भूमिका को वह मान्यता नहीं देता। OIC ने दक्षिण एशिया में बढ़ती सैन्य गतिविधियों पर चिंता जताते हुए भारत द्वारा "पाकिस्तान पर सैन्य हमलों" का उल्लेख किया और संयम बरतने की अपील की। यह बयान भारत के लिए स्पष्ट संकेत है कि पाकिस्तान OIC को भारत के खिलाफ कूटनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करता आ रहा है।

सेना प्रमुख की मौजूदगी बनी चर्चा का विषय
बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार के साथ सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की मौजूदगी ने भी खास ध्यान खींचा। मुनीर ने तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन से मुलाकात की, जो बैठक के एजेंडे से बाहर थी। माना जा रहा है कि इस मुलाकात का प्रभाव OIC के बयान की भाषा और भारत के प्रति रुख पर पड़ा है।

भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती
OIC का यह रवैया भारत के लिए एक नई कूटनीतिक चुनौती खड़ी कर रहा है। एक ओर भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर वैश्विक नेतृत्वकर्ता और विकास साझेदार की भूमिका में है, वहीं दूसरी ओर OIC जैसे मंचों पर पाकिस्तान के प्रभाव के चलते उसे आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। अब सिंधु जल समझौते जैसे दशकों पुराने शांतिपूर्ण समझौतों को भी भूराजनैतिक टकराव का विषय बनाया जा रहा है, जिससे दक्षिण एशिया में अस्थिरता और गहराने की आशंका है।

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