राजनीति से हटके; देश-विदेश में पकौड़ों के कद्रदान कम नहीं, देते हैं फास्ट फूड को टक्कर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Feb, 2018 02:01 PM

pakodas are famous in india and abroad also

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पकौड़ा बेचने की तुलना रोजगार से क्या कर दी कि सड़क से लेकर संसद तक चारों ओर ‘पकौड़ा प्रकरण’ की चर्चा होने लगी है। कोई इस बयान के लिए उन पर तंज कस रहा है तो कोई इसकी कड़ी आलोचना कर रहा है, वहीं कुछ नेताओं ने विरोध में...

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पकौड़ा बेचने की तुलना रोजगार से क्या कर दी कि सड़क से लेकर संसद तक चारों ओर ‘पकौड़ा प्रकरण’ की चर्चा होने लगी है। कोई इस बयान के लिए उन पर तंज कस रहा है तो कोई इसकी कड़ी आलोचना कर रहा है, वहीं कुछ नेताओं ने विरोध में बाकायदा सड़क पर पकौड़े की दुकान ही लगा ली। मोदी के बयान पर सोशल मीडिया पर चल रही चटखारेदार चर्चा, तमाम राजनीति एवं आलोचनाओं को किनारे कर दें तो इस सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता कि पकौड़े वास्तव में देश के लगभग हर हिस्से में बहुतों को रोजगार दे रहे हैं और उनके परिवार का पेट भर रहे हैं। इन गर्मागर्म बहसों और चर्चाओं के बीच जिन पकौड़ों को अचानक इतनी तबज्जो मिलने लगी है, उनके देश के कोने-कोने के साथ-साथ देश के बाहर भी बहुत कद्रदान हैं और सड़क से लेकर पांच सितारा होटलों तक इनकी धूम है।
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यहां के फेमस हैं पकौड़े
-दिल्ली के स्ट्रीट फूड में शामिल तरह-तरह की सब्जियों या पनीर के पकौड़े

-दक्षिण भारत में सड़क किनारे मिलने वाली भजिया

-बिहार का मुंह में पानी लाने वाला तरुआ या बचका

-पश्चिम बंगाल का आलू चॉप, प्याज से बनने वाली पियाजी, केवल बेसन से बनी फुलौरी हो या मछली के पकौड़े

-राजस्थान का चटपटा मिर्ची बड़ा

-महाराष्ट्र में मिलने वाली भाजी या सीफूड के पकौड़े

-गोवा में बनाए जाने वाले काजू के पकौड़े, सभी बड़े पैमाने पर पसंद किए जाते हैं।

देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नाम से जाना जाने वाला पकौड़ा मूल रूप से देसी व्यंजन है। पूरे भारतीय उप महाद्वीप में इसके कद्रदानों की कमी नहीं है।
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विदेशों में भी पकौड़ों की धूम
बेसन के घोल में लिपटी तरह-तरह की सब्जियों और मछली, अंडे तथा सीफूड के पकौड़ों को पाकिस्तान, बंगलादेश और नेपाल में भी खासा पसंद किया जाता है।
पकौड़ा अफगानी भोजन का भी अभिन्न हिस्सा है। दक्षिण एशिया के अलावा यह ब्रिटेन में भी खासा मशहूर है।

-विशेष रूप से स्कॉटलैंड में इसके कद्रदान कुछ ज्यादा ही हैं, वहां फास्ट फूड स्नैक के रूप में यह काफी पसंद किया जाता है।

-इटली में ऐसा ही एक व्यंजन ‘फ्रितो मिस्तो’ के नाम से जाना जाता है जिसमें सब्जियों, मांस और सीफूड को विशेष प्रकार के घोल में लपेटकर ऑलिव आयल में तला जाता है।


-अमेरिका और यूरोप में यह ‘फ्रिटर्स’ के नाम से मशहूर है। यहां मक्के के दानों और सब्जियों को छोटे टुकड़ों में काट कर घोल में लपेट कर तला जाता है।


-चीन में भी इसके चलन का जिक्र मिलता है।


-इसके अलावा जापान में पारदर्शी चावल के आटे में लिपटा नाजुक सा नजर आने वाला ‘टेंपुरा’ भी पकौड़े का ही एक अवतार है जो मांसाहारी तथा शाकाहारी दोनों ही प्रकार का होता है।

उत्तर भारत में सर्दी और बरसात के रिमझिम मौसम में खास तौर पर लोग पकौड़ों का लुत्फ उठाते हैं। किसी अतिथि के अचानक आगमन पर उसके स्वागत में तुरत-फुरत में यह व्यंजन तैयार किया जा सकता है। दोपहर के भोजन में व्यंजनों की संख्या बढ़ानी हो या शाम की चाय के साथ कुछ स्वादिष्ट खिलाने की इच्छा हो, पकौड़े सबसे पहले याद आते हैं। शहरों में ही नहीं गांवों में भी जगह-जगह सड़क किनारे ठेलों पर अक्सर पकौड़े बिकते नजर आ जाते हैं लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि यह केवल सड़क किनारे ही मिलते हैं। नामी-गिरामी रेस्तरां और पांच सितारा होटलों के मेन्यू में भी इसे प्रमुखता से शामिल किया जाता है और लोग इसका खूब लुत्फ उठाते हैं।

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