वोटों का जादू या धांधली? महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पर उठे गंभीर सवाल, राहुल गांधी ने लगाया बड़ा आरोप

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 07 Jun, 2025 02:12 PM

rahul gandhi made a big allegation on maharashtra assembly

महाराष्ट्र के साल 2024 विधानसभा चुनाव को लेकर एक नई बहस गरम है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि यह सिर्फ मामूली गड़बड़ियों का मामला नहीं बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं पर संगठित कब्जे और सुनियोजित धांधली का संकेत है। आधिकारिक...

नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र के साल 2024 विधानसभा चुनाव को लेकर एक नई बहस गरम है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि यह सिर्फ मामूली गड़बड़ियों का मामला नहीं बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं पर संगठित कब्जे और सुनियोजित धांधली का संकेत है। आधिकारिक आँकड़ों और नियमों में समय-समय पर किए गए बदलावों को सामने रखकर नेता विपक्ष ने कहा कि अगर इन तथ्यों की पड़ताल न हुई तो जनता का चुनाव-प्रक्रिया पर से भरोसा हिल जाएगा। 

चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में बदला “अंपायर”

राहुल गांधी ने आगे बताया कि  साल 2023 के चुनाव आयुक्त अधिनियम ने नियुक्ति-प्रक्रिया को पूरी तरह बदल दिया। अब चयन-समिति में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री हैं जबकि तीसरे सदस्य के तौर पर केवल नेता विपक्ष को रखा गया है। बहुमत 2-1 का है इसलिए विपक्षी मत का वजन लगभग शून्य हो गया। साथ ही देश के मुख्य न्यायाधीश को समिति से हटाकर उनकी जगह एक कैबिनेट मंत्री को लाया गया। आलोचकों का तर्क है कि जब खिलाड़ी ही अंपायर तय करेंगे तो निष्पक्षता पर स्वाभाविक शक उठेगा।

महाराष्ट्र चुनाव में वोटरों की बेमिसाल छलाँग

राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनाव पर बताया कि चुनाव आयोग के अनुसार साल 2019 विधानसभा चुनाव तक महाराष्ट्र में 8.98 करोड़ पंजीकृत मतदाता थे। मई 2024 के लोकसभा चुनाव तक यह संख्या 9.29 करोड़ पहुँची यानी पाँच साल में 31 लाख की सामान्य-सी बढ़त। उन्होनें आगे कहा कि हैरत की बात यह है कि अगले सिर्फ पाँच महीने बाद नवंबर 2024 के विधानसभा चुनाव तक मतदाताओं की गिनती 9.70 करोड़ दर्ज हो गई। यह 41 लाख की अतिरिक्त वृद्धि है जबकि राज्य सरकार के अनुमान में वयस्क जनसंख्या कुल 9.54 करोड़ ही है। उन्होनें सत्ता पक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि विरोधी दलों के अनुसार यह विसंगति “फर्जी नाम जोड़ने” की ओर इशारा करती है।
महाराष्ट्र चुनाव आंकड़ों को बताते हुए उन्होनें कहा कि चुनाव के दिन शाम पाँच बजे तक कुल 58.22 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ था। केंद्रों के बंद होने के बाद किसी भी भीड़भाड़ की खबर नहीं आई फिर भी अगली सुबह अंतिम आँकड़ा 66.05 प्रतिशत निकला। यानी लगभग 7.83 प्रतिशत यानी 76 लाख अतिरिक्त वोट जुड़ गए। तुलना करें तो 2009 में प्रारंभिक और अंतिम प्रतिशत में केवल 0.50 का अंतर था 2014 में 1.08 प्रतिशत और 2019 में 0.64 प्रतिशत रहा। 2024 का अंतर कई गुना अधिक है जो स्वाभाविक संदेह खड़ा करता है।
उन्होने आगे बताया कि राज्य के लगभग एक लाख बूथों में से अधिकांश नए मतदाता केवल 12 हज़ार बूथों पर ही दर्ज किए गए। ये वही 85 विधानसभा क्षेत्र हैं जहाँ लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ दल का प्रदर्शन कमजोर था। गणना के हिसाब से हर ऐसे बूथ पर शाम पाँच बजे के बाद औसतन 600 नए वोट पड़े। एक वोट में एक मिनट भी लगे तो मतदान कम-से-कम 10 घंटे और चलना चाहिए था मगर जमीनी रिपोर्ट में ऐसा कुछ नहीं दिखा। चुनाव आयोग ने इसे “युवाओं की उत्साही भागीदारी” बताया लेकिन यह जोश बाकी 88 हज़ार बूथों पर नजर नहीं आया।
उन्होने आगे बताया कि कामठी सीट को विशेषज्ञों ने केस-स्टडी की तरह देखा। मई 2024 लोकसभा चुनाव में यहाँ कांग्रेस को 1.36 लाख और भाजपा को 1.19 लाख वोट मिले। पाँच महीने बाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वोट लगभग समान रहे जबकि भाजपा के वोट अचानक 1.75 लाख हो गए। यह 56 हज़ार की बढ़त उन 35 हज़ार नए मतदाताओं से भी अधिक है जिन्हें दोनों चुनावों के बीच जोड़ा गया। आलोचनाओं का कहना है कि “चुंबक” सिर्फ कमल की ओर खिंच गया।

 

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