Edited By rajesh kumar,Updated: 23 Mar, 2023 02:56 PM
'मोदी सरनेम' वाले बयान पर साल 2019 में दर्ज हुए मामले पर सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई। हालांकि कोर्ट से राहुल गांधी को जमानत भी मिल गई है।
नेशनल डेस्क: 'मोदी सरनेम' वाले बयान पर साल 2019 में दर्ज हुए मामले पर सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई। हालांकि कोर्ट से राहुल गांधी को जमानत भी मिल गई है। कोर्ट से राहुल गांधी को दो साल की सजा मिली है। ऐसे में अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या दो साल जेल की सजा होने पर राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होगी या नहीं।
जनप्रतिनिधि कानून
जनप्रतिनिधि कानून के अनुसार, सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में अगर 2 साल से ज्यादा की सजा हुई है तो ऐसे में उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा) रद्द हो जाएगी। इसके अलावा सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह साल तक चुनाव लड़ने के लिए आयोग्य भी होते हैं।
लोकसभा सदस्यता तुरंत खत्म हो जाएगी?
अगर प्रशासन सूरत कोर्ट के फैसले की कॉफी को लोकसभा सचिवालय को भेजता है और इसके बाद लोकसभा स्पीकर उसे स्वीकार करते हैं तो राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता तुरंत खत्म हो जाएगी। राहुल गांधी को दो साल तक की सजा हुई है, जिसके बाद वह छह साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इस तरह से राहुल गांधी अब आठ साल तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
कैसे बच सकती है सदस्यता?
राहुल गांधी को अपनी सदस्यता बचाए रखने के लिए हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती दे सकते हैं, अगर सूरत कोर्ट के फैसले पर स्टे लग जाता है तो सदस्यता बच सकती है। हाईकोर्ट अगर स्टे नहीं देता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलने पर उनकी सदस्यता बच सकती है। फिलहाल राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बरकरार है, क्योंकि उन्हें दोषी ठहराने वाली सूरत की कोर्ट ने उनकी सजा 30 दिनों के लिए निलंबित कर दी है। इसके चलते वह तत्काल आयोग्यता से बच गए हैं।
गौरतलब है कि, राहुल गांधी के खिलाफ यह मामला उनकी उस टिप्पणी को लेकर दर्ज किया गया था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था, ‘‘सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही कैसे होता है?'' राहुल गांधी की इस टिप्पणी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज कराई थी। वायनाड से लोकसभा सदस्य गांधी ने यह कथित टिप्पणी 2019 के आम चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में आयोजित जनसभा में की थी।