RBI की रिपोर्ट: वित्त वर्ष 2026 में अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत

Edited By Mansa Devi,Updated: 30 May, 2025 04:39 PM

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भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2026 को लेकर आर्थिक विकास के प्रति आशाजनक संकेत दिए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ता मांग में सुधार, सरकार के पूंजीगत व्यय में वृद्धि और राजकोषीय समेकन की दिशा में निरंतर प्रयास के...

नेशनल डेस्क:  भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2026 को लेकर आर्थिक विकास के प्रति आशाजनक संकेत दिए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ता मांग में सुधार, सरकार के पूंजीगत व्यय में वृद्धि और राजकोषीय समेकन की दिशा में निरंतर प्रयास के कारण देश की अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है। इसके साथ ही बैंकों और कॉरपोरेट क्षेत्र की वित्तीय स्थिरता, सेवा क्षेत्र की लचीलापन और व्यापारिक एवं उपभोक्ता विश्वास की मजबूती भी आर्थिक विकास को सहारा दे रही हैं।

आर्थिक विकास की प्रमुख कारण
रिजर्व बैंक ने बताया कि वित्त वर्ष 2026 में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में कई कारक सहायक होंगे। इनमें उपभोग की बढ़ती मांग, सरकार की पूंजीगत व्यय नीति, तथा वित्तीय क्षेत्र की स्थिति में सुधार प्रमुख हैं। इसके अलावा, सेवा क्षेत्र की लगातार बढ़ती क्षमता और उपभोक्ता-व्यापारिक आशावाद के कारण भी आर्थिक वृद्धि में गति आएगी। यह सभी बातें देश के मजबूत मैक्रोइकॉनोमिक आधार को दर्शाती हैं।

जोखिम और चुनौतियां
हालांकि, RBI ने वैश्विक आर्थिक माहौल में बढ़ रही अस्थिरता और संरक्षणवादी नीतियों की वजह से जोखिमों की भी चेतावनी दी है। भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता और वित्तीय बाजार की अस्थिरता विकास के लिए नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। मुद्रास्फीति की संभावनाएं भी जोखिम भरी बनी हुई हैं, जिसे लेकर सतर्कता आवश्यक है।

तरलता प्रबंधन और मौद्रिक नीति
रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि वह मौद्रिक नीति के अनुरूप तरलता प्रबंधन करेगा और सिस्टम में पर्याप्त तरलता उपलब्ध कराएगा ताकि उत्पादक क्षेत्र की जरूरतों को पूरा किया जा सके। इसके साथ ही, मौद्रिक नीति ऐसी होगी जो मूल्य स्थिरता को सुनिश्चित करते हुए आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी।

मुद्रास्फीति और आर्थिक गतिविधि
रिपोर्ट में कहा गया है कि बेहतर रबी फसल और खाद्य आपूर्ति में सुधार के कारण हेडलाइन मुद्रास्फीति में धीरे-धीरे कमी आने की उम्मीद है। घरेलू आर्थिक गतिविधियां वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही के निचले स्तर से मजबूत होने की संभावना है। हालांकि, लंबी अवधि के भू-राजनीतिक संघर्ष, मौसम की अनिश्चितताएं और वैश्विक व्यापार की चुनौतियां मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में बाधक हो सकती हैं।

बाहरी क्षेत्र की मजबूती
RBI ने कहा कि पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार और सीमित बाहरी ऋण देनदारियां देश के बाहरी क्षेत्र को मजबूत बनाए रखती हैं। यह स्थिति आर्थिक स्थिरता और वित्तीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है और वैश्विक अस्थिरता के बीच भी देश को मजबूत बनाती है

विनियमन में सुधार
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि वह विनियमित वित्तीय संस्थाओं में नियमों को युक्तिसंगत और संगठित बनाने के लिए प्रयास करेगा। बैंकों के लिए जलवायु जोखिम से निपटने के विवेकपूर्ण दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे, जिससे वे पर्यावरणीय जोखिमों को बेहतर तरीके से संभाल सकें। साथ ही, वित्तीय क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जिम्मेदार और नैतिक उपयोग के लिए भी दिशानिर्देश तैयार किए जाएंगे।

सुरक्षा और पर्यवेक्षण
रिजर्व बैंक बैंकों के तरलता तनाव परीक्षणों को और मजबूत करेगा तथा साइबर सुरक्षा और धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाएगा। इसके अलावा, यूनीयन कॉपरेटिव बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के जोखिम-आधारित पर्यवेक्षण की समीक्षा भी की जाएगी ताकि वित्तीय क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित हो सके।

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