Edited By Mansa Devi,Updated: 19 Oct, 2025 02:41 PM

इस साल धनतेरस पर सोने और चांदी की रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की गई है। जहां यह आशंका थी कि सोने-चांदी की आसमान छूती कीमतों (सोने में 65% और चांदी में 81% का उछाल) के कारण बिक्री सुस्त रहेगी, वहीं इसके विपरीत, वैल्यू के मामले में बिक्री में 25% से भी ज्यादा...
नेशनल डेस्क: इस साल धनतेरस पर सोने और चांदी की रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की गई है। जहां यह आशंका थी कि सोने-चांदी की आसमान छूती कीमतों (सोने में 65% और चांदी में 81% का उछाल) के कारण बिक्री सुस्त रहेगी, वहीं इसके विपरीत, वैल्यू के मामले में बिक्री में 25% से भी ज्यादा की शानदार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह मात्र त्योहार की खरीदारी नहीं, बल्कि भारतीयों द्वारा 'रणनीतिक निवेश' का स्पष्ट संकेत है।
वजह कर देगी हैरान: मेकिंग चार्ज से बचने के लिए सिक्के खरीदे
इस रिकॉर्ड बिक्री के पीछे सबसे बड़ी वजह और ट्रेंड हैरान करने वाला है:
➤ डिमांड में सिक्के: इस साल ग्राहकों ने मुख्य रूप से सोने और चांदी के सिक्कों की तरफ रुख किया।
➤ पहला कारण (निवेश): लोगों को पूरा यकीन है कि कीमतों में यह उछाल आगे भी जारी रहेगा, इसलिए वे अभी खरीद कर मुनाफा कमाना चाहते हैं।
➤ दूसरा कारण (बचत): ज्वैलरी पर लगने वाले मोटे मेकिंग चार्ज से बचने के लिए लोगों ने सिक्कों को प्राथमिकता दी। मुंबई के जवेरी बाजार समेत देश के कई हिस्सों में सिक्के खरीदने के लिए लंबी कतारें देखी गईं।
1.40 लाख का सिक्का सबसे ज्यादा बिका
इस धनतेरस पर बाजार में सबसे ज्यादा मांग 24-कैरेट के 10 ग्राम सोने के सिक्कों की रही, जिनकी कीमत लगभग ₹1.40 लाख प्रति सिक्का थी।
हल्की ज्वैलरी की मांग: ज्वैलरी सेगमेंट में, ग्राहकों ने मेकिंग चार्ज और ऊंची कीमतों से बचने के लिए हल्के-फुल्के डिज़ाइन्स को चुना। 22 और 18 कैरेट के हल्के आइटम और युवा ग्राहकों ने 9 और 14 कैरेट के कम दाम वाले विकल्प भी खूब पसंद किए।
ग्राहकों का टूटा धैर्य, 60,000 करोड़ का सोना बिका
कामा ज्वैलरी के मैनेजिंग डायरेक्टर कॉलिन शाह के अनुसार, कई ग्राहकों ने पहले यह सोचकर खरीदारी टाल दी थी कि शायद कीमतें गिरेंगी।
➤ एक्सपर्ट का बयान: शाह ने कहा, "जब कीमतों में कोई सुधार नहीं हुआ और सभी आर्थिक संकेतक नए रिकॉर्ड हाई की तरफ इशारा कर रहे हैं, तो लोगों का धैर्य टूट गया। अब लोग गोल्ड खरीदने के लिए बाहर निकल आए हैं क्योंकि उन्हें समझ आ गया है कि कीमतें अब शायद नीचे नहीं आएंगी।"