Edited By Tanuja,Updated: 31 Aug, 2025 04:36 PM

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान कहा कि भारत और चीन का मित्र बनना ही सही विकल्प है और दोनों देशों को सीमा विवाद को अपने संबंधों को परिभाषित ...
Bejing: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान कहा कि भारत और चीन का मित्र बनना ही सही विकल्प है और दोनों देशों को सीमा विवाद को अपने संबंधों को परिभाषित नहीं करने देना चाहिए। यह वार्ता शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर तियानजिन में हुई।शी ने कहा कि भारत और चीन को अपने सीमावर्ती इलाकों में शांति और सौहार्द सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों देश प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि सहयोगी हैं और ‘‘एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं, बल्कि विकास का अवसर’’ हैं।
चीन के राष्ट्रपति ने कहा कि जब तक दोनों देश इस व्यापक दिशा पर कायम रहेंगे, उनके रिश्ते स्थिर और दीर्घकालिक विकास की ओर बढ़ेंगे। उन्होंने भारत को ‘‘हाथी’’ और चीन को ‘‘ड्रैगन’’ बताते हुए कहा कि दोनों को मिलकर ‘‘एक-दूसरे की सफलता का जश्न’’ मनाना चाहिए और ‘‘ड्रैगन और हाथी का सहयोगात्मक नृत्य’’ ही सही विकल्प है।शी ने इस साल भारत-चीन राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों देशों को अपने रिश्तों को रणनीतिक और दीर्घकालिक नजरिए से देखना होगा। उन्होंने आपसी विश्वास को गहरा करने, आदान-प्रदान और लाभकारी सहयोग बढ़ाने, एक-दूसरे की चिंताओं पर ध्यान देने और बहुपक्षीय सहयोग के जरिए साझा हितों की रक्षा करने का आह्वान किया।
शी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एकतरफा नीतियों पर परोक्ष रूप से हमला बोला। उन्होंने कहा कि भारत और चीन को बहुपक्षवाद को बनाए रखने, एक बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था बनाने और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को अधिक लोकतांत्रिक बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। शी ने कहा कि भारत और चीन के कंधों पर अपने नागरिकों के भले के साथ-साथ विकासशील देशों की एकजुटता और मानव समाज की प्रगति को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि ‘‘दुनिया इस समय सदी में एक बार आने वाले बदलावों से गुजर रही है’’ और ऐसे दौर में भारत और चीन जैसी दो प्राचीन सभ्यताएं और दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश अहम भूमिका निभा सकते हैं
।उन्होंने यह भी कहा कि भारत और चीन ग्लोबल साउथ के सबसे पुराने सदस्य हैं, इसलिए उन्हें दक्षिणी गोलार्ध के देशों की आवाज़ को मज़बूती से उठाना चाहिए। यह बैठक लगभग 10 महीनों के बाद मोदी और शी के बीच पहली मुलाकात थी। यह ऐसे समय हुई है जब अमेरिका की व्यापार और शुल्क नीतियों के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है और भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव देखा जा रहा है। ऐसे माहौल में भारत-चीन के बीच हुई यह वार्ता कूटनीतिक रूप से बेहद अहम मानी जा रही है।