मोहन भागवत बोले- मुसलमान और ईसाई RSS में आ सकते हैं, लेकिन एक शर्त पर....

Edited By Updated: 10 Nov, 2025 11:30 AM

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को स्पष्ट किया कि संघ में हिस्सा लेने के लिए किसी भी धर्म के लोग—चाहे वह मुस्लिम हों या ईसाई - शामिल हो सकते हैं, लेकिन उन्हें संघ में आते समय अपनी धार्मिक अलग पहचान को पीछे रखना होगा और...

नेशनल डेस्क:  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को स्पष्ट किया कि संघ में हिस्सा लेने के लिए किसी भी धर्म के लोग—चाहे वह मुस्लिम हों या ईसाई - शामिल हो सकते हैं, लेकिन उन्हें संघ में आते समय अपनी धार्मिक अलग पहचान को पीछे रखना होगा और “हिंदू समाज” के सदस्य के रूप में आना होगा।

भागवत ने कहा, “संघ में कोई ब्राह्मण विशेष नहीं, कोई जाति विशेष नहीं, मुस्लिम या ईसाई भी नहीं। संघ केवल हिंदुओं के लिए है। लेकिन जो भी संघ में आए, वह भारत माता का बेटा बनकर आए। आपकी विशेषता स्वागत योग्य है, लेकिन संघ में वह अलग रखनी होगी।” उन्होंने यह भी बताया कि संघ अपने रोजमर्रा की शाखाओं में किसी के धर्म या जाति की पूछताछ नहीं करता। “मुस्लिम आते हैं, ईसाई आते हैं, अन्य सभी हिंदू समाज की जातियां आती हैं। हम उनका हिसाब नहीं रखते और न पूछते हैं कि वे कौन हैं। हम सभी भारत माता के पुत्र हैं, और यही संघ की कार्यप्रणाली है।”

भागवत ने संघ की पंजीकरण स्थिति और राजनीतिक भूमिका पर भी सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि संघ 1925 में स्थापित हुआ और उस समय ब्रिटिश सरकार के पास पंजीकरण अनिवार्य नहीं था। “स्वतंत्रता के बाद भी पंजीकरण अनिवार्य नहीं था। हम एक 'व्यक्तियों का समूह' हैं और इस आधार पर आयकर विभाग और न्यायालयों ने हमें मान्यता दी है। संघ पर पहले भी प्रतिबंध लगाए गए हैं, इसका मतलब है सरकार ने हमें पहचान दी है।”

राष्ट्रीय ध्वज और राजनीतिक विषयों पर भागवत ने कहा कि संघ किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करता, लेकिन राष्ट्रीय हित में नीतियों का समर्थन करता है। “राजनीति समाज को बांटती है, इसलिए हम राजनीति से अलग रहते हैं। हमारा काम समाज को जोड़ना है।” भारत-पाकिस्तान संबंधों पर उन्होंने कहा कि शांति तभी संभव है जब पाकिस्तान भारत के खिलाफ हिंसा और नुकसान पहुंचाने की कोशिश बंद करे। उन्होंने 1971 के युद्ध का जिक्र करते हुए कहा, “यदि पाकिस्तान ऐसा करता रहेगा तो उसे एक दिन सबक मिलेगा।”

सामाजिक मुद्दों पर भागवत ने कहा कि अब जातिवाद समाप्त हो गया है, लेकिन “जाति भ्रम” चुनावी राजनीति और आरक्षण नीतियों की वजह से बना हुआ है। उन्होंने कहा, “जाति को मिटाने की जरूरत नहीं, उसे भूल जाने की जरूरत है।” ‘लव जिहाद’ जैसे विवादों पर उन्होंने कहा कि दूसरों के काम पर ध्यान देने की बजाय अपने घर में हिंदू संस्कारों को मजबूत करना चाहिए।

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