Edited By Radhika,Updated: 22 Nov, 2025 12:09 PM

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) जल्द ही एक बड़ा बदलाव कर सकता है, जिसका सीधा फायदा देश के करोड़ों वेतनभोगी कर्मचारियों को मिलेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक EPFO अनिवार्य PF और पेंशन योगदान के लिए वेतन सीमा बढ़ाने पर विचार कर रहा है।
नेशनल डेस्क: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) जल्द ही एक बड़ा बदलाव कर सकता है, जिसका सीधा फायदा देश के करोड़ों वेतनभोगी कर्मचारियों को मिलेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक EPFO अनिवार्य PF और पेंशन योगदान के लिए वेतन सीमा बढ़ाने पर विचार कर रहा है। आसान भाषा में समझे तो, EPFO में अनिवार्य PF और पेंशन कंट्रीब्यूशन के लिए सैलरी की मौजूदा सीमा को ₹15,000 से बढ़ाकर ₹25,000 करने का प्रस्ताव है। यह सीमा पहले ₹6,500 थी, जिसे समय-समय पर बढ़ाया गया है।
1 करोड़ से ज्यादा लोगों को फायदा
इस कदम के पीछे मुख्य मकसद 1 करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों को PF (कर्मचारी भविष्य निधि) और पेंशन (कर्मचारी पेंशन योजना – EPS) की सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना है। यह सीमा ही तय करती है कि कौन सा कर्मचारी EPF और EPS के तहत self enrolled होगा।
वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागराजू ने हाल ही में मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि यह 'बहुत बुरी बात' है कि ₹15,000 से थोड़ा ज़्यादा कमाने वाले इतने सारे लोगों के पास पेंशन कवर नहीं है और उन्हें बुढ़ापे में अपने बच्चों पर निर्भर रहना पड़ता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पुरानी पेंशन सीमाओं को अब अपडेट करना जरूरी है।

क्या है मौजूदा नियम
मौजूदा नियमों के अनुसार केवल वही कर्मचारी अनिवार्य रूप से EPF और EPS के दायरे में आते हैं, जिनकी Basic Salary ₹15,000 या उससे कम होती है। यदि कोई कर्मचारी ₹15,000 से थोड़ा भी अधिक कमाता है, तो वह इस अनिवार्य कवरेज से बाहर हो सकता है। ऐसे में Employer के लिए उन्हें PF के तहत रजिस्टर करना जरूरी नहीं होता। इसके कारण मामूली वेतन पाने वाले शहरी निजी क्षेत्र के कर्मचारियों का एक बड़ा हिस्सा Formal Retirement Savings से वंचित रह जाता है।
कर्मचारियों और नियोक्ताओं पर असर
अगर यह सीमा बढ़ाकर ₹25,000 कर दी जाती है, तो इसका असर कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों पर पड़ेगा।
कर्मचारियों के लिए:
उनका मासिक योगदान बढ़ेगा। EPF कोष बढ़ेगा जिससे सेवानिवृत्ति पर मिलने वाली एकमुश्त राशि ज्यादा होगी। पेंशन भुगतान में भी सुधार होगा।

नियोक्ताओं के लिए:
प्रति कर्मचारी लागत थोड़ी बढ़ जाएगी।
ट्रेड यूनियनें लंबे समय से इस बदलाव की मांग कर रही हैं, क्योंकि उनका तर्क है कि जीवन-यापन की बढ़ती लागत और वेतन स्तरों के मुकाबले मौजूदा ₹15,000 की सीमा बहुत पुरानी हो चुकी है। उम्मीद है कि अगले साल की शुरुआत में केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) इस प्रस्ताव पर विचार कर सकता है।