26/11 की दहशत के बीच ‘खूंखार’ नजर आने वाले कसाब ने पुलिस वैन में ही कर दिया था पेशाब, पूरी पैंट हो गई थी गीली...

Edited By Updated: 26 Nov, 2025 05:58 PM

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मुंबई पर हुए आतंकी हमले को 17 साल गुजर चुके हैं, लेकिन 26/11 की रात की चीखें आज भी स्मृति में गूंजती हैं। ताज के धधकते कमरे, CST पर फैली चीख पुकार और सड़कों पर बिखरा खून—इन सबके बीच एक ऐसी कहानी भी दबी रह गई, जो यह बताती है कि दुनिया का सबसे चर्चित...

नेशनल डेस्क: मुंबई पर हुए आतंकी हमले को 17 साल गुजर चुके हैं, लेकिन 26/11 की रात की चीखें आज भी स्मृति में गूंजती हैं। ताज के धधकते कमरे, CST पर फैली चीख पुकार और सड़कों पर बिखरा खून—इन सबके बीच एक ऐसी कहानी भी दबी रह गई, जो यह बताती है कि दुनिया का सबसे चर्चित आतंकी दिखने में जितना निर्दयी था, भीतर से उतना ही भयभीत और कमजोर इंसान था।

यह वही घटना है जिसने अजमल कसाब के असली मानसिक हालात की पोल खोल दी—वह पल जब वह पुलिस वैन में बैठा-बैठा खुद को संभाल भी न सका और डर के मारे अपनी पैंट ही गीली कर दी।

चार दिनों तक खून की बारिश: 166 मौतें, 300 से ज्यादा घायल

26 नवंबर 2008—भारत के इतिहास का सबसे काला अध्याय। लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादी समुद्र के रास्ते मुंबई में घुसे और शहर को चार दिनों तक बंधक बनाए रखा।
CST, ताज होटल, ओबेरॉय, कामा अस्पताल—जहां भी देखें, उस रात का खौफ आज भी हवा में मौजूद लगता है।
इन्हीं आतंकियों में से एक था अजमल आमिर कसाब, जो जिंदा पकड़ा गया और जिसके बारे में कई ऐसी बातें सामने आईं जो आम लोगों की नजर से दूर रहीं।

पहचान छिपाने के लिए तीन दिन तक ‘मोहम्मद’ बना रहा कसाब
मुख्य जांच अधिकारी रमेश महाले बताते हैं कि सुरक्षा कारणों से गिरफ्तार किए जाने के बाद कसाब का असली नाम तुरंत सार्वजनिक नहीं किया गया।
तीन दिनों तक वह अस्पतालों और जांच टीमों के बीच "मोहम्मद" के नाम से दर्ज रहा, ताकि उसकी मौजूदगी को लेकर कोई अफरा-तफरी न मचे।
अधिकारियों को डर था कि अगर लोगों को भनक लग गई कि उनके बीच 26/11 का आतंकी है, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।

वार्ड बॉय ने पहचान लिया—और मचा हड़कंप
सेंट जॉर्ज अस्पताल में मेडिकल जांच के दौरान एक वार्ड बॉय ने उसे टीवी पर दिखी तस्वीरों से पहचान लिया।
उसने सीधे पूछा,
"तुम ही कसाब हो न?"
कसाब ने बनावटी मासूमियत दिखाते हुए कहा—
"नहीं, मैं मोहम्मद हूं।"
लेकिन वह युवक मानने को तैयार नहीं हुआ।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने उसे तीन दिन अस्पताल में ही रोककर रखा, उसका मोबाइल जब्त कर लिया और परिवार को बताया कि वह बाहर न जाए। और फिर वो घटना जिसने कसाब के भीतर के डर का सच सामने ला दिया

जब उसे आर्थर रोड जेल से यरवदा जेल ले जाने की तैयारी हुई—जहां उसकी फांसी होनी थी—तो अधिकारियों को पता था कि रास्ता लंबा है और गाड़ी कहीं नहीं रोकी जाएगी। इसलिए उसे एक बड़ी बोतल दी गई और कहा गया कि जरूरत पड़े तो उसी में पेशाब कर लेना। लेकिन यरवदा पहुंचने पर जो सामने आया, उसने सभी को चौंका दिया— कसाब की पैंट पूरी तरह भीगी थी। उसने खुद बताया कि वह बोतल में पेशाब नहीं कर सका और डर व घबराहट में उसने रास्ते में ही खुद को गीला कर दिया। यह वही व्यक्ति था जिसे दुनिया ने हाथ में AK-47 लिए बेखौफ गोलीबारी करते देखा था—पर हकीकत में वह इतना भयभीत था कि अपनी ही जरूरत को रोक न सका।

 

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