2026 से बदल सकता है कॉल और मैसेजिंग का सिस्टम, आ रहे CNAP और SIM-Binding नियम

Edited By Updated: 29 Dec, 2025 02:25 PM

the call and messaging could change from 2026

भारत में लगातार बढ़ रहे साइबर फ्रॉड के मामलों को देखते हुए सरकार अब टेलीकॉम सिस्टम में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। वर्ष 2026 तक देश में CNAP और SIM-Binding जैसे नए नियम लागू किए जा सकते हैं, जिससे आम लोगों के लिए कॉल और मैसेजिंग का तरीका पहले से...

नेशनल डेस्क: भारत में लगातार बढ़ रहे साइबर फ्रॉड के मामलों को देखते हुए सरकार अब टेलीकॉम सिस्टम में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। वर्ष 2026 तक देश में CNAP और SIM-Binding जैसे नए नियम लागू किए जा सकते हैं, जिससे आम लोगों के लिए कॉल और मैसेजिंग का तरीका पहले से ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा। इन नियमों का उद्देश्य फर्जी कॉल, पहचान छिपाकर की जाने वाली ठगी और विदेश से चल रहे स्कैम नेटवर्क को रोकना है। सरकार और रेगुलेटरी संस्थाएं मिलकर सिस्टम स्तर पर ऐसे बदलाव कर रही हैं, जिससे धोखाधड़ी करना आसान न रहे और यूजर्स को पहले से बेहतर सुरक्षा मिल सके।

साइबर ठगी पर सरकार की कड़ी तैयारी
पिछले कुछ सालों में साइबर अपराध तेजी से बढ़े हैं। फर्जी निवेश ऑफर, बैंक अधिकारी बनकर कॉल करना, OTP मांगकर अकाउंट खाली करना जैसे मामलों में हजारों लोग अपनी जमा पूंजी गंवा चुके हैं। कई मामलों में पीड़ितों पर मानसिक दबाव इतना बढ़ गया कि उन्होंने खतरनाक कदम तक उठा लिए। इनमें से बड़ी संख्या में फ्रॉड विदेश से ऑपरेट किए जाते हैं, जिससे अपराधियों तक पहुंचना और पैसे वापस लाना मुश्किल हो जाता है। इसी को देखते हुए RBI, TRAI, NPCI और दूरसंचार विभाग मिलकर एक साझा रणनीति पर काम कर रहे हैं।


क्या है CNAP और कैसे करेगा काम
CNAP यानी Caller Name Presentation का मकसद कॉल करने वाले की पहचान को साफ और भरोसेमंद बनाना है। इस सिस्टम के तहत जब कोई कॉल आएगी, तो मोबाइल स्क्रीन पर कॉल करने वाले व्यक्ति का वेरिफाइड नाम दिखाई देगा। यह नाम उसी KYC रिकॉर्ड से लिया जाएगा, जो SIM लेते समय जमा किया गया था। इससे स्कैमर किसी बैंक कर्मचारी या सरकारी अफसर का नाम लेकर कॉल नहीं कर पाएंगे। TRAI पहले ही टेलीकॉम कंपनियों को CNAP का ट्रायल शुरू करने के निर्देश दे चुका है और 2026 तक इसे आम सुविधा बनाने की योजना है।


SIM-Binding से मैसेजिंग फ्रॉड पर लगेगी लगाम
दूसरा बड़ा बदलाव मैसेजिंग ऐप्स से जुड़े फ्रॉड को रोकने के लिए किया जा रहा है। अभी कई स्कैमर भारतीय नंबर से WhatsApp या दूसरे ऐप्स पर अकाउंट बनाते हैं और ठगी के बाद SIM हटा देते हैं। SIM-Binding नियम के तहत जिस नंबर से अकाउंट बनाया गया है, उसी फिजिकल SIM का फोन में एक्टिव होना जरूरी होगा। अगर SIM बंद या हटाई गई, तो संबंधित मैसेजिंग अकाउंट भी काम करना बंद कर देगा। दूरसंचार विभाग इस नियम को 2026 तक पूरी तरह लागू करने की तैयारी में है।


आम लोगों पर क्या पड़ेगा असर
इन नए नियमों के लागू होने से लोगों को अनजान कॉल्स को पहचानने में मदद मिलेगी और फर्जी मैसेजिंग अकाउंट्स पर रोक लगेगी। शुरुआत में कुछ तकनीकी बदलावों के कारण लोगों को थोड़ी परेशानी हो सकती है, लेकिन लंबे समय में यह सिस्टम ज्यादा सुरक्षित और भरोसेमंद साबित होगा। कुल मिलाकर सरकार का यह कदम डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने और देश में साइबर ठगी पर प्रभावी नियंत्रण की दिशा में अहम माना जा रहा है।

 

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