Edited By Radhika,Updated: 08 Oct, 2025 06:57 PM

ब्रिटेन के पीएम कीर स्टार्मर अपनी दो दिवसीय भारत यात्रा के लिए तैयार हैं। इस दौरे का मुख्य आकर्षण FTA है। इस डील से ब्रिटिश स्कॉच व्हिस्की उद्योग को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद है, लेकिन भारतीय शराब प्रेमियों के लिए भी यह एक बड़ी खबर होगी।
नेशनल डेस्क: ब्रिटेन के पीएम कीर स्टार्मर अपनी दो दिवसीय भारत यात्रा के लिए तैयार हैं। इस दौरे का मुख्य आकर्षण FTA है। इस डील से ब्रिटिश स्कॉच व्हिस्की उद्योग को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद है, लेकिन भारतीय शराब प्रेमियों के लिए भी यह एक बड़ी खबर होगी। इस समझौते के कारण भारत में अब प्रीमियम ब्रिटिश शराब पहले से कम कीमत पर मिलेगी।
क्यों सस्ती होगी जॉनी वॉकर
कीमतें कम होने की मुख्य वजह है Import Duty में भारी कटौती।
- बड़ी कटौती: पहले स्कॉच व्हिस्की और जिन जैसे पेय पदार्थों पर लगभग 150% का भारी आयात शुल्क लगता था।
- नई दर: FTA समझौते के तहत इस शुल्क को तुरंत घटाकर 75% कर दिया जाएगा।
- भविष्य की योजना: यह शुल्क अगले 10 सालों में धीरे-धीरे कम होकर 40% तक पहुँच जाएगा।
इस कटौती का सीधा असर यह होगा कि भारतीय बाज़ार में ये प्रीमियम विदेशी ब्रांड अब ज़्यादा सस्ते और किफायती हो जाएँगे।

कौन-कौन से ब्रांड होंगे सस्ते
इस डील से कई बड़े और लोकप्रिय स्कॉच व्हिस्की ब्रांड्स की कीमतों में कमी आएगी। सस्ते होने वाले प्रमुख ब्रांड्स में शामिल हैं:
- जॉनी वॉकर (Johnnie Walker)
- चिवास रीगल (Chivas Regal)
- द ग्लेनलिवेट (The Glenlivet)
- ग्लेनफिडिच (Glenfiddich)
- लैगवुलिन (Lagavulin)
- सिंगलटन (Singleton)
- टैलिस्कर (Talisker)
- मैकलन (Macallan)
- जुरा (Jura) और अन्य

सिर्फ स्कॉच ही नहीं बल्कि जिन, ब्रांडी, रम, वोदका, टकीला और साइडर जैसे अन्य ब्रिटिश मूल के पेय पदार्थ भी इस समझौते के तहत सस्ते होंगे।
ब्रिटेन और भारत को क्या फायदा?
जो भारतीय ग्राहक विदेशी ब्रांड पसंद हैं, उनकी जेब पर अब कम बोझ पड़ेगा। ये प्रीमियम ब्रांड अब आम ग्राहकों की पहुँच में आ जाएँगे। इसके अलावा ब्रिटिश सरकार का अनुमान है कि इस डील से अकेले स्कॉटलैंड की अर्थव्यवस्था को सालाना लगभग 19 करोड़ पाउंड का फायदा हो सकता है। आयात शुल्क घटने से भारत में ब्रिटिश शराब उद्योग के लिए एक बड़ा बाज़ार खुलेगा। डियाजियो (Diageo) और पर्नोड रिकार्ड (Pernod Ricard) जैसी बड़ी कंपनियाँ भारत में अपनी बिक्री और हिस्सेदारी बढ़ा सकती हैं। यह ट्रेड डील भारतीय बाज़ार में स्कॉच व्हिस्की और अन्य ब्रिटिश पेय पदार्थों की लोकप्रियता को और बढ़ाएगी।