खामेनेई का यू-टर्न: अमेरिका से डरकर ईरान ने भारत के सामने फैलाई झोली !

Edited By Tanuja,Updated: 16 Apr, 2025 02:14 PM

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ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने पड़ोसी देशों के साथ व्यापार को प्राथमिकता देने की खुलकर वकालत की है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर)  पर खामेनेई ने कहा

International Desk: ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने पड़ोसी देशों के साथ व्यापार को प्राथमिकता देने की खुलकर वकालत की है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर)  पर खामेनेई ने कहा कि  भारत, चीन और रूस जैसे एशियाई आर्थिक महाशक्तियों के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देना चाहिए । अमेरिकी दबाव से घबराए खामेनेई ने भारत को एक तरह से ढाल बनाते हुए कहा कि एशियाई व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने के लिए भारत में PM नरेंद्र मोदी सरकार से रिश्ते सुधारने जरूरी वर्ना भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को छोड़कर अन्य देशों पर लगे टैरिफ को 90 दिनों के लिए टाल दिया है। इन तीन महीनों में देशों को अमेरिका के साथ व्यापारिक बातचीत का मौका दिया गया है।

 

ईरानी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, व्यापारिक संबंधों को मज़बूत करने के इरादे से ईरान के विदेश मंत्रीअब्बास अराघची जल्द भारत यात्रा पर आ सकते हैं । माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच ऊर्जा, बंदरगाह विकास और कृषि व्यापार को लेकर बातचीत होगी। दिलचस्प बात यह है कि एक साल पहले ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई ने भारत में मुसलमानों की स्थिति को लेकर तीखी टिप्पणी की थी, जिसे भारत सरकार ने "झूठ पर आधारित और अस्वीकार्य" बताया था। लेकिन बदलते वैश्विक समीकरणों और अमेरिकी दबाव ने ईरान को फिर भारत की ओर देखने को मजबूर कर दिया है।

 

भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह को लेकर सहयोग गहरा होता जा रहा है। मई 2023 में दोनों देशों ने इस पोर्ट के संचालन और विकास को लेकर 10 वर्षों का करार  किया था। यह बंदरगाह भारत को पाकिस्तान के ग्वादर और कराची पोर्ट को बायपास करते हुए अफगानिस्तान और मध्य एशिया से सीधा जोड़ता है। भारत, अमेरिकी दबाव को नजरअंदाज करते हुए, चाबहार में  शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल पर भारी निवेश कर रहा है। यह बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक और व्यापारिक दोनों दृष्टिकोण से बेहद अहम है। अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से भारत और ईरान के बीच व्यापार पर असर पड़ा है। जहां 2018-19 में यह 17 अरब डॉलर तक पहुंच गया था, वहीं 2022-23 में यह 2.33 अरब डॉलर तक सिमट गया। भारत को ईरानी कच्चे तेल की खरीद भी बंद करनी पड़ी। इसके बावजूद दोनों देशों के बीच  चावल, केला और सोयाबीन जैसे उत्पादों का व्यापार  जारी है।
  

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