Edited By Rohini Oberoi,Updated: 17 Jul, 2025 04:19 PM

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अब तक 1.17 करोड़ से ज़्यादा 12 अंकों वाले आधार नंबरों को डीएक्टिवेट कर दिया है। यह पहल उन लोगों के आधार नंबरों के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए की गई है जिनकी मृत्यु हो चुकी है।
नेशनल डेस्क। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अब तक 1.17 करोड़ से ज़्यादा 12 अंकों वाले आधार नंबरों को डीएक्टिवेट कर दिया है। यह पहल उन लोगों के आधार नंबरों के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए की गई है जिनकी मृत्यु हो चुकी है।
'परिवार के सदस्य की मृत्यु की रिपोर्टिंग' सेवा शुरू
इस पहल के तहत UIDAI ने 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पंजीकृत मृत्यु के लिए अपने myAadhaar पोर्टल पर एक नई सेवा 'Reporting of Death of a Family Member' शुरू की है। अब परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु होने पर संबंधित व्यक्ति पोर्टल पर आकर इसकी सूचना UIDAI को दे सकेगा।
बुधवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया, "आधार डेटाबेस की निरंतर सटीकता बनाए रखने के लिए UIDAI विभिन्न स्रोतों से मृत्यु रिकॉर्ड प्राप्त करने और सही वेरिफिकेशन के बाद आधार नंबर को डीएक्टिवेट करने के लिए इन उपायों को सक्रिय रूप से अपना रही है।"
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RGI से मिली जानकारी, बड़े पैमाने पर डीएक्टिवेशन जारी
UIDAI ने बताया कि उसने रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया से आधार नंबर से जुड़े डेथ रिकॉर्ड्स को साझा करने के लिए कहा है। सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लगभग 1.55 करोड़ डेथ रिकॉर्ड्स प्राप्त किए गए हैं। सही वेरिफिकेशन के बाद इनमें से लगभग 1.17 करोड़ आधार नंबर डीएक्टिवेट कर दिए गए हैं। अभी भी लगभग 6.7 लाख डेथ रिकॉर्ड्स के आधार पर नंबर को डीएक्टिवेट करने का काम जारी है।
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काम करेगी नई 'रिपोर्टिंग ऑफ डेथ' सेवा?
'Reporting of Death of a Family Member' सेवा के तहत परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु होने पर मृतक के परिवार के किसी सदस्य को मृतक के साथ अपने रिश्ते का प्रमाण देना होगा। पोर्टल पर मृतक का आधार नंबर, डेथ रजिस्ट्रेशन नंबर और कई दूसरे विवरणों की जानकारी देनी होगी। आपके द्वारा दी गई जानकारी को पहले सत्यापित किया जाएगा और फिर आधार को डीएक्टिवेट करने की प्रक्रिया शुरू होगी।
UIDAI इस काम के लिए राज्य सरकारों की भी मदद ले रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 100 साल से अधिक उम्र के आधार कार्ड धारकों से जुड़ी जानकारी राज्य सरकारों के साथ साझा की जा रही है ताकि यह पता लगाने में मदद मिले कि वे जीवित हैं या नहीं। वेरिफिकेशन रिपोर्ट मिलने के बाद ही ऐसे आधार नंबरों को डीएक्टिवेट किया जाएगा।
यह कदम मृतक व्यक्तियों की पहचान के संभावित दुरुपयोग को रोकने और आधार डेटाबेस की अखंडता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।