लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला बोले- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार में और देरी नहीं की जा सकती

Edited By rajesh kumar,Updated: 12 Mar, 2023 05:42 PM

un security council reform cannot be delayed further om birla

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने रविवार को कहा कि, ‘‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार में और देरी नहीं की जा सकती है।''

 

नेशनल डेस्क: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने रविवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे वैश्विक संस्थानों में तेजी से बदलती विश्व व्यवस्था की वास्तविकताओं को दर्शाने के लिए सुधार लाने के मामले में व्यापक सहमति है और परिषद में सुधार को लेकर और देरी नहीं की जा सकती है। बिरला ने मनामा (बहरीन) में आयोजित अंतर-संसदीय संघ की 146वीं सभा के दौरान "शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और समावेशी समाज को बढ़ावा देना: असहिष्णुता के विरुद्ध लड़ाई" विषय पर चर्चा के दौरान यह बात कही।

लोकसभा सचिवालय के बयान के अनुसार, बिरला ने लंबे समय से चले आ रहे भारत के इस दृष्टिकोण को दोहराया कि सभी वैश्विक मुद्दों का समाधान बातचीत के माध्यम से शांतिपूर्ण ढंग से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की संसद ने हमेशा जलवायु परिवर्तन, महिला-पुरुष समानता, सतत विकास और कोविड-19 महामारी जैसी समकालीन वैश्विक चुनौतियों पर व्यापक और सार्थक वाद-विवाद और विचार-विमर्श किया है।

लोकसभा अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि शांति, सद्भाव और न्याय का प्रसार करने वाली वैश्विक संस्थाएं शांति, समृद्धि, स्थिरता और न्यायोचित विश्व व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। बिरला ने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे वैश्विक संस्थानों में तेजी से बदलती विश्व व्यवस्था की वास्तविकताओं को दर्शाने के लिए सुधार लाने के मामले में व्यापक सहमति है।'' उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण मामले पर गंभीर चर्चा की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार में और देरी नहीं की जा सकती है।''

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि इस विषय को भविष्य के वैश्विक एजेंडे में शामिल किया जाए ताकि हम जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, गरीबी, महिला-पुरुष समानता और आतंकवाद जैसी चुनौतियों से निपटने में अधिक से अधिक योगदान दे सकें। उन्होंने कहा कि भारत में एक मजबूत सहभागी लोकतंत्र और एक जीवंत बहुदलीय प्रणाली है जहां लोगों की आशाएं और आकांक्षाएं निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से अभिव्यक्त होती हैं और लोकसभा में सभी सदस्य अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं। इससे पहले, भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने विभिन्न सत्रों में भाग लिया। इसमें सांसद पूनमबेन माडम, अपराजिता सारंगी, भर्तृहरि महताब और राधा मोहन दास शामिल हैं।

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