‘जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा’, मौलाना महमूद मदनी का विवादित बयान, बोले- सुप्रीम कोर्ट को Supreme कहलाने का हक नहीं

Edited By Updated: 30 Nov, 2025 07:10 AM

whenever there is oppression there will be jihad maulana mahmood madani

जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम) के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने शनिवार को आरोप लगाया कि देश में एक समूह की ‘वर्चस्व' स्थापित करने के लिए “संगठित प्रयास” किए जा रहे हैं, जिनमें बुलडोज़र कार्रवाई, भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करना और वक्फ़ को कमजोर करना शामिल...

नेशनल डेस्कः जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम) के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने शनिवार को आरोप लगाया कि देश में एक समूह की ‘वर्चस्व' स्थापित करने के लिए “संगठित प्रयास” किए जा रहे हैं, जिनमें बुलडोज़र कार्रवाई, भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करना और वक्फ़ को कमजोर करना शामिल है। जमीयत (एमएम) की कार्यकारिणी बैठक में मदनी कहा कि बाबरी मस्जिद फैसले और ऐसे कई दूसरे फैसलों के बाद यह बात जोर पकड़ रही है कि न्यायालय सरकारों के दबाव में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर उच्चतम न्यायालय अपनी ड्यूटी नहीं निभाता है तो वह उच्चतम कहलाने का हकदार नहीं है। 

राज्यसभा के पूर्व सदस्य ने कहा, “ यह कहना बेहद दुखद है कि एक वर्ग विशेष का वर्चस्व स्थापित करने और अन्य वर्गों को कानूनी रूप से मजबूर, सामाजिक रूप से अलग-थलग करने और आर्थिक रूप से अपमानित और वंचित करने के लिए आर्थिक बहिष्कार, बुलडोजर कार्रवाई, मॉब लिंचिंग (भीड़ हत्या), मुस्लिम वक्फ संपत्तियों में तोड़फोड़ और धार्मिक मदरसों और इस्लामी प्रतीकों के खिलाफ नकारात्मक अभियान चलाकर नियमित और संगठित प्रयास किए जा रहे हैं।” 

उन्होंने दावा किया कि उनकी धार्मिक पहचान और वजूद को गैर-जरूरी बना दिया गया है, और यह कुछ ऐसा है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। न्यायपालिका की भूमिका पर शक जताते हुए उन्होंने कहा, "सरकार लोगों को न्याय देने और शांति बनाए रखने के लिए मजबूर है। लेकिन अफसोस के साथ, कुछ समय से, फैसलों...बाबरी मस्जिद और कई दूसरे मुद्दों ने इस बात को हवा दी है कि न्यायालय सरकारों के दबाव में काम कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, कहीं पर कोई आतंकवादी घटना हो जाती है तो उसको जिहाद बता दिया जाता है। मुसलमानों के ऊपर गलत आरोप लगाए जाते हैं। जब-जब जुल्म होगा तब-तब जिहाद होगा।” उन्होंने कहा, "याद रखिए, उच्चतम न्यायालय तब तक ही उच्चतम कहलाएगा जब तक वह अपनी ड्यूटी पर टिका रहेगा।" 

मौलाना ने कहा, "अगर वह अपनी ड्यूटी पर नहीं टिका, तो वह उच्चतम कहलाने का हकदार नहीं है।" उन्होंने कहा, "वक्फ हमारे पुरखों की विरासत है। हम इसे ऐसे जाते हुए नहीं देख सकते। हम इस पर गैर-कानूनी तरीके से कब्जा करने की बात कर रहे हैं।" मदनी ने आरोप लगाया, "लेकिन नए कानून से सरकार ने कामकाज और आदर्शों को नुकसान पहुंचाया है।" उन्होंने कहा, "जमीयत ने संयुक्त संसदीय समिति में इसका विरोध किया था। हम यह साफ करना चाहते हैं कि सरकारों को हमारे धार्मिक कामों में दखल नहीं देना चाहिए। हम लड़ेंगे और आखिरी सांस तक लड़ेंगे।" 

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