Edited By Shubham Anand,Updated: 29 Dec, 2025 07:47 PM

भारतीय वाइन अब वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रही है। अंगूर के बजाय जामुन, आम और कश्मीरी सेब जैसे फलों से तैयार वाइन की मांग अमेरिका, ब्रिटेन और यूएई जैसे देशों में तेजी से बढ़ी है। चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में वाइन निर्यात दोगुना होकर 6.7...
नेशनल डेस्क : भारत में बनने वाली वाइन अब सिर्फ अंगूर तक सीमित नहीं रही है। फलों से तैयार की गई भारतीय वाइन, खासतौर पर बिना अंगूर वाली वाइन, अब धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी अलग पहचान बना रही हैं। घरेलू बाजार में बिक्री की रफ्तार अपेक्षाकृत धीमी रहने के बीच अब भारतीय वाइन निर्माता अपना फोकस विदेशों की ओर बढ़ा रहे हैं, जहां ‘मेड इन इंडिया’ वाइन को नए स्वाद और नई पहचान के तौर पर देखा जा रहा है।
निर्यात में रिकॉर्ड बढ़त दर्ज
इकोनॉमिक टाइम्स (ET) की एक रिपोर्ट में ट्रेड रिसर्च संस्था GTRI के हवाले से बताया गया है कि मौजूदा वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में भारत से वाइन का निर्यात बढ़कर करीब 6.7 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। यह आंकड़ा पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में दोगुने से भी अधिक है। हालांकि अभी भी एक्सपोर्ट में अंगूर से बनी वाइन का दबदबा बना हुआ है, लेकिन इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि अब विदेशी ग्राहक भारतीय फलों से बनी वाइन में भी तेजी से रुचि दिखा रहे हैं।
जामुन, आम और सेब से बनी वाइन की बढ़ती लोकप्रियता
जामुन के अलावा कश्मीरी सेब और अल्फांसो आम से तैयार की गई वाइन पहले ही विदेशी बाजारों में अपनी जगह बना चुकी हैं। पुणे स्थित एक वाइनरी ब्रिटेन (UK) को आम से बनी वाइन का निर्यात कर रही है, जबकि कश्मीरी सेब से बनी क्राफ्ट साइडर ब्रिटेन के कुछ चुनिंदा बाजारों में उपलब्ध है। इन उत्पादों ने यह साबित कर दिया है कि भारत में उगने वाले फलों की विविधता वाइन इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा अवसर बन सकती है।
विदेशी बाजारों में क्यों बढ़ रही भारतीय वाइन की मांग
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि विदेशी पर्यटक और ग्राहक नए-नए फ्लेवर और अनोखे स्वाद को आजमाने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हैं। यही वजह है कि UAE, अमेरिका और यूरोप जैसे बाजारों में भारतीय वाइन की मांग लगातार बढ़ रही है। हालांकि ज्यादा टैक्स और इंपोर्ट ड्यूटी के कारण कीमतें एक चुनौती बनी रहती हैं, लेकिन इसके बावजूद यह कारोबार वाइन मेकर्स और विदेशी इंपोर्टर्स दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है।
जामुन वाइन की ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय एंट्री
हाल ही में मुंबई से अमेरिका के लिए लगभग 800 केस वाइन की एक खास खेप भेजी गई, जिसमें जामुन से बनी भारतीय वाइन शामिल थी। यह पहली बार है जब जामुन से तैयार की गई वाइन अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंची है। महाराष्ट्र के नासिक क्षेत्र में स्थित सेवन पीक्स वाइनरी में बनी यह वाइन अब न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी के चुनिंदा रेस्टोरेंट्स में परोसी जाएगी। जामुन जैसे आम लेकिन विशिष्ट भारतीय फल से बनी वाइन का विदेशी ग्राहकों तक पहुंचना भारतीय वाइन इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
भारत में वाइन उद्योग और सामने मौजूद चुनौतियां
भारत में वाइन निर्माण अभी भी एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जिसकी शुरुआत लगभग तीन दशक पहले हुई थी। देश का वाइन बाजार लगातार बढ़ रहा है, लेकिन इसमें अभी भी इंपोर्टेड वाइन की हिस्सेदारी ज्यादा है। वहीं, नॉर्थ-ईस्ट भारत जैसे क्षेत्रों में कीवी और चावल से बनी पारंपरिक वाइन को अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने की कोशिशें जरूर हुईं, लेकिन सरकारी सपोर्ट और सब्सिडी की कमी के कारण निरंतर एक्सपोर्ट करना चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है। इसके बावजूद, फलों से बनी भारतीय वाइन की बढ़ती वैश्विक मांग यह संकेत देती है कि आने वाले समय में यह सेक्टर और तेजी से आगे बढ़ सकता है।