पश्चिम बंगाल:हरित पटाखों के लिए ‘क्लस्टर’ बनाने के फैसले से संशय में हैं पर्यावरणविद

Edited By PTI News Agency,Updated: 27 May, 2023 11:50 AM

pti west bengal story

कोलकाता, 26 मई (भाषा) पटाखों की अवैध इकाइयों को समाप्त करने के लिए ‘क्लस्टर’ स्थापित करने की पश्चिम बंगाल सरकार की योजनाओं को लेकर पर्यावरणविद संशय में हैं।

कोलकाता, 26 मई (भाषा) पटाखों की अवैध इकाइयों को समाप्त करने के लिए ‘क्लस्टर’ स्थापित करने की पश्चिम बंगाल सरकार की योजनाओं को लेकर पर्यावरणविद संशय में हैं।

इन योजनाओं के तहत पटाखों के निर्माण से जुड़े सभी कारखानों को समूहों में एक निर्धारित जगह स्थापित किया जाएगा, जहां उन्हें विनियमित और उनसे हरित मानदंडों का पालन कराया जा सकेगा।

पर्यावरणविदों ने दावा किया कि इसी तरह के प्रयास राज्य में पहले भी शुरू किए गए थे लेकिन वे केवल कागजों पर ही रह गए।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, उन क्षेत्रों में क्लस्टर स्थापित किए जाएंगे, जिनकी पहचान अवैध पटाखों के निर्माण केंद्र के रूप में की गई है।

जाने-माने पर्यावरणविद् सुभाष दत्ता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि क्लस्टर स्थापित करने का कदम चुनावों से पहले “राजनेताओं द्वारा रचा गया स्टंट” है, जिसका कोई नतीजा नहीं निकलेगा।

पर्यावरण कार्यकर्ता दत्ता ने कहा कि पहले भी वाम मोर्चा शासन और हाल के वर्षों के दौरान पटाखों के कारखानों को एक जगह स्थापित करने की बात हुई थी, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ।

दत्ता ने कहा, “इस तरह की घोषणा करने के बजाय, राज्य को इस व्यवसाय में शामिल लोगों के लिए आजीविका के अवसरों के मूल मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए।”
पर्यावरण कार्यकर्ता सोमेंद्र मोहन घोष ने कहा कि कारखानों के लिए ‘क्लस्टर’ विकसित करने की योजना 2012 में शुरू हुई थी और एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) 2018 में तैयार हुई थी।

हालांकि, कोविड महामारी शुरू हो जाने के कारण योजना को लागू नहीं किया जा सका।

पटाखा निर्माता संघ के सूत्रों के अनुसार, राज्य में कुटीर उद्योग की श्रेणी में आने वाला पटाखों का कारोबार 6,000 करोड़ रुपये का है और इस क्षेत्र में चार लाख लोग कार्यरत हैं।

पर्यावरण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दक्षिण 24 परगना जिले में ‘प्रदेश आतिशबाजी व्यवसायी समिति’ (पीएबीएस) जैसे पटाखा उत्पादकों के सहयोग से अक्टूबर 2022 से सुरक्षा दिशानिर्देशों के अनुरूप हरित पटाखों के उत्पादन पर कार्यशालाओं का आयोजन किया है।
अधिकारी ने कहा कि 2012-18 की अवधि में पटाखा ‘क्लस्टर’ की स्थापना को लेकर बातचीत जारी रही लेकिन इसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका।

हालांकि, ‘सारा बांग्ला आतिशबाजी उन्नयन समिति’ के अध्यक्ष बाबला रॉय ने कहा कि दक्षिण 24 परगना और उत्तर 24 परगना में आतिशबाजी केंद्रों में ‘क्लस्टर’ स्थापित करने की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है।

राज्य सरकार ने मंगलवार को पटाखा निर्माताओं के साथ एक बैठक की, जिसमें निर्णय लिया गया कि पटाखे बनाने और इसका कानूनी रूप से भंडारण करने के लिए विभिन्न प्रकार के ‘क्लस्टर’ बनाए जाएंगे।

बैठक में मौजूद बाबला रॉय ने कहा कि सरकारी या निजी जमीन पर ‘शेड’ और गोदाम बनाने में प्रशासन उनकी मदद करेगा।

उन्होंने कहा कि भीड़भाड़ वाले इलाकों से कम से कम 300 मीटर की दूरी पर खुली जगहों पर ‘क्लस्टर’ बनाए जाएंगे और विशेषज्ञ हरित पटाखे बनाने के तरीके पर कार्यशाला आयोजित करेंगे।

पश्चिम बंगाल में दार्जीलिंग को छोड़कर सभी जिलों में पटाखे निर्मित किये जाते हैं।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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