आज शाम को बन रहे विशेष योग में राशिनुसार करें चमत्कारिक उपाय

Edited By ,Updated: 13 Aug, 2015 03:41 PM

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सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का अत्यधिक महत्व है। अमावस्या तिथि मूलतः पितृओं हेतु समर्पित है परंतु शास्त्रों में सावन महीने में पड़ने वाली अमावस्या तिथि का सर्वाधिक महत्व बताया गया है। श्रावण मास की अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या कहते हैं। यह पर्व...

सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का अत्यधिक महत्व है। अमावस्या तिथि मूलतः पितृओं हेतु समर्पित है परंतु शास्त्रों में सावन महीने में पड़ने वाली अमावस्या तिथि का सर्वाधिक महत्व बताया गया है। श्रावण मास की अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या कहते हैं। यह पर्व प्रकृति पर छाई हरियाली हेतु मनाया जाता है। हरियाली अमावस पर वृक्ष पूजन व वृक्षारोपण का अधिक महत्व है। शास्त्रनुसार एक पे़ड दस पुत्रों के समान होता है। वृक्षारोपण का सुख व पुण्य अनंत है। इस दिन वृक्षों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने हेतु हर व्यक्ति को पौधा रोपण करना चाहिए। क्योंकि शास्त्रों में वृक्षों में देवताओं का वास बताया गया है। 
हरियाली अमावस्या पर वृक्षारोपण का वास्तु व ज्योतिषीय मत: वृक्षारोपण हेतु ज्योतिषशास्त्र में नक्षत्रों का महत्व बताया गया है। उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढा, उत्तराभाद्रपदा, रोहिणी, मृगशिर, रेवती, चित्रा, अनुराधा, मूल, विशाखा, पुष्य, श्रवण, अश्विनी, हस्त इत्यादि नक्षत्रों में किया गया वृक्षारोपण शुभफलदाई होता है। शास्त्रनुसार घर के समीप शुभ प्रभावकारी वृक्ष लगाने से लक्ष्मी का वास होता है और रोग व दरिद्रता दूर होते हैं। 
मनु-स्मृति अनुसार वृक्ष योनि पूर्व जन्मों के कर्मों के फलस्वरूप मानी गई है। शास्त्रनुसार पीपल में त्रिदेव का वास होता है। आंवले में लक्ष्मीनारायण का वास होता है। केले में स्वयं हरी-नारायण का वास होता है । बिल्व में त्रिपुरा सुंदरी का वास होता है। तुलसी में लक्ष्मी का वास होता है। तथा वटवृक्ष अर्थात बरगद में स्वयं परमेश्वर शिव का वास होता है।

कामना सिद्धि हेतु करें वृक्षारोपण
संतान प्राप्ति हेतु पीपल, नीम, बिल्व, नागकेशर, गु़डहल, अश्वगन्धा लगाएं।
 
सेहत प्राप्ति हेतु ब्राह्मी, पलाश, अर्जुन, आंवला, सूरजमुखी, तुलसी लगाएं।
 
संपन्नता प्राप्ति हेतु हरसिंगार, रातरानी, मोगरा, केवड़ा, गुलाब लगाएं।
 
पराक्रम वृद्धि हेतु आंकड़ा, शंखपुष्पी, पलाश, ब्राह्मी, तुलसी लगाएं।
 
धन प्राप्ति हेतु तुलसी, आंवला, केल, बिल्वपत्र का वृक्ष लगाएं। 
 
सौभाग्य प्राप्ति हेतु अशोक, अर्जुन, नारियल, बरगद लगाएं।
 
सुख प्राप्ति हेतु नीम, बरगद, पीपल, कदम्ब, शीशम लगाएं।
 
ज्योतिष अनुसार निम्ब, अशोक, पुन्नाग, शिरीष, बिल्वपत्र, आंकड़ा व तुलसी शुभफलदायी माने गए हैं। वास्तु शास्त्रनुसार घर के पास अशुभ प्रभावकारी वृक्ष नहीं होने चाहिए। घर में कांटे वाले, दूध वाले और फल वाले वृक्ष अनिष्टकारी सिद्ध होते है। कुछ वृक्ष जैसे पाकर, बेर, गूलर, नीम, बहे़डा, पीपल, कपित्थ, बेर, निर्गुण्डी, इमली, कादम्ब, बेल, खजूर ये घर में लगाना वर्जित माना गया है। वास्तु की दृष्टि से इनका घर में होना अशुभ माना गया है। घर में केला, केकटस, बिल्व, अनार, पीपल, इमली, नींबू लगाने से घर की वृद्धि नहींं होती।
 
हरियाली अमावस्या का पूजन व वृक्षारोपण मुहूर्त: ज्योतिषशास्त्र के महूर्त खंड अनुसार गुरुवार दिनांक 13.08.15 को पुष्य नक्षत्र में अमावस्या तिथि शाम 06 बजकर 50 मिनट से प्रारम्भ होगी। सर्व अमंगलहारी गुरु-पुष्य योग व अमृतसिद्धि योग रात 11 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। इस महूर्त में शिव पूजन करने से अभीष्ट सिद्धि प्राप्त की जा सकती है। पूजन हेतु सर्वश्रेष्ठ महूर्त गुरुवार दिनांक 13.08.15 को शाम 07 बजकर 09 मिनट से रात 20 बजकर 36 तक रहेगा। अमावस्या तिथि शुक्रवार दिनांक 14.08.15 शाम 08 बजकर 23 मिनट तक रहेगी। शुक्रवार दिनांक 14.08.15 को बुध का नक्षत्र आश्लेष रहेगा। यह नक्षत्र वृक्षारोपण हेतु सर्वश्रेष्ठ है। पितृकर्म अमावस्या हेतु शुक्रवार दिनांक 14.08.15 ही मान्य मनी जाएगी। शुक्रवार को पितृ पूजन व वृक्षारोपण का सर्वश्रेष्ठ महूर्त प्रातः 06 बजकर 07 मिनट से 07 बजकर 30 मिनट टाका रहेगा। इसके बाद दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से दोपहर 1 बजे तक तथा शाम 3 बजकर 18 मिनट से 03 बजकर 03 बजकर 41 मिनट तक । 
 
राशि अनुसार करें उपाय
मेष: बिल्व के पेड़ पर सिंदूर चढ़ाएं।
 
वृष: देसी गुलाब के पौधे पर इत्र चढ़ाएं।
 
मिथुन: तुलसी के पौधे पर मिश्री चढ़ाएं।
 
कर्क: बबूल के पेड़ को दूध से सींचें। 
 
सिंह: अशोक के पेड़ पर शहद चढ़ाएं।
 
कन्या: तुलसी के पौधे पर घी का दीपक करें। 
 
तुला: हरसिंगार के पेड़ पर दही चढ़ाएं।
 
वृश्चिक: आंवले के पेड़ पर चमेली के तेल का दीपक करें।
 
धनु: पीपल के पेड़ पर हल्दी की गांठें चढ़ाएं।
 
मकर: बरगद के पेड़ पर सरसों के तेल का दीपक करें। 
 
कुंभ: बरगद के पेड़ पर तिल के तेल का दीपक करें। 
 
मीन: केले के पौधे पर चने की दाल चढ़ाएं।
 
आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com 

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