विदेश नीति : भारत बगलें झांक रहा है

Edited By ,Updated: 12 Mar, 2023 05:43 AM

foreign policy india is looking sideways

विदेश नीति के मामले में चीन कैसे भारत से ज्यादा सफल हो रहा है, इसका ताजा उदाहरण हमारे सामने आया है।

विदेश नीति के मामले में चीन कैसे भारत से ज्यादा सफल हो रहा है, इसका ताजा उदाहरण हमारे सामने आया है। हम चीन को अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में अपना प्रतिद्वंद्वी समझते हैं और अपनी जनता को हम यह समझाते रहते हैं कि देखो, हम चीन से कितने आगे हैं लेकिन कल ईरान और सऊदी अरब के बीच जो समझौता हुआ है, उसका सारा श्रेय चीन लूटे चले जा रहा है और भारत बगलें झांक रहा है।

पिछले 7 साल से ईरान और सऊदी अरब के बीच राजनयिक संबंध भंग हो चुके थे, क्योंकि सऊदी अरब में एक शिया मौलवी की हत्या कर दी गई थी। ईरान एक शिया राष्ट्र है। तेहरान स्थित सऊदी राजदूतावास पर ईरानी शियाओं ने जबरदस्त हमला बोल दिया था। सऊदी सरकार ने कूटनीतिक रिश्ता तोड़ दिया। इस बीच सऊदी अरब और ईरान पश्चिम एशियाई देशों के आंतरिक मामलों में एक-दूसरे के विरुद्ध हस्तक्षेप भी करते रहे। यमन, सीरिया, ईराक और लेबनान जैसे देशों में एक-दूसरे के समर्थकों को सैन्य-सहायता भी देते रहे।

सऊदी अरब ने ईरान पर ये आरोप भी लगाए कि यमन के हाऊथी बागियों से उसने सऊदी अरब में सीमा-पार से प्रक्षेपास्त्र और ड्रोन आक्रमण भी करवाए तथा उसके तेल के कुंओं को उड़ाने की भी कोशिशें कीं। दोनों इस्लामी देशों के संबंध इतने कटु हो गए थे कि सऊदी अरब के शासक मोहम्मद बिन सलमान ने यहां तक कह दिया कि आयतुल्लाह खामेनई ‘नया हिटलर’ है। सऊदी अरब लंबे समय से अमरीका के नजदीक रहा है। इसराईल के साथ उसके संबंधों को सहज बनाने में अमरीका की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है।

लेकिन अमरीका-ईरान संबंधों में पिछले 40-42 साल से गहरा तनाव है। दोनों राष्ट्रों के बीच व्यापार, आवागमन, कूटनीतिक संबंध तथा अन्य क्षेत्रों में दुश्मनों जैसा व्यवहार रहा है लेकिन इन दोनों मुस्लिम राष्ट्रों से भारत के संबंध सहज और उत्तम रहे हैं। दोनों को हमने पटा रखा है, यह हमारी कूटनीतिक चतुराई है लेकिन क्या यह काफी है? दोनों राष्ट्र हमसे अच्छे संबंध बनाए रखते हैं, क्योंकि दोनों के मतलब सिद्ध हो रहे हैं लेकिन क्या भारत कोई बड़ी भूमिका निभा पा रहा है? नहीं जैसे वह यूक्रेन के मामले में ठकुरसुहाती बोलता रहता है, वैसे ही ईरान और सऊदी के मामले में भी वह रामाय स्वास्ति और रावणाय स्वास्ति करता रहता है। इस मामले में चीन ने भारत को मात दे दी है।

चीन के प्रसिद्ध राजनयिक वांग ई ने इन दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों को बुलाकार बीजिंग में बिठाया और उनके बीच समझौता करवा दिया। अब अगले 2 माह में ईरान और सऊदी कूटनीतिक संबंध स्थापित कर लेंगे और दोनों ने एक-दूसरे की संप्रभुता के सम्मान की घोषणा भी की है। यह चीनी पहल उसे विश्व राजनीति में विशेष स्थान दिलवाने में मदद करेगी। यों तो भारत की विदेश नीति भारत के राष्ट्रहित की रक्षा काफी ठीक से कर रही है लेकिन उसके पास कुछ प्रतिभाशाली नेता और तेजस्वी अधिकारी हों तो आज की दिग्भ्रमित विश्व-राजनीति में वह काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। -डा. वेदप्रताप वैदिक

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