कैसे लगेगी जानलेवा कैंसर पर लगाम

Edited By ,Updated: 04 Feb, 2023 04:33 AM

how to control deadly cancer

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और दवाओं ने कई असाध्य रोगों पर विजय प्राप्त कर ली है और कुछ को रोक दिया है। लेकिन खतरनाक कैंसर सभी चिकित्सा विधियों को चकमा देकर आगे बढऩे वाला रोग साबित हुआ है। पिछले 20 सालों में दुनिया भर में कैंसर के मरीजों की संख्या...

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और दवाओं ने कई असाध्य रोगों पर विजय प्राप्त कर ली है और कुछ को रोक दिया है। लेकिन खतरनाक कैंसर सभी चिकित्सा विधियों को चकमा देकर आगे बढऩे वाला रोग साबित हुआ है। पिछले 20 सालों में दुनिया भर में कैंसर के मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, और चंडीगढ़ में कैंसर के रोगियों की संख्या बढ़ी है। पंजाब में कैंसर के मामले 2018 में 36801, 2019 में 37744 और 2020 में बढ़कर 38636 हो गए। 

हरियाणा में 2018 में 27665, 2019 में 28453 और 2020 में 29219 कैंसर के मामले पाए गए। हिमाचल में 2018 में 8012, 2019 में 8589 और 2020 में 8777 मामले पाए गए। चंडीगढ़ में 2018 में 966, 2019 में 994 2020 में 1024 मामले पाए गए। मौजूदा समय में पंजाब में 1 लाख लोगों पर 90 मरीज कैंसर से पीड़ित हैं। पिछले 7 सालों की बात करें तो हर साल औसतन 7586 नए मामले आए हैं। भले ही सरकार कैंसर पीड़ितों के इलाज पर करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा कर रही है। लेकिन जागरूकता की कमी के चलते इसकी कहानी उल्टी है। आज भी कई महिलाएं शर्म और डर के कारण बीमारी बताने को तैयार नहीं हैं। डाक्टर बताते हैं कि यहां कैंसर का इलाज करवाने वाले मानते हैं कि कैंसर पीढ़ी दर पीढ़ी होने वाली बीमारी है जबकि मैडीकल साइंस में सिर्फ 5 फीसदी कैंसर हैं जो मां-बाप से आगे बच्चों को होता है। 

पंजाब में कैंसर की उच्च घटनाओं के लिए कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग को एक कारण के रूप में उद्धृत किया गया है। एक ट्रिकल-डाऊन प्रभाव पूरे देश में महसूस किया जा सकता है। दक्षिण-पश्चिम पंजाब के कपास उगाने वाले जिलों में कैंसर की असामान्य रूप से उच्च घटनाएं हैं, जो अन्य कारकों के साथ कीटनाशकों के उपयोग से जुड़ी हुई हैं। कोरोना काल में कैंसर, टी.बी. और हृदयाघात जैसी बीमारियों के आंकड़े सामने नहीं आए थे। अब कैंसर के मामलों के जो ताजे आंकड़े जारी किए गए हैं, वे देश की भयावह स्थिति को दर्शाते हैं। खुद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने भी कुछ ही दिन पहले राज्यसभा में आधिकारिक आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 2020 और 2022 के बीच देश में कैंसर के अनुमानित मामले और इसके कारण होने वाली मृत्यु दर में वृद्धि हुई है। 

डब्ल्यू.एच.ओ. के एक अनुमान के मुताबिक, 2018 में कैंसर से कुल 96 लाख मौतें हुईं थीं। इनमें से 70 फीसदी मौतें गरीब देश या भारत जैसे मिडल इंकम वाले देशों में हुईं। इसी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कैंसर से 7$84 लाख मौतें हुईं। यानी कैंसर से हुईं कुल मौतों की 8 फीसदी मौतें अकेले भारत में हुईं। दुनिया भर के देशों में कैंसर के खिलाफ जंग जारी है। लेकिन जिस तेजी से चिकित्सा के उपाय खोजे जा रहे हैं उससे अधिक तेजी से इसका प्रसार हो रहा है। भारत में वैकल्पिक चिकित्सा के क्षेत्र में कई दशकों से काम करने वाली एक अग्रणी संस्था डी.एस. रिसर्च सैंटर के वैज्ञानिकों ने खाद्य पदार्थों की पोषक ऊर्जा से कैंसर की औषधि तैयार की है। 

शुरू में इसका परीक्षण कैंसर के कई मरणासन्न रोगियों पर किया गया। इन रोगियों में कई स्वस्थ होकर आज भी जीवित हैं। कई रोगियों में आशाजनक सुधार हुआ जिसकी पुष्टि उनकी जांच रिपोर्टों से साबित हुई। हाल ही में इस औषधि का परीक्षण कोलकाता के जाधवपुर विश्वविद्यालय के नैदानिक अनुसंधान केन्द्र (सी.आर.सी.) ने भी किया। सी.आर.सी. विभिन्न रोगों के लिए दवाइयों का नैदानिक परीक्षण करता है। इसी सिलसिले में उन्होंने सर्वपिष्टी का भी नैदानिक परीक्षण किया था। किसी दवाई की प्रभावकारिता का स्तर सुनिश्चित करने के लिए सामान्यत: दो प्रकार का परीक्षण किया जाता है- पहला, औषधीय (फार्माकोलॉजिकल) परीक्षण और दूसरा विष विद्या सम्बन्धी (टोक्सीकोलॉजिकल) परीक्षण। ये परीक्षण आयातित सफेद चूहों पर किए गए। 

पशु शरीर में कैंसर कोशिकाओं को प्रविष्ट कराया गया और जब ट्यूमर निर्मित हो गया तब हमने दवा देना शुरू किया। ‘पोषक ऊर्जा’ के परीक्षण की स्थिति में 14 दिनों बाद जो प्रतिक्रियाएं देखी गईं उनमें कोशिकाओं की संख्या स्पष्ट रूप से कम होना शुरू हो गई थी। पशु शरीर में कोई अल्सर पैदा नहीं हुआ। ट्यूमर विकास दर 46 प्रतिशत तक कम हो गई थी और दवा की विषाक्तता लगभग शून्य थी। विशेषज्ञों का कहना है कि आपके कैंसर के डायग्रोसिस में कुछ दिनों की देरी भी घातक हो सकती है। दूसरी सकारात्मक बात यह है कि हम थायराइड, ओवेरियन और स्तन कैंसर जैसे कुछ प्रकार के कैंसर के लगभग 100 फीसदी इलाज के करीब पहुंच गए हैं। टैस्टिकुलर और थायरायड जैसे कैंसर को लेकर हम आसानी से कह सकते हैं कि ठीक होने की 100 फीसदी संभावना है, लेकिन कैंसर के अन्य रूपों जैसे पैंक्रियाटिक के मामले में बचने की संभावना कम है।-निरंकार सिंह

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!