कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव जीने-मरने जैसा

Edited By Updated: 03 Mar, 2024 05:28 AM

lok sabha elections are like life or death for congress

और कांग्रेस के नेता ‘न्याय यात्रा’ कर रहे हैं। कैसी विडम्बना है? सत्ता पक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव क्षेत्रों के सिपाहसलारों को लडऩे-भिडऩे के लिए चुन भी लिया है जबकि कांग्रेस के राजकुमार सड़कों पर ‘न्याय यात्रा’ लिए घूम रहे...

और कांग्रेस के नेता ‘न्याय यात्रा’ कर रहे हैं। कैसी विडम्बना है? सत्ता पक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव क्षेत्रों के सिपाहसलारों को लडऩे-भिडऩे के लिए चुन भी लिया है जबकि कांग्रेस के राजकुमार सड़कों पर ‘न्याय यात्रा’ लिए घूम रहे हैं। सोनिया गांधी, खरगे  साहिब या प्रियंका गांधी, राहुल गांधी एक नए गठबंधन ‘इंडिया’ का गठन कर रहे हैं परन्तु गठन करते-करते ‘न्याय यात्रा’ पर क्यों निकल गए? यह अस्थिर मन का संकेत है।

राहुल गांधी आत्म मुग्धता से ऊपर उठें और कांग्रेस के सामने जो बड़ा खतरा 2024 के लोकसभा चुनाव हैं उसकी ओर ध्यान दें। राहुल का मुकाबला नरेंद्र मोदी से है किसी नौसिखिए राजनेता से नहीं। यह पलायनवाद है। 2024 के लोकसभा चुनाव का युद्ध लड़ें। युद्ध जीत गए तो ‘न्याय यात्रा’ भी संपूर्ण और ‘आप’  की पिछली ‘भारत जोड़ो’ यात्रा की सफलता भी सिद्ध हो जाएगी। युद्ध हार गए तो जग हंसाई होगी।  भारतीय जनता पार्टी ने भारत की जनता के मनोविज्ञान को लोकसभा की 400 सीटों में घेर लिया है।

22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की ‘प्राण-प्रतिष्ठा’ ने भारतीय जनता पार्टी के हौसलों को और गति दे दी है। अब देखना यह है कि भारत की जनता लोकतंत्र में किसके सिर ताज पहनाना चाहती है? राहुल गांधी न्याय अपने लिए मांग रहे हैं या भारत की 140 करोड़ जनता के लिए। यदि न्याय अपने लिए मांग रहे हैं तो फिर न्याय यात्रा में लगे रहें और यदि जनता के लिए न्याय मांग रहे हैं तो लोकसभा का युद्ध जीतो। कांग्रेस के सामने 2024 का लोकसभा चुनाव जीवन-मरण का प्रश्र होना चाहिए। वैसे तो सारे विपक्ष के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव खतरे की घंटी है। आप पूछेंगे क्यों?

इसलिए कि 2014 से 2024 के इन दस सालों में नरेंद्र मोदी ने  अपने आचार-व्यवहार से विश्वभर के नेताओं में अपनी पैठ बना ली है। कोई मान ही नहीं सकता था कि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 खत्म होगी। कौन जानता था 500 सालों से लटकता चला आ रहा बाबरी मस्जिद विवाद हल होगा? हो गया, श्रेय मोदी को मिला। नरेंद्र मोदी जहां भी जाते हैं स्वयंमेव ‘मोदी-मोदी’ होने लगता है।

राहुल गांधी को पता भी नहीं होगा कि लगभग 300 प्रबुद्ध संघ प्रचारकों की टीम नरेंद्र मोदी की सलाहकार टीम है। मोदी 24 घंटे मीडिया में दहाड़ते नजर आएंगे। सारा मीडिया मोदी के आगे नतमस्तक है। प्रखर वक्ता हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का शक्तिशाली संगठन मोदी के लिए कार्यरत है। भारतीय जनता पार्टी के लाखों कार्यकत्र्ता बिना ओवर कान्फीडैंस हुए काम में लगे हुए हैं। बूथ स्तर तक बड़े से बड़ा कार्यकत्र्ता नि:स्वार्थ भाव से लगा हुआ है। सेठ-साहूकार पार्टी को चुनावी फंड देने में गर्व अनुभव करते हैं। चलते हैं तो मानो अकेला शेर सैर को निकला है। कोई थकान नहीं। उनका अपना कोई नहीं सिवाय अपने देश के।

24 घंटे कार्यरत लोकसभा की 400 सीटों का ऐसा मनोविज्ञान लोगों के दिलो-दिमाग में बिठा दिया है कि छोटे से छोटा कार्यकत्र्ता भी 400 सीटों से नीचे की बात नहीं करता। राहुल गांधी यह भी नहीं जानते कि एक ही व्यक्ति सर्वशक्तिमान बन गया है जो लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी हो सकता है। राहुल गांधी सोचें, भारत की जनता तनिक विचार तो करे कि सारा राजनीतिक वातावरण विपक्ष विहीन दिख रहा है। यदि कहीं कोई विपक्षी नेता दिखाई भी देता है तो वह तेजहीन।

ऊपर से ई.डी.या इंकम टैक्स वालों का ऐसा भय कि विपक्ष का 40 प्रतिशत भागता-भागता भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो रहा है। थोड़ा जनता दिमाग पर जोर देकर देखें कि अकेले राहुल गांधी ही विपक्ष में बोलते हैं बाकी विपक्ष है कहां? विडम्बना यह भी है कि कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति राहुल गांधी को गंभीरता से लेता ही नहीं। राहुल गांधी की  बॉडी लैंग्वेज ही एक राजनेता की नहीं लगती। भारत की जनता यह भी देख रही है कि जब से राहुल गांधी कांग्रेस में कर्ता-धर्ता बने हैं और राहुल गांधी के नेतृत्व में जितने भी चुनाव हुए हैं कांग्रेस 90 प्रतिशत चुनाव हारती चली आ रही है। 

खरगे और सोनिया गांधी इस पर विचार क्यों नहीं कर रहे? आखिर कांग्रेस का एक लम्बा और  गौरवमयी इतिहास रहा है। नरेंद्र मोदी की गारंटियों के आगे कांग्रेस भयभीत क्यों है? क्या विपक्ष की सशक्त भूमिका नहीं निभा रही है? लुटकती क्यों चली जा रही है? क्या कांग्रेस विचार हीन हो गई है या विचार करना ही नहीं चाहती? हारों पर हार पर विचार क्यों नहीं? कभी एक का तो कभी दूसरी विपक्षी नेताओं के कंधों का सहारा ले रही है। अपना अतीत इतिहास खोजे।

राहुल गांधी के अतिरिक्त विपक्ष में है तृणमूल कांग्रेस की नेता सुश्री ममता बनर्जी परन्तु खतरे की घंटी इस विपक्षी नेता के दरवाजे पर दस्तक देती दिखाई देती है। आओ 2024 के लोकसभा नतीजों का इंतजार करें। उत्तर प्रदेश में विपक्ष के नेता अखिलेश यादव। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस से हाथ मिलाया है। बिहार में विपक्ष में खड़े हैं एक नौजवान नेता लालू प्रसाद के सुपुत्र तेजस्वी यादव परन्तु हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का उन से अलग होकर नरेंद्र मोदी से मिल जाना कोई दूसरी ही कहानी बिहार में कह रहा है।

यू.पी. और बिहार में लगता नहीं कि विपक्ष कोई अनहोनी 2024 के लोकसभा चुनावों में कर पाए। यह भी समय ही बताएगा कि बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्षा मायावती यू.पी. में क्या हासिल करती हैं? अभी तक मायावती की स्थिति असमजंस की बनी हुई है।  मायावती का तिलिस्म किस करवट बैठेगा। अभी कुछ कहना दूर की कौड़ी है। हरियाणा में विपक्षी कांग्रेसी नेता हैं भूपिन्द्र सिंह हुड्डा परन्तु उम्र लांघ चुके हैं। देखना यह भी होगा कि हरियाणा में ‘इनैलो’ भाजपा के साथ चलती है या अलग-अलग रास्ता अपनाती है? राजस्थान में अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश में कमल नाथ या दिग्विजय सिंह अपनी भूमिका विपक्षी नेता के रूप में कितनी कारगर निभाते हैं।

इसी प्रकार का राजनीतिक धुंधलका जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला का है। वहां देखना यह होगा कि मुफ्ती महबूबा फारुख अब्दुल्ला से मिलकर चुनाव लड़ती है या अलग-अलग होकर चुनाव में अपना भाग्य आजमाते हैं। अब दिल्ली के केजरीवाल और पंजाब में भगवंत मान दोनों मुख्यमंत्री किस ओर रुख करते हैं। ‘आप’ सरकार दिल्ली और पंजाब में विपक्ष की सरकारें संभाले हुए हैं।

‘आप’ एक नई पार्टी है शायद विपक्ष के लिए कोई करिश्मा कर पाए लेकिन लोगों में ‘आप’  जैसी नई पार्टी पर आशाएं लगाना मृगतृष्णा के समान न हो परन्तु मोदी के खिलाफ ‘आप’ पार्टी अपनी-अपनी गोटियां फिट करती नजर आ रही हैं। यदि देश में लोकतंत्र को सुरक्षित रखना है तो विपक्ष को अपनी भूमिका का पता होना चाहिए। विपक्ष सत्ता पक्ष का विकल्प है। विपक्ष का कमजोर होना लोकतंत्र के लिए हानिकारक है। -मा. मोहन लाल (पूर्व परिवहन मंत्री, पंजाब)

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!