भारत-चीन संबंधों में सुधार के बीच सरकार का बड़ा कदम, चाइनीस सामान से हटेंगी बंदिशें

Edited By Updated: 04 Nov, 2025 12:11 PM

amid improving india china relations government has taken a major step

भारत सरकार अब चीन से आने वाले उत्पादों की मंजूरी प्रक्रिया को तेज करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। यह फैसला बीते कुछ महीनों में भारत-चीन संबंधों में आई नरमी और घरेलू बाजार में बढ़ती मांग को देखते हुए लिया गया है। 2020 में सीमा पर हुई झड़पों के बाद...

बिजनेस डेस्कः भारत सरकार अब चीन से आने वाले उत्पादों की मंजूरी प्रक्रिया को तेज करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। यह फैसला बीते कुछ महीनों में भारत-चीन संबंधों में आई नरमी और घरेलू बाजार में बढ़ती मांग को देखते हुए लिया गया है। 2020 में सीमा पर हुई झड़पों के बाद भारत ने चीन से आने वाले कई सामान- जैसे इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स, स्टील, जूते और घरेलू उत्पाद के अप्रूवल को लगभग रोक दिया था लेकिन अब हालात बदलते नजर आ रहे हैं।

सरकार क्यों बदल रही है रुख?

हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात के बाद दोनों देशों के रिश्तों में सुधार के संकेत मिले हैं। इसके बाद सीधी उड़ानें और बिज़नेस वीजा जारी होने की प्रक्रिया फिर शुरू हुई है। अब केंद्र सरकार उन विदेशी कंपनियों के लिए मंजूरी की राह आसान कर रही है, जिनके उत्पाद भारतीय बाजार में जरूरी हैं।

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DPIIT की पहल

Department for Promotion of Industry and Internal Trade (DPIIT) ने हाल ही में उद्योगों से उन मामलों की जानकारी मांगी है, जिनमें विदेशी विनिर्माण इकाइयों, खासकर चीन की फैक्ट्रियों, के अप्रूवल लंबित हैं। सरकार इन पेंडिंग फाइलों को जल्द निपटाने की योजना पर काम कर रही है ताकि बाजार में जरूरी सामानों की कमी न हो।

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त्योहारी सीजन में बढ़ी मांग का दबाव

GST दरों में कटौती के बाद टीवी, वॉशिंग मशीन, फ्रिज और डिशवॉशर जैसे उत्पादों की बिक्री तेजी से बढ़ी है। कई ब्रांड्स के पास अब स्टॉक की कमी हो गई है और सप्लाई चेन पर दबाव बढ़ गया है। ऐसे में सरकार ने BIS (Bureau of Indian Standards) की मंजूरी प्रक्रिया को तेज करने का निर्देश दिया है, ताकि विदेशी सप्लायर्स से उत्पाद समय पर भारत पहुंच सकें।

क्वालिटी और लोकलाइजेशन का संतुलन

भारत में किसी भी उत्पाद की बिक्री से पहले BIS अप्रूवल जरूरी है। विदेशी फैक्ट्रियों के लिए यह प्रक्रिया लंबी होती है क्योंकि निरीक्षण के लिए भारतीय अधिकारी विदेश जाकर जांच करते हैं। 2020 के बाद चीन के कई प्लांट्स को अप्रूवल नहीं मिल पा रहा था, जिससे सप्लाई चेन प्रभावित हुई। अब सरकार गुणवत्ता से समझौता किए बिना अप्रूवल प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाने की दिशा में काम कर रही है।

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भारत-चीन व्यापार में नए संकेत

हाल ही में चीन ने भारत को रेयर अर्थ मैग्नेट्स का निर्यात फिर शुरू किया है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों, अक्षय ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए अहम हैं। यह दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक सहयोग का संकेत है और आने वाले महीनों में व्यापारिक रिश्तों में और सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।

 

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