महामारी का असर: Fuel डिमांड में बड़ी गिरावट, 21 साल में पहली बार घटी खपत

Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Apr, 2021 11:05 AM

big in fuel demand consumption decreased for the first time in 21 years

कोरोना महामारी के चलते देश में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की खपत में पिछले वित्त वर्ष के दौरान 9.1 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई। दो दशक से अधिक समय में पहली बार ऐसा हुआ है जब वार्षिक आधार पर ईंधन की खपत गिरी है। पिछले साल कोरोना वायरस महामारी पर...

बिजनेस डेस्कः कोरोना महामारी के चलते देश में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की खपत में पिछले वित्त वर्ष के दौरान 9.1 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई। दो दशक से अधिक समय में पहली बार ऐसा हुआ है जब वार्षिक आधार पर ईंधन की खपत गिरी है। पिछले साल कोरोना वायरस महामारी पर अंकुश पाने के लिए कड़ा लॉकडाउन लगाया गया था।

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शुक्रवार को पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ट (पीपीएसी) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019-20 में देश में 21.41 करोड़ टन पेट्रोलियम पदार्थों की खपत हुई। 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष 2020-21 में 19 करोड़ 46 लाख टन खपत हुई। वर्ष 1998-99 के बाद पहली बार पेट्रिलियम खपत गिरी है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान डीजल की खपत 12 प्रतिशत घटकर 7.27 करोड़ टन और पेट्रोल की 6.7 प्रतिशत घटकर 2.79 करोड़ टन रही।

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LPG की खपत में वृद्धि 
विमान ईंधन की खपत में 53.6 प्रतिशत की जबर्दस्त गिरावट दर्ज की गई और यह 37 लाख टरन रहा। नाफ्था की बिक्री 1.42 करोड़ टन के साथ करीब करीब एक साल पहले के बराबर ही रही। सड़क निर्माण तेज होने से अलकतरा की बिक्री 6 प्रतिशत बढ़कर 71.1 लाख टन पर पहुंच गई। पिछले वित्त वर्ष के दौरान घरेलू एलपीजी ही आम जरूरत का ऐसा पेट्रोलियम उत्पाद रहा जिसकी खपत में वृद्धि दर्ज की गई। वर्ष के दौरान इसकी खपत 4.7 प्रतिशत बढ़कर 2.76 करोड़ टन तक पहुंच गई। इससे पिछले वित्त वर्ष 2019- 20 में यह 2.63 करोड़ टन रही थी। 

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सख्त लॉकडाउन का बुरा असर
गरीब परिवारों को मुफ्त सिलेंडर दिए जाने से घरेलू एलपीजी की खपत बढ़ी है। सरकार ने पिछले साल अप्रैल-मई के दौरान देशव्यापी लॉकडाउन लगा दिया था। लॉकडाउन के कारण कारखानों में कारोबार बंद हो गया। व्यापार और सड़क परिवहन भी थम गया था। रेलगाड़ियां, विमान सेवाएं सब बंद कर दी गई थीं। उसके बाद जून से लॉकडाउन को विभिन्न चरणाों में उठाना शुरू किया गया। 

आर्थिक स्थिति भी बिगड़ी
पिछले वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7 से 8 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है। हालांकि, वर्ष की अंतिम तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में अच्छा सुधार देखा गया। लेकिन वर्षांत होते होते कोविड-19 की दूसरी लहर शुरू होने से कुछ राज्यों में फिर से लॉकडाउन लगाया जाने लगा है। इससे आर्थिक गतिविधियों में आने वाले सुधार के समक्ष फिर से चुनौती खड़ी होने लगी है।

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