Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 Jun, 2025 11:24 AM

तेल की बढ़ती कीमतों से जूझ रहे आम उपभोक्ताओं को केंद्र सरकार ने बड़ी राहत दी है। सरकार ने कच्चे सूरजमुखी, सोयाबीन और पाम तेल पर लगने वाले बेसिक कस्टम ड्यूटी (BCD) को 20% से घटाकर 10% कर दिया है। यह निर्णय खाद्य तेल की कीमतों को नियंत्रण में लाने और...
बिजनेस डेस्कः तेल की बढ़ती कीमतों से जूझ रहे आम उपभोक्ताओं को केंद्र सरकार ने बड़ी राहत दी है। सरकार ने कच्चे सूरजमुखी, सोयाबीन और पाम तेल पर लगने वाले बेसिक कस्टम ड्यूटी (BCD) को 20% से घटाकर 10% कर दिया है। यह निर्णय खाद्य तेल की कीमतों को नियंत्रण में लाने और आम जनता को राहत देने के उद्देश्य से लिया गया है।
क्यों लिया गया ये फैसला?
सितंबर 2024 में घरेलू रिफाइनिंग उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने आयात शुल्क बढ़ा दिया था। हालांकि, इसका उल्टा असर हुआ- अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी कीमतें बढ़ीं, जिससे घरेलू बाजार में खाद्य तेल की दरें और चढ़ गईं। आम आदमी की रसोई का बजट बुरी तरह से प्रभावित हुआ।
इसी के मद्देनज़र अब सरकार ने कच्चे तेल पर आयात शुल्क घटाया है, जिससे घरेलू स्तर पर तेल की रिफाइनिंग को बढ़ावा मिलेगा और लागत घटेगी।
क्या होगा असर?
शुल्क में इस कटौती से कच्चे और परिष्कृत तेलों के बीच शुल्क का अंतर अब 8.75% से बढ़कर 19.25% हो गया है। इसका अर्थ है कि रिफाइंड तेल आयात करना महंगा होगा, जबकि कच्चा तेल सस्ता हो जाएगा। इससे रिफाइनिंग कंपनियाँ अब भारत में ही तेल को प्रोसेस करना पसंद करेंगी। इससे न केवल घरेलू रिफाइनिंग उद्योग को बल मिलेगा बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ सकते हैं।
क्या उपभोक्ताओं को मिलेगा लाभ?
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस राहत का सीधा फायदा उपभोक्ताओं तक पहुँचना चाहिए। खाद्य तेल कंपनियों और व्यापारियों को निर्देश दिया गया है कि वे कीमतों में कटौती करें ताकि आम आदमी को राहत महसूस हो। हालांकि, यह देखना बाकी है कि कंपनियाँ कितनी तेजी से इस पर अमल करती हैं।