प्लैटिनम के आगे फीकी पड़ी सोने-चांदी की चमक, दिया 80% रिटर्न

Edited By Updated: 07 Oct, 2025 06:01 PM

gold and silver have lost their sheen to platinum

सोना और चांदी ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दे रहे हों लेकिन प्लैटिनम ने दोनों को पछाड़ते हुए इस साल सबसे अधिक मुनाफा कमाया है। अब तक इसकी कीमतों में करीब 80% तक की जबरदस्त तेजी दर्ज की गई है, जिसने बाजार में हलचल मचा दी है। वहीं, सोना 51% और चांदी...

बिजनेस डेस्कः सोना और चांदी ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दे रहे हों लेकिन प्लैटिनम ने दोनों को पछाड़ते हुए इस साल सबसे अधिक मुनाफा कमाया है। अब तक इसकी कीमतों में करीब 80% तक की जबरदस्त तेजी दर्ज की गई है, जिसने बाजार में हलचल मचा दी है। वहीं, सोना 51% और चांदी 68% की बढ़त तक ही सीमित रही हैं। निवेश विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 प्लैटिनम के लिए 'गोल्डन ईयर' साबित हो रहा है।

हालांकि इतनी तेजी के बावजूद प्लैटिनम अभी भी अपने ऐतिहासिक उच्च स्तर से लगभग 28% नीचे है। मई 2008 में इसकी कीमत $2,250 प्रति औंस तक पहुंची थी। पिछले दो वर्षों यानी 2023 और 2024 में इसमें 8 फीसदी की गिरावट रही थी, जबकि 2022 में यह सिर्फ 10% बढ़ा था। 2025 में यह एक बार फिर निवेशकों के लिए सर्वश्रेष्ठ परफॉर्मर बनकर उभरा है।

आपूर्ति में कमी और मांग में उछाल से बढ़ी कीमतें

विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार की तेजी का सबसे बड़ा कारण आपूर्ति में भारी कमी और औद्योगिक व निवेश मांग में इज़ाफा है। दक्षिण अफ्रीका जो दुनिया का सबसे बड़ा प्लैटिनम उत्पादक देश है में भारी बारिश, बिजली संकट और जल-संकट के चलते उत्पादन में 24% की गिरावट आई है।

वर्ल्ड प्लैटिनम इन्वेस्टमेंट काउंसिल के अनुसार, 2025 में दुनिया भर में 8.5 लाख औंस की सप्लाई की कमी बनी रहेगी। यह लगातार तीसरा साल होगा जब मांग, आपूर्ति से अधिक रहेगी।

सोने से महंगा था प्लैटिनम, अब फिर वापसी की राह पर

कुछ साल पहले तक प्लैटिनम, सोने से भी महंगा हुआ करता था। पाइनट्री मैक्रो के संस्थापक ऋतेश जैन के मुताबिक, अब प्लैटिनम फिर से सोने की बराबरी करने की कोशिश में है। पहले जहां सोना सस्ता था, अब उसकी कीमत प्लैटिनम से करीब तीन गुना ज्यादा हो चुकी है।

गहनों में प्लैटिनम की मांग लगातार बढ़ रही है, जबकि खदानें उत्पादन बढ़ाने में सक्षम नहीं हैं जिससे इसकी कमी और भी गहरी हो गई है।

औद्योगिक और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में बढ़ी खपत

प्लैटिनम की कुल मांग का 70% हिस्सा औद्योगिक उपयोगों में होता है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से कैटालिटिक कन्वर्टर यानी वाहनों के प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों में और ग्रीन टेक्नोलॉजी जैसे हाइड्रोजन फ्यूल सेल में किया जाता है।

चीन ने इस साल की शुरुआत में प्लैटिनम की खरीद 26% तक बढ़ाई, क्योंकि यह सोने की तुलना में सस्ता और अधिक उपयोगी है। हाइड्रोजन ऊर्जा तकनीक में तेजी से विस्तार के चलते भी इसकी मांग में लगातार इजाफा देखा जा रहा है।

निवेशकों के लिए प्लैटिनम बना नई चमक का प्रतीक

निवेश की दृष्टि से भी प्लैटिनम का आकर्षण बढ़ा है। पिछले एक साल में इसमें 300% तक की निवेश वृद्धि दर्ज की गई है। निवेशक इसे अब “कम कीमत में मिलने वाली कीमती धातु” के रूप में देख रहे हैं।

एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज के सीईओ अजय गर्ग का कहना है कि चीन में ज्वेलरी और निवेश की बढ़ती मांग से भंडार तेजी से घट रहे हैं। वहीं चॉइस ब्रोकिंग की रिसर्च एनालिस्ट कावेरी मोरे के अनुसार, 2025 और उसके बाद भी प्लैटिनम की स्थिति मजबूत बनी रहेगी।

उनके मुताबिक, आने वाले वर्षों में भी हर साल 5 से 8.5 लाख औंस की कमी बनी रह सकती है। यह कमी, ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन और हाइड्रोजन तकनीक के विस्तार के चलते, प्लैटिनम को लॉन्ग-टर्म विनर बना सकती है।
 

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