Health Insurance प्रीमियम में बढ़ोतरी! कई पॉलिसीहोल्डर्स ने नहीं कराया रिन्यूअल

Edited By Updated: 03 Mar, 2025 11:10 AM

increase in health insurance premium many policyholders did not renew

हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम तेजी से बढ़ रहा है, जिससे कई लोग बीमा बंद करने या कम कवर वाली पॉलिसी लेने पर मजबूर हो रहे हैं। इस साल 10 में से 1 व्यक्ति ने अपना हेल्थ इंश्योरेंस रिन्यू ही नहीं कराया है। लगभग 10% लोगों का प्रीमियम 30% या उससे ज्यादा...

बिजनेस डेस्कः हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम तेजी से बढ़ रहा है, जिससे कई लोग बीमा बंद करने या कम कवर वाली पॉलिसी लेने पर मजबूर हो रहे हैं। इस साल 10 में से 1 व्यक्ति ने अपना हेल्थ इंश्योरेंस रिन्यू ही नहीं कराया है। लगभग 10% लोगों का प्रीमियम 30% या उससे ज्यादा बढ़ गया है। इनमें से सिर्फ आधे लोगों ने ही पूरा प्रीमियम भरा है। 

बीमा कंपनियों के अनुसार, इस वृद्धि की मुख्य वजह क्लेम रेश्यो में बढ़ोतरी है। क्लेम रेश्यो का अर्थ है कि जितना प्रीमियम इकट्ठा हुआ, उसमें से कितना क्लेम किया गया। अधिक क्लेम आने पर कंपनियों को संतुलन बनाए रखने के लिए प्रीमियम बढ़ाना पड़ता है।

इसके अलावा, हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम हर साल समान दर से नहीं बढ़ता, बल्कि कुछ अंतराल के बाद अचानक वृद्धि होती है। बीमा कंपनियां आमतौर पर हर तीन साल में मेडिकल महंगाई को ध्यान में रखते हुए अपने रेट संशोधित करती हैं। मेडिकल महंगाई यानी इलाज की लागत में वृद्धि, भी इस बढ़ोतरी का बड़ा कारण है। इसके साथ ही, उम्र बढ़ने पर बीमा प्रीमियम अधिक बढ़ता है, क्योंकि बुजुर्गों के इलाज का खर्च ज्यादा होता है।

कितना बढ़ा प्रीमियम

पिछले 10 साल में 52% पॉलिसीहोल्डर्स के प्रीमियम में सालाना 5-10% की तेजी रही। इसका मतलब है कि अगर किसी का प्रीमियम 100 रुपए था तो 10 साल बाद वह 162-259 रुपए हो गया। 38% पॉलिसीहोल्डर्स की सालाना बढ़ोतरी 10-15% रही यानी उनका 100 रुपए वाला प्रीमियम 259-404 रुपए हो गया। लेकिन 3% लोगों का प्रीमियम सालाना 15-30% की स्पीड से बढ़ा।

पॉलिसीबाजार के चीफ बिजनेस ऑफिसर, जनरल इंश्योरेंस, अमित छाबड़ा का कहना है कि जिन लोगों के प्रीमियम में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई, उनकी संख्या बहुत कम है। हमें मेडिकल महंगाई को भी ध्यान में रखना होगा, जो लगभग 14% है, जबकि प्रीमियम में औसत बढ़ोतरी इससे काफी कम है। उनके मुताबिक 90% रिन्यूअल रेट पिछले साल से 10% ज्यादा है और यह लगातार बढ़ रहा है।

छाबड़ा कहते हैं, 'अगर प्रीमियम बढ़ता है और मैं उसे भरना नहीं चाहता, तो मेरे पास कम प्रीमियम वाला प्लान चुनने का विकल्प है। कई लोग पैसे बचाने के लिए डिडक्टिबल का विकल्प भी चुन रहे हैं। डिडक्टिबल का मतलब है कि एक निश्चित रकम तक का खर्च आपको खुद उठाना होगा, उसके बाद ही बीमा कंपनी भुगतान करेगी। मेडिकल महंगाई और नई तकनीक के अलावा, हेल्थ इंश्योरेंस का दायरा भी बढ़ रहा है, जिससे प्रीमियम पर असर पड़ रहा है।
 

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