Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Nov, 2025 11:08 AM

रेयर अर्थ मैग्नेट (Rare Earth Magnet) के क्षेत्र में चीन के दबदबे को चुनौती देने के लिए भारत ने बड़ी तैयारी शुरू कर दी है। सरकार अब इस सेक्टर में अपने इंसेंटिव प्रोग्राम (प्रोत्साहन योजना) को लगभग तीन गुना बढ़ाने की योजना बना रही है। ब्लूमबर्ग की...
बिजनेस डेस्कः रेयर अर्थ मैग्नेट (Rare Earth Magnet) के क्षेत्र में चीन के दबदबे को चुनौती देने के लिए भारत ने बड़ी तैयारी शुरू कर दी है। सरकार अब इस सेक्टर में अपने इंसेंटिव प्रोग्राम (प्रोत्साहन योजना) को लगभग तीन गुना बढ़ाने की योजना बना रही है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस विस्तार के तहत प्रोत्साहन राशि 7,000 करोड़ रुपए (करीब 788 मिलियन डॉलर) से अधिक हो सकती है।
रेयर अर्थ मैग्नेट्स का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों, विंड टर्बाइनों और डिफेंस उपकरणों में होता है। चीन इस क्षेत्र में वैश्विक उत्पादन और प्रोसेसिंग का करीब 90% हिस्सा नियंत्रित करता है।
स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा
नई योजना के तहत भारत स्थानीय कंपनियों को सालाना 1,200 टन तक मैग्नेट उत्पादन के लिए इंसेंटिव देगा। सरकार का लक्ष्य है कि रेयर अर्थ मैग्नेट्स के आयात पर निर्भरता कम हो और घरेलू स्तर पर इनकी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता विकसित की जा सके।
मैग्नेट-लेस मोटर की दिशा में कदम
इसके साथ ही सरकार बिना मैग्नेट वाली मोटर (Magnet-less Motor) पर रिसर्च को भी प्रोत्साहन देने पर विचार कर रही है। "विकसित भारत 2047" की हाई-लेवल कमेटी ने सुझाव दिया है कि इलेक्ट्रिक कारों, बसों और ट्रकों के लिए रिलक्टेंस मोटर के उपयोग की संभावनाओं का परीक्षण किया जाए- यह ऐसी मोटर होती है जिसमें मैग्नेट की आवश्यकता नहीं होती।
चीन की पाबंदियों से सबक
भारत का यह कदम ऐसे समय में आया है जब चीन ने अमेरिका के साथ व्यापार तनाव के बीच रेयर अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात पर पाबंदियां लगा दी थीं। हालांकि बाद में चीन ने कुछ शर्तों के साथ निर्यात की अनुमति दी, लेकिन भारत अब इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है, ताकि किसी एक देश पर पूरी तरह निर्भर न रहना पड़े।