Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Jun, 2025 05:19 PM

भारत का माल व्यापार घाटा मई 2025 में घटकर 21.88 अरब डॉलर रह गया, जो अप्रैल 2025 में 26.42 अरब डॉलर और मई 2024 में 22.09 अरब डॉलर था। वाणिज्य मंत्रालय के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार, मई में निर्यात 2.2% घटकर 38.73 अरब डॉलर और आयात 1.76% घटकर 60.61 अरब...
बिजनेस डेस्कः भारत का माल व्यापार घाटा मई 2025 में घटकर 21.88 अरब डॉलर रह गया, जो अप्रैल 2025 में 26.42 अरब डॉलर और मई 2024 में 22.09 अरब डॉलर था। वाणिज्य मंत्रालय के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार, मई में निर्यात 2.2% घटकर 38.73 अरब डॉलर और आयात 1.76% घटकर 60.61 अरब डॉलर रहा।
अप्रैल-मई में दिखा मिश्रित व्यापार रुझान
वित्त वर्ष 2025 की पहली दो महीनों (अप्रैल-मई) में कुल व्यापार में 5.75% की वृद्धि देखी गई। इस दौरान गैर-पेट्रोलियम माल निर्यात में 7.5% की बढ़ोतरी दर्ज हुई। खासकर इलेक्ट्रॉनिक सामान के निर्यात में 54% की जबरदस्त वृद्धि हुई है।
फार्मा, टेक्सटाइल और समुद्री उत्पाद जैसे क्षेत्रों में भी अच्छा प्रदर्शन देखने को मिला, जबकि पेट्रोलियम उत्पाद, रत्न-आभूषण और सूती धागे के निर्यात में गिरावट दर्ज की गई।
भारत की रणनीति: बड़े आयातक देशों और नए बाजारों पर फोकस
वाणिज्य सचिव सुनील बार्थवाल ने बताया कि भारत वैश्विक आयात के 75% हिस्से को कवर करने वाले 6 प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान दे रहा है। साथ ही, वैश्विक आयात का 65% से अधिक हिस्सा रखने वाले देशों पर फोकस किया जा रहा है। इसके अलावा, नए निर्यात बाजारों की तलाश भी की जा रही है। बार्थवाल ने कहा, “वैश्विक व्यापार में मौजूदा चुनौतीपूर्ण माहौल और WTO के पूर्वानुमानों के बावजूद भारत का प्रदर्शन औसत से बेहतर रहा है।”
कच्चे तेल की कीमतों और भू-राजनीतिक घटनाओं का असर
मंत्रालय के अनुसार, पेट्रोलियम कीमतों में उतार-चढ़ाव और भू-राजनीतिक तनाव के चलते कच्चे तेल से संबंधित आयात-निर्यात पर असर पड़ा है। अप्रैल-मई में रूस, इराक और सऊदी अरब से आयात घटा है, जबकि नीदरलैंड, सिंगापुर, यूके, सऊदी अरब और बांग्लादेश को निर्यात में कमी आई है।
व्यापार समझौतों का बढ़ता प्रभाव
प्राथमिक व्यापार समझौतों (Preferential Trade Agreements) के तहत प्रमाणपत्रों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। FY24 में जहां 6.84 लाख सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन जारी हुए थे, वहीं FY25 में यह बढ़कर 7.20 लाख हो गए। सिर्फ अप्रैल-मई 2025 में ही 1.32 लाख सर्टिफिकेट जारी किए गए, जो पिछले साल की समान अवधि में 1.20 लाख थे।