सोना-चांदी नहीं, यह मेटल बनेगा ‘धन का बादशाह’! आने वाले दशक में बदल जाएगा खेल

Edited By Updated: 10 Nov, 2025 04:46 PM

not gold or silver this metal will become the  king of wealth

सोने-चांदी में इस साल तेज बढ़त देखने को मिली है और निवेशकों में इन दोनों धातुओं को लेकर उत्साह भी काफी बढ़ा है। कई लोग इन्हें सुरक्षित और भविष्य के लिए बेहतर निवेश मान रहे हैं। हालांकि, एक मार्केट एक्सपर्ट का मानना है कि असली भविष्य सोना या चांदी...

बिजनेस डेस्कः सोने-चांदी में इस साल तेज बढ़त देखने को मिली है और निवेशकों में इन दोनों धातुओं को लेकर उत्साह भी काफी बढ़ा है। कई लोग इन्हें सुरक्षित और भविष्य के लिए बेहतर निवेश मान रहे हैं। हालांकि, एक मार्केट एक्सपर्ट का मानना है कि असली भविष्य सोना या चांदी नहीं, बल्कि तांबा (Copper) है। उनके अनुसार आने वाले 5-10 वर्षों में तांबा संपत्ति बढ़ाने के सबसे बड़े अवसरों में से एक बन सकता है।

सीनियर मार्केट एनालिस्ट सुजय यू (Sujay U) ने लिंक्डइन पर लिखा कि भारतीय निवेशक सोने में तो दिलचस्पी दिखा रहे हैं लेकिन वे उस धातु को नज़रअंदाज कर रहे हैं जो दुनिया की बदलती अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनने जा रही है। उनका कहना है कि तांबा हर आधुनिक तकनीक और हर नई ऊर्जा प्रणाली का केंद्र बन चुका है।

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बढ़ने वाली है तांबे की मांग 

तांबा इलेक्ट्रिक वाहनों, सोलर पैनलों, चार्जिंग स्टेशनों, पावर ट्रांसमिशन नेटवर्क और डेटा सेंटरों में मुख्य घटक के रूप में उपयोग होता है। दुनिया ग्रीन और इलेक्ट्रिक ऊर्जा की तरफ बढ़ रही है, इसलिए आने वाले समय में तांबे की मांग तेजी से बढ़ने वाली है।

इसके विपरीत, तांबा उत्पादन में बढ़ोतरी नहीं हो रही है। कई प्रमुख खदानों में समस्याएं आई हैं और नई खदानें शुरू करने में 10 से 15 साल तक का समय लग जाता है। इससे सप्लाई की कमी बढ़ रही है। मॉर्गन स्टेनली ने अनुमान लगाया है कि 2026 में तांबे की बाजार में पिछले 22 सालों की सबसे बड़ी कमी देखी जाएगी। यह कमी 5.90 लाख टन तक पहुंच सकती है। वहीं साल 2029 तक यह कमी बढ़कर 1.1 मिलियन टन तक हो जाने की आशंका है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि दुनिया भर में तांबे का उत्पादन साल 2020 के बाद पहली बार कम होने वाला है।

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सप्लाई कम तो बढ़ गई कीमत

सप्लाई कम और मांग ज्यादा रहने से कीमतों में उछाल की संभावना है। गोल्डमैन सैक्स और सिटी बैंक जैसे बड़े वैश्विक संस्थान अनुमान लगा रहे हैं कि आने वाले वर्षों में तांबे की कीमत 11,000 से 14,000 डॉलर प्रति टन तक जा सकती है, जो वर्तमान स्तर से काफी अधिक है।

सुजय के शब्दों में, सोना लॉकर में पड़ा रहता है, जबकि तांबा भविष्य की मशीनें चलाता है। यही कारण है कि विशेषज्ञ लंबे समय के निवेश में तांबे को लेकर अधिक उत्साहित हैं। उनका मानना है कि AI, इलेक्ट्रिक वाहनों और नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार तांबे की मांग को लगातार बढ़ाता रहेगा। इसलिए, यह संभावना है कि आने वाले दशक में तांबा निवेशकों के लिए बड़े रिटर्न का अवसर बन सकता है।

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