Edited By jyoti choudhary,Updated: 17 Oct, 2025 11:21 AM

जेपी मॉर्गन के सीईओ जेमी डिमॉन, जो लंबे समय से सोने में निवेश के खिलाफ रहे हैं, ने हाल ही में कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में सोना रखना थोड़ा समझदारी भरा कदम हो सकता है। वॉशिंगटन में आयोजित फॉर्च्यून मोस्ट पावरफुल वीमेन कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि...
बिजनेस डेस्कः जेपी मॉर्गन के सीईओ जेमी डिमॉन, जो लंबे समय से सोने में निवेश के खिलाफ रहे हैं, ने हाल ही में कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में सोना रखना थोड़ा समझदारी भरा कदम हो सकता है। वॉशिंगटन में आयोजित फॉर्च्यून मोस्ट पावरफुल वीमेन कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि सोने की कीमतें भविष्य में 5,000 डॉलर से 10,000 डॉलर तक जा सकती हैं।
डिमॉन ने यह भी कहा कि भले ही वह खुद सोने में निवेश नहीं करते, क्योंकि इसके रखरखाव की लागत करीब 4 प्रतिशत है लेकिन आज के आर्थिक माहौल में यह कुछ हद तक सही विकल्प लगता है। उनका कहना था कि वर्तमान में सभी तरह की संपत्तियों की कीमतें काफी ऊंची हैं और यह स्थिति उनके विचारों को प्रभावित कर रही है।
सोना बन रहा सुरक्षित निवेश का विकल्प
पिछले कुछ सालों में सोने की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखा गया है। दो साल पहले सोना 2,000 डॉलर से कम था लेकिन अब इसकी कीमत कई गुना बढ़ चुकी है। इस सदी में सोने ने शेयर बाजार से भी बेहतर प्रदर्शन किया है। निवेशक महंगाई और वैश्विक राजनीतिक तनाव के कारण सुरक्षित निवेश की तलाश में हैं और सोना उनकी पहली पसंद बन रहा है। सिटाडेल के संस्थापक केन ग्रिफिन ने भी कहा कि निवेशक अब डॉलर की बजाय सोने को ज्यादा स्थिर मान रहे हैं।
बड़े बैंकों ने बढ़ाए सोने के अनुमान
गोल्डमैन सैक्स ने दिसंबर 2026 तक सोने की कीमत 4,900 डॉलर प्रति औंस होने का अनुमान लगाया है, जो पहले 4,300 डॉलर थी। उनका कहना है कि पश्चिमी देशों में ईटीएफ निवेश और केंद्रीय बैंकों की खरीदारी से सोने की मांग बढ़ रही है।
एचएसबीसी बैंक ने भी 2025 के लिए सोने की औसत कीमत बढ़ाकर 3,355 डॉलर प्रति औंस और 2026 के लिए 3,950 डॉलर निर्धारित किया है। वैश्विक राजनीतिक तनाव, वित्तीय अस्थिरता और डॉलर की कमजोरी इसके मुख्य कारण हैं।
एएनजेड बैंक का अनुमान है कि 2025 के अंत तक सोना 4,400 डॉलर तक पहुंच सकता है और जून 2026 में यह 4,600 डॉलर के उच्चतम स्तर पर हो सकता है। इसके बाद दूसरी छमाही में कीमतें थोड़ी कम हो सकती हैं, क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती का कार्यक्रम समाप्त हो जाएगा और अर्थव्यवस्था में स्थिरता आएगी।