Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Dec, 2022 07:17 AM
आज मार्गशीर्ष शुक्ल द्वादशी पर मत्स्य द्वादशी पर्व मनाया जाएगा। कृत्यकल्पतरु व हेमाद्रि के व्रतखण्ड, कृत्यरत्नाकर तथा वराह व ब्रह्म पुराण आदि शास्त्रों के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल ग्यारस के उपवास को पूर्ण
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Matsya Dwadashi 2022: आज मार्गशीर्ष शुक्ल द्वादशी पर मत्स्य द्वादशी पर्व मनाया जाएगा। कृत्यकल्पतरु व हेमाद्रि के व्रतखण्ड, कृत्यरत्नाकर तथा वराह व ब्रह्म पुराण आदि शास्त्रों के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल ग्यारस के उपवास को पूर्ण करने के बाद द्वादशी को मंत्र सहित मिट्टी लाई जाती है व उसे विधिपूर्वक अर्पित करके स्वयं के शरीर पर मलकर स्नान करने का शास्त्रीय विधान है।
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Matsya Dwadashi puja: मत्स्य द्वादशी में विधि अनुसार नारायण पूजन करें। चार जल भरे पात्रों में पुष्प डालकर रखा जाता है, उन्हें तिल की खली से ढककर चार समुद्र के रूप में पूजा जाता है। श्रीविष्णु के प्रथम अवतार मत्स्य के रूप में पीली धातु की प्रतिमा का पूजन कर चारों पात्रों का दान किया जाता है।
Significance of Matsya Dwadashi: पौराणिक मतानुसार सृष्टि का आरंभ जल से हुआ था व वर्तमान में भी जल ही जीवन है। इस दिन श्रीहरि ने मत्स्य रूप धारण कर दैत्य वध कर वेदों की रक्षा करी थी। अतः मत्स्य द्वादशी का विशेष महत्व है। इस दिन संसार के पालनहार भगवान विष्णु की उपासना से सारे संकट दूर होते हैं, महापातक भी नष्ट होते हैं, सब कार्य सिद्ध करते है तथा जानमाल की रक्षा होती है।
Matsya Dwadashi puja vidhi- पूजन विधि: भगवान विष्णु के मत्स्य का विधिवत दोषोपचार पूजन करें। गौघृत में हल्दी मिलाकर दीप करें, मोगरे की धूप करें। केसर चढ़ाएं। गेंदे के फूल चढ़ाएं, बेसन से बने मिष्ठान का भोग लगाएं तथा तुलसी की माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन के बाद भोग प्रसाद रूप में वितरित करें।
Matsya Dwadashi puja mantra- पूजन मंत्र: ॐ मत्स्यरूपाय नमः ॐ अच्युताय नमः
Matsya Dwadashi upay- आज करें ये विशेष उपाय
पीत रंग के वस्त्र पहनें।
सर्व कार्य सिद्धि हेतु किसी जलाशय या नदी में मछलियों को दाना डालें।
सारे संकट दूर करने हेतु जलाशय या नदी में हल्दी युक्त जल से अभिषेक करें।
जान-माल की रक्षा हेतु नवधान सिर से वारकर मछलियों के लिए जलाशय में डालें।