Ashwin Pradosh Vrat: अश्विन माह में आ रहा है प्रदोष व्रत ? जानें तिथि और पूजा विधि

Edited By Updated: 03 Oct, 2025 06:51 AM

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Ashwin Pradosh Vrat 2025: सनातन धर्म में व्रत-उपवास का बड़ा महत्व है। हर मास में आने वाला प्रदोष व्रत विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है। प्रदोष व्रत शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन प्रदोषकाल अर्थात सूर्यास्त के...

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Ashwin Pradosh Vrat 2025: सनातन धर्म में व्रत-उपवास का बड़ा महत्व है। हर मास में आने वाला प्रदोष व्रत विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है। प्रदोष व्रत शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन प्रदोषकाल अर्थात सूर्यास्त के समय शिव जी की उपासना करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। आश्विन मास का प्रदोष व्रत और भी पवित्र माना गया है क्योंकि यह शनि प्रदोष के योग में पड़ रहा है। अतः इस दिन व्रत और पूजा करने से शिवजी के साथ-साथ शनिदेव की भी कृपा प्राप्त होती है।

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When is Ashwin Pradosh Vrat in 2025 कब है आश्विन प्रदोष व्रत 2025?
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रारंभ होगी 4 अक्टूबर 2025 को शाम 5 बजकर 08 मिनट पर। इसका समापन होगा 5 अक्टूबर 2025 को दोपहर 3 बजकर 04 मिनट पर। इस प्रकार व्रत 4 अक्टूबर 2025, शनिवार को रखा जाएगा। शनिवार के दिन पड़ने के कारण यह शनि प्रदोष व्रत कहलाएगा।

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Pradosh Vrat Puja vidhi प्रदोष व्रत पूजा-विधि
जो साधक इस व्रत को रखते हैं उन्हें दिन भर संयम रखना चाहिए। संध्या समय स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और प्रदोषकाल में पूजा करें। घर के पवित्र स्थान पर चौकी रखें और उस पर भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित करें। शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें। धतूरा, शमी पत्र और बेलपत्र शिवजी को अर्पित करें। घी का दीपक जलाकर महादेव का ध्यान करें। माता पार्वती को श्रृंगार सामग्री अर्पित करें। प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें और अंत में शिव आरती करें। इस व्रत में भोजन का विशेष महत्व नहीं है, बल्कि भगवान शिव का स्मरण और भक्ति सबसे आवश्यक है।

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Chanting of Mahamrityunjaya Mantra महामृत्युंजय मंत्र का जप
इस दिन विशेष रूप से महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। इससे रोग, भय और अकाल मृत्यु के कष्ट दूर होते हैं और लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है।

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Mahamrityunjaya Mantra महामृत्युंजय मंत्र: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

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