यहां है मां बीस भुजा देवी का एकमात्र मंदिर, संतान सुख की कामना से आते हैं भक्त

Edited By Jyoti,Updated: 30 Sep, 2022 06:28 PM

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26 सितंबर शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। यूं तो इस दौरान मां की भक्ति घर-घर की जाती है, लेकिन प्राचीन धार्मिक स्थलों पर इस पर्व के दौरान विशेष उत्साह दिखाई देता है। इस खास अवसर के मद्देनजर हम आपको बताने जा रहे हैं अतिप्राचीन

शास्त्रों की बात, जाने ंधर्म के साथ
अति प्राचीन बीस भुजा देवी का मंदिर

मंदिर में मां की स्वयंभू प्रतिमा

‘जिस पर मां प्रसन्न वही गिनता बीसभुजा’

भक्त माता रानी की भक्ति में लीन

मंत्री-संतरी सब लगाते मां के दरबार में हाजिरी

‘राजा जयसिंह ने मंदिर और प्रतिमा की खोज कराई’

‘बांस के जंगलों में ढंकी मिलीं थी मातारानी’

26 सितंबर शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। यूं तो इस दौरान मां की भक्ति घर-घर की जाती है, लेकिन प्राचीन धार्मिक स्थलों पर इस पर्व के दौरान विशेष उत्साह दिखाई देता है। इस खास अवसर के मद्देनजर हम आपको बताने जा रहे हैं अतिप्राचीन मां बीस भुजा देवी के एक मात्र मंदिर के बारे में मंदिर जो मध्यप्रदेश के गुना से महज 8 कि.मी. दूर बजरंगगढ़ में स्थित है। बताया जाता है प्रत्येक वर्ष शारदीय नरवरात्रि के अवसर पर मां बीस भुजा देवी के दरबार पर हर वर्ष मेला लगता है। जो इस बार भी सजा है। अत्यंत प्राचीन इस धार्मिक स्थल पर श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने माता रानी से अर्जी लगाते हैं। 
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मंदिर से जु़ड़ी मान्यताओं के अनुसार प्राचीनकाल में महर्षि दुर्वासा और महाभारत के वीर योद्धा कर्ण ने इस स्थल पर तपस्या की थी। तो वहीं अन्य कईलिखित इतिहास और ग्रंथों से इस बारे में भी पता चलता है कि बीस भुजा देवी का मंदिर प्राचीन समय में पट्टन नामक नगर में स्थित था लेकिन वहां की प्राकृतिक आपदाओं के चलते  यह नगर विलोपित हो गया और माता की प्रतिमा भी भू-गर्भ में समां गई। जिसके बाद जयनगर के राजा जयसिंह ने इस मंदिर और प्रतिमा की खोज करवाई। बताया जाता है खोज करवाने पर ठीक इसी स्थान पर बांस के जंगलों में ढंकी हुईं माता रानी के दर्शन प्राप्त हुए। अतः इस घटना के बाद यह मंदिर राजा-महाराजा, आमजन और यहां तक कि जंगल के राजा शेर तक की आराधना का केंद्र बन गया।
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बता दें बीस मंदिर में स्थित माता की प्रतिमा स्वयंभू मानी जाती है। प्राचीन समय में राजा से लेकर महाराजा तक सभी यहां मां के दरबार में माथा टेकने आते हैं। इतिहास पर गौर करें तो जयनगर के राजा जयसिंह दिग्विजय सिंह के पूर्वज कहलाते हैं। बाद में जयनगर अर्थात बजरंगगढ़ पर सिंधिया राजवंश का कब्जा हो गया था।मंदिर की ख्याति दूर दूर तक हैं, जिसके चलते श्रद्धालुओं की भारी भीड़ यहां पहुंचती है। नवरात्रों के दौरान ये भीड़ इतनी बढ़ जाती है कि इसे संभालने के लिए पुलिस को यहां सुरक्षा बल तैनात करने पड़ते हैं। इतना ही नहीं पुलिस द्वारा यहां भक्तों की सुविधा के लिए सहायता केंद्र भी बनाए गए हैं। बताया जाता है ग्वालियर स्टेट के समय से ही यहां मां बीस भुजा देवी के दरबार में होने वाला मेले का आयोजन शुरू हुआ था जो वर्तमान समय तक जारी है। बता दें इस मेले में गुना जिले के अलावा पूरे देश यहां तक कि विदेशों से श्रद्धालु पहुंचते हैं तथा खास रूप से संतान सुख के लिए लोग अर्जी लगाते हैं।
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