Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Jun, 2025 06:00 AM

Benefits of giving charity: अनेक जन्मों से किया गया दान, अध्ययन और तप का अभ्यास, अगले जन्म में भी उसी अभ्यास के कारण मनुष्य को सत्कर्मों की ओर बढ़ाता है, अर्थात वह दूसरे जन्म में भी शास्त्रों के अध्ययन को दान देने की प्रवृत्ति को और तपस्यारत जीवन को...
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Benefits of giving charity: अनेक जन्मों से किया गया दान, अध्ययन और तप का अभ्यास, अगले जन्म में भी उसी अभ्यास के कारण मनुष्य को सत्कर्मों की ओर बढ़ाता है, अर्थात वह दूसरे जन्म में भी शास्त्रों के अध्ययन को दान देने की प्रवृत्ति को और तपस्यारत जीवन को दूसरों के पास तक पहुंचाता है। इस जन्म के शुभ कर्म अगले जन्म में भी हमें शुभ कर्मों की ओर ले जाने वाले होंगे। कलियुग में दान प्रधान है। श्रुति में निर्देश है कि जो सिर्फ अपने लिए पकाकर खाता है, वह अन्न नहीं खाता, पाप पकाकर खाता है।

कलियुग में धर्म केवल एक पैर अर्थात दान के ऊपर टिका हुआ है। ईमानदारी, परिश्रम तथा धर्म अनुसार अर्जित धन-संपत्ति का दान ही पुण्य दायक होता है। लक्ष्मी माता हैं। उनका सत्कर्मों के लिए उपयोग तो किया जा सकता है, परंतु सांसारिक सुख-सुविधाओं के लिए, व्यक्तिगत लाभ के लिए उनका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
यदि धर्म की मर्यादा न रहे तो धन अनर्थ करता है। धन साधन है, धर्म साध्य है। अर्थ अमृत है, पर असावधानी से वह जहर भी बन जाता है। जो नीति से आए और जिसका उपयोग रीति से हो, वह अर्थ अमृत है, पर अनीति से अर्जित धन जहर बन जाता है।
प्रत्येक व्यक्ति अपनी-अपनी सांपत्तिक स्थिति के अनुसार दान पुण्य करता है। भगवान भी उस दान को सहर्ष स्वीकार करते हैं लेकिन जो दान दीनों और गरीबों की भलाई के लिए न किया जाए वह दान सात्विक दान की श्रेणी में नहीं आ सकता। संसार में दान से बढ़कर श्रेष्ठ कोई कार्य नहीं। धन प्राप्ति के लिए मनुष्य प्राणों का मोह त्याग दुष्कर कठिन कार्य करता है। अपनी मान-मर्यादा भुलाकर धन कमाता है। कष्ट से कमाए धन का ही दान संसार में सर्वश्रेष्ठ है। शुद्ध अंत:करण से सुपात्र को थोड़ा दान भी अनंत सुखदाई और फलदाई है।
धन कमाना कठिन नहीं है, उसका धर्म कार्यों, सेवा, सहायता, दान आदि में सदुपयोग करना कठिन है। धन का धार्मिक कर्तव्यों-दान, सेवा, गोसेवा जैसे सत्कर्मों में सदुपयोग हो तो वह सुख देता है और विलासिता आदि दुष्कर्मों में उपभोग करने पर तरह-तरह के दुख देता है।
पुराणों के अनुसार, दान करते वक्त दान देने वाले का मुंह पूर्व दिशा की तरफ और दान लेने वाले का मुंह उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए। क्या आप जानते हैं दान देने से भी होती हैं मनोकामनाएं पूरी और समस्याओं का होता है अंत-

Know which donation gives what benefit जानें, कौन से दान से मिलता है क्या लाभ
तिल दान करने से संतान प्राप्ति होती है।
लोहे का दान करने से शरीर का रोग एवं व्याधियों से बचाव होता है और शनि का शुभ प्रभाव बना रहता है।
सोने का दान करने से आयु लंबी होती है।
कपास दान करने से सुख-शांति मिलती है।
नमक का दान करने से कभी अन्न की कमी नहीं होती।
सप्तधान्य का दान करने से धन-संपत्ति और सुख मिलता है।
भूमि दान करने वाला सर्वोत्तम घर में निवास करता है।
गाय दान करने वाला व्यक्ति दिव्य अलंकारों से विभूषित होकर स्वर्ग में जाता है।
आर्थिक रूप से समृद्ध होने के लिए घी का दान करें।
चन्द्रलोक की इच्छा करने वाले जातक को वस्त्रों का दान करना चाहिए।
धन-दौलत पाने के लिए गुड़ का दान करें।
सुंदर रूप लावण्य और सौष्ठव की प्राप्ति के लिए चांदी का दान करना चाहिए।
बैल दान करने से जायदाद और धन मिलता है।
यातायात-साधन का दान करने से अच्छी पत्नी मिलती है।
गाय को हरी घास या पालक खिलाने से जन्मपत्री में बुध की स्थिति मजबूत होती है। बुध के मजबूत होने से बौद्धिक एवं तार्किक क्षमता बढ़ती है।
दीपदान करने से धन-वैभव में वृद्धि होने के साथ आपको पुण्य लाभ भी प्राप्त होता है।
गरीब, निर्धन अथवा जरूरतमंद को दवाई का दान करने से असीम सुख प्राप्त होता है।
