Edited By Sarita Thapa,Updated: 07 Jul, 2025 06:42 AM

Best Motivational Story: एक संत, एक सेठ के पास आए। सेठ ने उनकी बड़ी सेवा की। उनकी सेवा से प्रसन्न होकर संत ने कहा, ‘‘अगर आप चाहें तो आपको भगवान से मिलवा दूं?’’
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Best Motivational Story: एक संत, एक सेठ के पास आए। सेठ ने उनकी बड़ी सेवा की। उनकी सेवा से प्रसन्न होकर संत ने कहा, ‘‘अगर आप चाहें तो आपको भगवान से मिलवा दूं?’’

सेठ ने कहा, ‘‘महाराज! मैं भगवान से मिलना तो चाहता हूं, पर अभी मेरा बेटा छोटा है। वह कुछ बड़ा हो जाए तब मैं चलूंगा।’’
बहुत समय के बाद संत फिर आए, बोले, ‘‘अब तो आपका बेटा बड़ा हो गया है। अब चलें?’’
सेठ, ‘‘महाराज! उसकी सगाई हो गई है। उसका विवाह हो जाता, घर में बहू आ जाती, तब मैं चल पड़ता।’’
संत 3 साल बाद फिर आए। बहू आंगन में घूम रही थी। संत बोले, ‘‘सेठ जी! अब चलें?’’
सेठ, ‘‘महाराज! मेरी बहू को बालक होने वाला है। मेरे मन में कामना रह जाएगी कि मैंने पोते का मुंह नहीं देखा। एक बार पोता हो जाए, तब चलेंगे।’’
संत पुन: आए, तब तक सेठ की मृत्यु हो चुकी थी। ध्यान लगाकर देखा तो वह सेठ बैल बना सामान ढो रहा था।
संत बैल के कान में बोले, ‘‘अब तो आप बैल हो गए, अब तो भगवान से मिल लें।’’

सेठ, ‘‘मैं इस दुकान का बहुत काम कर देता हूं। मैं न रहूंगा तो मेरा लड़का कोई और बैल रखेगा। वह खाएगा ज्यादा और काम कम करेगा। इसका नुक्सान हो जाएगा।’’
संत फिर आए, तब तक बैल भी मर गया था। देखा कि वह कुत्ता बनकर दरवाजे पर बैठा था।
संत ने कुत्ते से कहा, ‘‘अब तो आप कुत्ता हो गए, अब तो भगवान से मिलने चलो।’’
कुत्ता बोला, ‘‘महाराज! आप देखते नहीं कि मेरी बहू कितना सोना पहनती है, अगर कोई चोर आया तो मैं भौंक कर भगा दूंगा। मेरे बिना कौन इनकी रक्षा करेगा?’’
संत चले गए। अगली बार कुत्ता भी मर गया था और सेठ गंदे नाले पर मेंढक बना टर्र-टर्र कर रहा था।
संत को बड़ी दया आई, बोले, ‘‘सेठ जी अब तो आप की दुर्गति हो गई, और कितना गिरोगे? अब भी चल पड़ो।’’
मेंढक क्रोध से बोला, ‘‘अरे महाराज! मैं यहां बैठकर अपने नाती-पोतों को देखकर प्रसन्न हो जाता हूं। और भी तो लोग हैं दुनिया में, आपको मैं ही मिला हूं भगवान से मिलवाने के लिए? जाओ महाराज किसी और को ले जाओ। मुझे क्षमा करो।’’
संत तो कृपालु हैं, बार-बार प्रयास करते हैं, पर उस सेठ की ही तरह दुनिया वाले भगवान से मिलने की बात तो बहुत करते हैं, पर मिलना नहीं चाहते।
