Chanakya Niti: बार-बार खुद को साबित करने वालों के लिए चाणक्य की ये सीख जरूरी है

Edited By Updated: 02 Nov, 2025 07:00 AM

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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य जिन्हें कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है, एक महान दार्शनिक, अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे। उनकी ‘चाणक्य नीति’ जीवन के हर पहलू पर प्रकाश डालती है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा कैसे प्राप्त करें...

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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य जिन्हें कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है, एक महान दार्शनिक, अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे। उनकी ‘चाणक्य नीति’ जीवन के हर पहलू पर प्रकाश डालती है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा कैसे प्राप्त करें ? आधुनिक जीवन में, हर व्यक्ति अक्सर यह महसूस करता है कि उसे अपनी योग्यता और मूल्य बार-बार साबित करने पड़ते हैं। यह एक अंतहीन दौड़ है जो तनाव और थकान ही देती है। चाणक्य नीति हमें इस व्यर्थ की दौड़ से मुक्ति दिलाकर, स्थायी और वास्तविक सम्मान प्राप्त करने का सरल मार्ग दिखाती है। आचार्य चाणक्य स्पष्ट कहते हैं कि आपको हर बार अपने शब्दों या कार्यों से स्वयं को साबित करने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप कुछ विशिष्ट सिद्धांतों का पालन करते हैं, तो आपका चरित्र, ज्ञान और आचरण स्वतः ही आपकी पहचान बन जाएगा और लोग आपको बिना किसी प्रमाण के सम्मान देंगे।

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संयमित वाणी और मौन की शक्ति
चाणक्य के अनुसार, सम्मान पाने का सबसे आसान और प्रभावी रास्ता है अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना। जो व्यक्ति हर विषय पर अपनी राय देता है या स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने के लिए लगातार बोलता रहता है, उसका मूल्य कम हो जाता है। चाणक्य कहते हैं, "बोलने से पहले अपने शब्दों का वजन करें। अपनी सफलताओं का बखान करने के बजाय, अपने कार्य को लोगों के सामने आने दें। जब आपके कर्म आपकी योग्यता सिद्ध करते हैं, तो शब्दों की आवश्यकता नहीं रह जाती।

मौन धारण करें: किसी बहस या विवाद की स्थिति में, जहां आपकी बात सुनी न जा रही हो, वहां मौन धारण करना श्रेष्ठ है। यह न केवल आपकी ऊर्जा बचाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आप ओछे विवादों से ऊपर हैं। मौन अक्सर शब्दों से अधिक प्रभावशाली होता है।

ज्ञानार्जन:
चाणक्य नीति के अनुसार, वास्तविक सम्मान का आधार आपका ज्ञान है। धन, बल, या पद अस्थिर हो सकते हैं, लेकिन सच्चा ज्ञान स्थिर होता है। जिसे ज्ञान है, उसे किसी प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होती। व्यक्ति को जीवन भर सीखते रहना चाहिए। जो ज्ञान में समृद्ध होता है, लोग स्वयं ही उसके पास मार्गदर्शन के लिए आते हैं। अपने ज्ञान का उपयोग स्वयं को साबित करने के बजाय दूसरों के कल्याण और समस्याओं के समाधान के लिए करें। जब लोग आपकी उपयोगिता और विशेषज्ञता को देखेंगे, तो सम्मान स्वतः ही मिलेगा।

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आत्मसम्मान
जो व्यक्ति स्वयं का सम्मान नहीं करता, वह दूसरों से सम्मान की उम्मीद नहीं कर सकता। दूसरों पर निर्भरता से बचें: चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को यथासंभव स्वावलंबी होना चाहिए। जो बार-बार दूसरों से मदद मांगता है या उन पर निर्भर रहता है, वह धीरे-धीरे अपनी प्रतिष्ठा खो देता है।  अपने सिद्धांतों और नैतिक मूल्यों से कभी समझौता न करें, भले ही आपको कुछ नुकसान उठाना पड़े। जो व्यक्ति अपने मूल्यों पर अडिग रहता है, वह सम्मान का पात्र होता है।

 व्यवहार में मधुरता और विनम्रता
सबसे सरल, लेकिन सबसे शक्तिशाली रास्ता है विनम्रता।  चाणक्य के अनुसार, अहंकार सम्मान का सबसे बड़ा शत्रु है। ज्ञानी व्यक्ति वह है जो अपनी सफलता या ज्ञान का अहंकार नहीं करता। विनम्रता ज्ञान की पहचान है। लोगों के प्रति दयालुता और अच्छा व्यवहार रखें। जो दूसरों के साथ सम्मान से पेश आता है, उसे पलटकर सम्मान ही मिलता है।

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