Ganesh Chaturthi: गणेश उत्सव के 10 दिनों तक करें ये काम, जीवन में चल रही हर बाधा का होगा नाश

Edited By Updated: 26 Aug, 2025 08:11 AM

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Ganesh Chaturthi: शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से गणेश उत्सव की शुरुआत होती है और अनंत चतुर्दशी पर इसका समापन। गणपति बप्पा मोरिया..., मंगल मूर्ति मोरिया... का जयघोष, मोदक की खुशबू और श्री गणपति आरती, भजनों का भक्तिमय संगीत एवं नृत्य मानो पूरे वातावरण में...

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Ganesh Chaturthi: शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से गणेश उत्सव की शुरुआत होती है और अनंत चतुर्दशी पर इसका समापन। गणपति बप्पा मोरिया..., मंगल मूर्ति मोरिया... का जयघोष, मोदक की खुशबू और श्री गणपति आरती, भजनों का भक्तिमय संगीत एवं नृत्य मानो पूरे वातावरण में गणपति जी के आगमन का संदेश देता नजर आता है। गणपति स्थापना का उत्सव भले ही महाराष्ट्र से संबंधित हो परंतु बॉलीवुड की देखादेखी आज गणपति गैर-महाराष्ट्रीयन परिवारों में भी न केवल स्थापित किए जाने लगे हैं। परिवार में आए किसी खास मेहमान के रूप में ही उनकी 10 दिन तक कई तरह के मोदक बना कर एवं पकवान बना कर विशेष खातिरदारी की जाती है। यहां तक कि घर को विशेष रूप से सजाया जाता है तथा पूजा घर को भी नया रूप दिया जाता है।

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गणेश चर्तुथी का पर्व 27 अगस्त, बुधवार को आरंभ होने जा रहा है लेकिन 26 अगस्त की दोपहर 01 बजकर 54 मिनट पर चतुर्थी तिथि का प्रारंभ होगा। जो 27 अगस्त की दोपहर 03 बजकर 44 मिनट तक रहेगी।

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गणेश उत्सव के 10 दिनों तक करें ये काम, जीवन में चल रही हर बाधा का होगा नाश

पहला दिन: गणेश जी का स्वागत, मूर्ति स्थापना

गणेश चतुर्थी के पहले दिन शुरुआत मूर्ति स्थापना से होती है। अलग-अलग तरह की गणेश जी की मूर्तियों से पूरा बाजार सज जाता है। इस दिन भक्तजन गणेश जी का अपने घर में स्वागत करते हैं और उन्हें घर में स्थान देते हैं।

दूसरा दिन: महोत्सव का आवश्यक दिन
गणेश उत्सव का दूसरा दिन चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। ये दिन बहुत ही खास होता है।

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तीसरा दिन: गणेश जी की आरती
गणेश उत्सव के तीसरे दिन भक्तजन पूरे तन और मन के साथ पार्वती नंदन की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। किसी-किसी जगह तो अनुष्ठान करने का भी रिवाज है।

चौथा दिन: पूजा और प्रसाद वितरण
बप्पा की आरती के बाद चौथे दिन लंबोदर को उनका प्रिय भोग लगाया जाता है। इसके साथ इस दिन आरती, भजन का आयोजन भी करते हैं।

पांचवां दिन: षोडशोपचार पूजा
गणेश उत्सव का पांचवां दिन बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।  इस दिन षोडशोपचार पूजा की जाती है। सोलह उपचारों से की जाने वाली पूजा को षोडशोपचार पूजा कहा जाता है।

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छठा दिन: षष्ठी
गणेश उत्सव के छठे दिन को षष्ठी कहते हैं। इस दिन बप्पा के भक्त विशेष तौर पर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। इसी के साथ छठे दिन दान-पुण्य का भी काफी महत्व होता है।

सातवां दिन: सप्तपदी
सातवें दिन गणेश जी के भक्त सप्तपदी की क्रिया करते हैं।

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आठवां दिन: अष्टमी
गणेश उत्सव के आठवें दिन को अष्टमी के रूप में जाना जाता है। आरती के बाद विशेष भोग के साथ बप्पा को प्रसाद चढ़ाया जाता है।

नौवां दिन: नवपत्रिका पूजा
गणेश उत्सव के नौवें दिन नवपत्रिका पूजा की जाती है।

दसवां दिन: गणेश विसर्जन
ये गणेश उत्सव का दसवां और आखिरी दिन होता है। ये दिन बप्पा के भक्तों के लिए बहुत मुश्किल होता है क्योंकि दसवें दिन मूर्ति का विसर्जन किया जाता है और विघ्नहर्ता को विदाई दी जाती है।

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